x
ट्रेंडिंगभारत

2021 में पेगासस जासूसी कांड ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्ली – वर्ष 2021 में पेगासस जासूसी कांड सियासी गलियारे में छाया रहा। विपक्ष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए फोन की जासूसी कर रही है। जबकि सरकार ने इन आरोपों के खारिज कर दिया। यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत पहुंची तो कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए विशेषज्ञों की 3 सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को निजता के उल्लघंन से सुरक्षा देना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि हम एक एक्सपर्ट कमिटी नियुक्त करते हैं जिसका कार्य सुप्रीम कोर्ट देखेगा। इस कमिटी में तीन टेकनिकल मेंबर होंगे और इसकी देखरेख रिटायर जज जस्टिस आर वी रवींद्रन करेंगे। इससे पहले, केंद्र सरकार ने स्पष्ट रूप से अवैध निगरानी से जुड़े सभी आरोपों का खंडन किया।

केंद्र सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके निगरानी के सभी ‘ओवर द टॉप आरोपों’ का सिरे से खारिज कर दिया। केंद्र सरकार ने इसे सनसनीखेज कहानी कहा।, और कहा कि भारतीय लोकतंत्र और इसकी अच्छी तरह से स्थापित संस्थानों को बदनाम करने का प्रयास हो रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी कहा कि संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले आने वाली रिपोर्टें संयोग नहीं हो सकतीं।

सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर कर पेगासस स्पाइवेयर स्कैंडल में विशेष जांच दल (SIT) द्वारा अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई। इसने “सभी आरोपी व्यक्तियों या मंत्रियों पर पेगासस खरीदने और भारत के नागरिकों पर जासूसी करने के लिए मुकदमा चलाने की भी मांग की। जिसमें राजनेता, पत्रकार और कार्यकर्ता शामिल हैं। बीजेपी के यह दावा किया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा था कि जिन फोन नंबरों की निगरानी में संदिग्ध फोन नंबरों की लिस्ट सीधे तौर पर इजराइली कंपनी NSO समूह से संबंधित नहीं थी। वैश्विक मानवाधिकार ग्रुप ने एक बयान जारी कर “झूठी अफवाहों” और “गलत मीडिया कहानियों” को खारिज कर दिया। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि वह जांच के निष्कर्षों पर स्पष्ट रूप से खड़ा है।

सीपीआई (एम) के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने एक विशेष जांच दल (SIT) द्वारा पेगासस स्पाइवेयर विवाद की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका में अदालत से आग्रह किया गया कि वह केंद्र को एक विशेष जांच दल के माध्यम से तत्काल जांच करने का निर्देश दे, जैसा कि 19 जुलाई को एक न्यूज वेबसाइट द्वारा खुलासा किया गया।

500 से अधिक व्यक्तियों और समूहों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमना को पत्र लिखकर जासूसी कांड में सुप्रीम कोर्ट के तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने भारत में इजरायली फर्म एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर की बिक्री, ट्रांसफर और उपयोग पर रोक लगाने की भी मांग की।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली 8 याचिकाओं पर सुनवाई की। पेगासस स्पाइवेयर के उपयोग के माध्यम से निगरानी के आरोपों को गंभीर बताते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि किसी ने एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की, अगर इस कारण से फोन हैक किया गया। आरोप पहली बार 2019 में सामने आए थे। पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी नहीं किया और इसके बजाय पक्षों से कहा कि वे पहले अपनी याचिकाओं की प्रतियां सरकारी वकील को दें, जिसके बाद वह 10 अगस्त को फिर से मामले की सुनवाई करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस केस में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जांच के लिए गठित पैनल को इस आधार पर रोक लगा दी क्योंकि इस केस की जांच टेक्निकल कमेटी पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कर रही है।

Back to top button