वॉशिंगटन : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंगलवार को इस्लामोफोबिया का विरोध करने के लिए 15 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। भारत ने इस पर चिंता जाहिर की है। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने एक धर्म के के खिलाफ फोबिया को अंतरराष्ट्रीय दिवस के स्तर तक बढ़ाए जाने पर चिंता व्यक्त की है।
इस प्रस्ताव को अपनाने पर प्रतिक्रिया देते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि भारत को उम्मीद है कि अपनाया गया प्रस्ताव मिसाल कायम नहीं करेगा। ये धार्मिक शिविरों में संयुक्त राष्ट्र को विभाजित करेगा।
193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए 15 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया है। एजेंडा आइटम कल्चर ऑफ पीस के तहत पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसे पारित कर दिया गया।
#WATCH India's Permanent Representative to UN, Amb TS Tirumurti at UN General Assembly on Adoption of Resolution on the International Day to Combat Islamophobia
(Source: Permanent Mission of India to UN) pic.twitter.com/1TrgFmKLVe
— ANI (@ANI) March 15, 2022
इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) द्वारा पेश किया गया ये प्रस्ताव अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, मिस्र, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जॉर्डन, कजाकिस्तान, कुवैत, किर्गिस्तान, लेबनान, लीबिया, मलेशिया, मालदीव, माली ,पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात, उज्बेकिस्तान और यमन द्वारा सह-प्रायोजित था।
इस प्रस्ताव को अपनाने पर प्रतिक्रिया देते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि भारत को उम्मीद है कि अपनाया गया प्रस्ताव मिसाल कायम नहीं करता है। ये चुनिंदा धर्मों के आधार पर भय के कई प्रस्तावों को जन्म देगा और धार्मिक शिविरों में संयुक्त राष्ट्र को विभाजित करेगा।
उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के 1.2 बिलियन से अधिक अनुयायी हैं, बौद्ध धर्म के 535 मिलियन से अधिक और सिख धर्म के 30 मिलियन से अधिक अनुयायी दुनिया भर में फैले हुए हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम केवल एक धर्म को अलग करने के बजाय धार्मिक भय के प्रसार को रोकना स्वीकार करें। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र ऐसे धार्मिक मामलों से ऊपर रहे जो शांति और सद्भाव के एक मंच पर एक साथ लाने और दुनिया को एक परिवार के रूप में मानने के बजाय हमें विभाजित करने की कोशिश कर सकते हैं।