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रूस में स्पूतनिक वी नेजल वैक्सीन को मिली मंजूरी, ऐसा करने वाला पहला देश बना


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रूस : कोरोना वायरस महामारी से पार पाने के लिए रूस ने एक और कदम आगे बढ़ा दिया है। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को नाक से दी जाने वाली वैक्सीन स्पूतनिक वी को मंजूरी दे दी। इसी के साथ यह दुनिया का पहला नेजल वैक्सीन है जिसे किसी भी देश की ओर से इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है।

कोरोना वायरस वैक्सीन आने के बाद अब अमेरिका समेत दुनिया के कई देश नेजल वैक्सीन तैयार करने में लगी हुई हैं। अमेरिकी कंपनी ऑल्टइम्यून, एडकोविड नाम की नाक से दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन बना रही है। फिलहाल इनका वैक्सीन अभी ट्रायल में है। इसके अलावा कनाडा और फिनलैंड में भी नेजल वैक्सीन तैयार की जा रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फिनलैंड की रोकोटे लैब इस वैक्सीन को तैयार कर रहा है।

वहीं, भारत में DCGI की विशेषज्ञ समिति (SEC) ने भारत बायोटेक को नेजल वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल की मंजूरी दे चुकी है। कोरोना के खिलाफ जंग में ये मंजूरी अहम मानी जा सकती है। इस तीसरे फेज में बायोटेक इस पर भी रिसर्च करेगा कि क्या इसे कोरोना के बूस्टर डोज के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है?

नेजल स्प्रे का लक्ष्य होता है कि वैक्सीन के डोज को सीधा सांस के रास्ते पहुंचाया जाए ताकि यह वैक्सीन सीधा उस जगह को अपना निशाना बनाए जहां से कोविड-19 इंफेक्शन शरीर को अपने चपेट में लेना शुरू किया था। कोरोना के ज्यादातर मामलों में यह देखने को मिला है कि वायरस म्यूकोसा के माध्यम से शरीर मे प्रवेश करता है और म्यूकोसल मेमब्रेन में मौजूद कोशिकाओं और अणुओं को संक्रमित करता है। ऐसे में हम अगर नाक के माध्यम से वैक्सीन देंगे तो यह काफी प्रभावी हो सकती है। इसीलिए दुनिया भर में नेजल यानी नाक के जरिए भी इस वैक्सीन को देने के विकल्प के बारे में सोचा जा रहा है और इस पर शोध चल रहा है।

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