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यूक्रेन पर हमले से रूस में असंतोष, व्लादिमीर पुतिन की सत्ता दाव पर

 रूस- यूक्रेन में रूस की सैनिक कार्रवाई को को उस तेजी से सफलता नहीं मिली है, जिसकी पहले संभावना जताई गई थी। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए इसे एक गहरी चिंता का पहलू बताया जा रहा है, लेकिन उनके लिए उससे भी बड़ी चिंता का कारण युद्ध छेड़ने के उनके फैसले के खिलाफ अपने देश के अंदर भड़का विरोध है। कई पर्यवेक्षकों ने इसे पुतिन के लिए खतरे की घंटी बताया है।मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, ऐसी राय रखने वाले पर्यवेक्षकों का मानना है कि यूक्रेन पर हमले से आम रूसी आवाम में नाराजगी पैदा हुई है। उधर हमले के बाद रूस पर पश्चिमी देशों की तरफ लगाए गए प्रतिबंधों के कारण ओलीगार्क यानी धनी-मानी समूहों को भारी नुकसान हुआ है, जिससे उनमें भी पुतिन विरोधी भावना गहराने का अंदेशा है। पश्चिमी मीडिया की कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि ये तबके आगे चल कर पुतिन को सत्ता से हटाने की कोशिश कर सकते हैं।
यूक्रेन पर 24 फरवरी को हुए हमले के बाद जिस पैमाने पर रूस में युद्ध विरोधी प्रदर्शन हुए, उसे हैरान करने वाला बताया गया है। हमले के बाद पहले हफ्ते में देश भर में हुए प्रदर्शनों के दौरान 7,669 लोग हिरासत में लिए गए। ये जानकारी रूस के मानव अधिकार संगठन ओवीडी-इन्फो ने दी है। इस संगठन के मुताबिक, जिन लोगों को हिरासत में लिया गया, उनमें कई स्कूली बच्चे और अनेक बुजुर्ग लोग भी शामिल हैं। पुतिन विरोधी नेता अलेक्सी नवालनी ने भी रूस के अंदर और बाहर युद्ध विरोधी प्रदर्शनों के आयोजन का आह्वान किया था।

इसके अलावा बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों, संस्कृतिकर्मियों, और खिलाड़ियों ने हमले के खिलाफ आवाज उठाई है। युद्ध के खिलाफ जानी-मानी शख्सियतों ने एक पत्र लिखा, जिस पर देश के बड़े शतरंज खिलाड़ियों और शिक्षाशास्त्रियों ने भी दस्तखत किए। कई टीवी पत्रकारों ने भी यूक्रेन पर हमला करने के राष्ट्रपति पुतिन के फैसले के खिलाफ आवाज उठाई है।
विश्लेषकों का कहना है कि इनमें से ज्यादातर लोगों ने विरोध नैतिक आधार पर किया है, जबकि ओलीगार्क समुदाय को असली माली नुकसान झेलना पड़ रहा है। देश के सबसे धनी व्यक्तियों में से शामिल मिखाइल फ्रीडमैन और ओलेग डेरिपकसा ने शांति कायम करने की अपील है। देश की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में से एक लुकऑयल ने यूक्रेन में तुरंत युद्ध रोकने की मांग की है। कुछ राजनीतिक अधिकारियों ने भी पुतिन के फैसले के प्रति असंतोष जताया है। इनमें विश्व बैंक के एक रूसी सलाहकार और संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के लिए नियुक्त एक रूसी प्रतिनिधि शामिल हैं।

हालांकि, रूस सरकार का दावा है कि यूक्रेन पर उसकी सैनिक कार्रवाई के प्रति देश में व्यापक जन समर्थन है। रूसी राष्ट्रपति के प्रेस सेक्रेटरी दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि राष्ट्रपति और उनके निर्णयों के लिए देश में समर्थन का स्तर बहुत ऊंचा है। इस बीच क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय) के करीबी बताई जाने वाली पोलिंग एजेंसी वीटीएसआईओएम ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक रूस के 68 फीसदी लोगों ने यूक्रेन के खिलाफ सैनिक कार्रवाई का समर्थन किया हैं। इसमें कहा गया है कि युद्ध छिड़ने के बाद राष्ट्रपति में भरोसा जताने वाले लोगों की संख्या 60 से बढ़ कर 71 फीसदी हो गई है।

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