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चीन की यात्रा से लौटे नेपाली PM प्रचंड ने चीन को लेकर कही ये बात


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नई दिल्लीः नेपाली प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व में चीन गया नेपाली प्रतिनिधिमंडल शनिवार दोपहर को चेंगदू शहर से काठमांडू लौटा. प्रचंड संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक बैठक में शामिल होने के लिए 23 सितंबर को काठमांडू से न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुए थे.नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ ने रविवार को कहा कि चीन की उनकी हालिया यात्रा ने परस्पर विश्वास के माहौल को मजबूत किया है और दोनों पड़ोसी देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को प्रगाढ़ करने में एक अहम भूमिका निभाई है।नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शनिवार (30 सितंबर) को कहा कि हाल में संपन्न उनकी चीन यात्रा से काठमांडू-बीजिंग के बीच विश्वास का माहौल मजबूत हुआ है और दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंध और गहरे हुए हैं.

नेपाल-चीन संबंध

संसद में बोलते हुए, 68 साल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा, कि यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधान मंत्री ली कियांग के साथ उनकी चर्चा ने, नेपाल-चीन संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने में मदद की है। उन्होंने कहा, कि पिछले दिनों विभिन्न क्षेत्रों में हुए एमओयू (समझौता ज्ञापन) के कार्यान्वयन के लिए दोनों तरफ से प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक चीन से लौटने पर काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत में प्रचंड ने कहा कि उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अपने चीनी समकक्ष ली क्विंग से हुई बातचीत से नेपाल-चीन संबंधों को नयी ऊंचाई पर ले जाने में मदद मिली है.

प्रधानमंत्री प्रचंड ने नेपाली संसद को जानकारी दी है, कि “चीन की मेरी नवीनतम यात्रा 2019 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नेपाल की राजकीय यात्रा के बाद नेपाल से पहली उच्च-स्तरीय यात्रा है। इस यात्रा ने ऐसी उच्च-स्तरीय यात्राओं के संदर्भ में नेपाल और चीन के बीच आपसी विश्वास के माहौल को मजबूत किया है।”संसद में प्रचंड (68) ने कहा कि यात्रा के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री ली कियांग के साथ उनकी चर्चा ने नेपाल-चीन संबंधों को एक नयी ऊंचाई पर ले जाने में मदद की। उन्होंने कहा कि अतीत में विभिन्न क्षेत्रों में हस्ताक्षर किये गए समझौता ज्ञापनों के क्रियान्वयन के लिए दोनों ओर से प्रतिबद्धता जताई गई।

‘खुलेंगे सभी व्यापारिक मार्ग’

नेपाली प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘उच्चस्तरीय बैठकों के दौरान चीन के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने भरोसा दिया कि नेपाल से पूर्व में किए गए समझौतों को तेजी से लागू किया जाएगा. चीन के अधिकारियों ने नेपाल और चीन के बीच सभी व्यापार मार्गों को दोबारा खोलने पर सहमति जताई, जिन्हें कोरोना महामारी के दौरान बंद कर दिया गया था.’’प्रचंड ने कहा, ‘‘चीन की मेरी हालिया यात्रा, वहां के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के 2019 में नेपाल की राजकीय करने के बाद, यहां से मेरी पहली उच्च स्तरीय यात्रा है। इस यात्रा ने कोविड महामारी के मद्देनजर लंबे समय तक इस तरह की उच्च स्तरीय यात्राएं नहीं होने के बाद नेपाल और चीन के बीच परस्पर विश्वास के माहौल को प्रगाढ़ किया है।’’

नेपाल वन चाइना नीति पर की चर्चा

नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने कहा कि पोखरा एयरपोर्ट के नियमित परिचालन को लेकर चीन के अधिकारियों से अहम चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि कुछ तैयारियों के बाद पोखरा से चीन के चेंगदू शहर के लिए सीधी उड़ान शुरू की जाएगी. प्रधानमंत्री प्रचंड के मुताबिक उन्होंने नेपाल के विकास के लिए चीनी सहायता और सहयोग के बारे में खुलकर बात की. बैठक के दौरान पीएम ने नेपाल वन चाइना नीति पर बात किया.

अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और कानून पर चर्चा की

दोनों देशों ने पंचशील सिद्धांतों, आपसी सहयोग और सम्मान, अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और कानून के आधार पर संबंधों को नई ऊंचाई पर पहुंचाने पर चर्चा की. बीजिंग में 24 सितंबर को आयोजित नेपाल-चीन व्यापार शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने चीनी निवेशकों से नेपाल के प्राथमिकता वाले क्षेत्र में निवेश करने का आह्वान किया क्योंकि नेपाल में निवेश के लिए उपयुक्त माहौल और संभावनाएं हैं.

विभिन्न सड़कों के निर्माण पर चर्चा

उन्होंने कहा कि चीन की उनकी यात्रा ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करने में एक अहम भूमिका निभाई है। प्रचंड ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री ली के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता और चर्चा के दौरान, चीन ने इन विचारों का पूरा समर्थन किया कि चीन के साथ हमारे संबंध व्यापार, निवेश, अंतरदेशीय परिवहन नेटवर्क और आर्थिक एवं सामाजिक साझेदारी के इर्द-गिर्द केंद्रित होने चाहिए।’’उन्होंने सदन को सूचित किया कि चीन के नेताओं के साथ उच्च स्तरीय बैठकों के दौरान उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्र में एक ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण करने, केंद्रीय ग्रिड के जरिये बिजली नहीं पहुंचाये जा सकने वाले सीमावर्ती इलाके में सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना और विभिन्न सड़कों के निर्माण पर चर्चा हुई।प्रचंड ने यह भी कहा कि चीन से पोखरा तक सीधी उड़ानों के परिचलान पर भी विस्तृत चर्चा हुई। उन्होंने यह बात दोहराई कि नेपाल ‘एक चीन नीति’ तथा नेपाल-चीन संबंध पंचशील, सौहार्द्रपूर्ण मैत्री, सहयोग व सम्मान और अंतरराष्ट्रीय नियम-कानून के प्रति प्रतिबद्ध है। प्रचंड संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करने के बाद 23 सितंबर को न्यूयॉर्क से सीधी उड़ान से आठ दिवसीय यात्रा पर चीन गये थे।प्रचंड ने आगे कहा, कि “कोविड-19 महामारी के कारण इसमें काफी समय लग रहा है।’

चीन ने नेपाल के विचारों का पूरा समर्थन किया

प्रचंड प्रधानमंत्री प्रचंड ने इस बात पर जोर दिया है, कि उनकी चीन यात्रा ने दोनों देशों के बीच मौजूद ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने देश की संसद को अपनी यात्रा की जानकारी देते हुए कहा, कि “राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधान मंत्री ली कियांग के साथ आयोजित प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता और चर्चा के दौरान, उन्होंने कहा, कि चीन मेरे द्वारा रखे गए विचारों का पूरी तरह से समर्थन करता है, कि चीन के साथ हमारे संबंध, सामाजिक साझेदारी, व्यापार, निवेश, अंतर-देशीय परिवहन नेटवर्क और आर्थिक बढ़ाने पर केंद्रित होने चाहिए।” उन्होंने सदन को बताया, कि चीनी नेताओं के साथ उच्च स्तरीय बैठकों के दौरान उत्तरी सीमा क्षेत्र में ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण, सीमा क्षेत्र के उन स्थानों पर सौर ऊर्जा स्थापित करने पर चर्चा हुई, जहां केंद्रीय माध्यम से बिजली नहीं पहुंच सकती है। इसके अलावा, सरहदी इलाकों में सड़कों के निर्माण को लेकर भी चीन और नेपाल के बीच बातचीत की गई है।

स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्रों में सहयोग

इसी तरह, उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने, सीमा क्रॉसिंग प्वाइंट्स और पारंपरिक सीमा पार करने वाले प्वाइंट्स को फिर से खोलने पर चर्चा हुई, जो कि सीओवीआईडी ​​-19 महामारी के बाद बंद हो गए थे। प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा, कि सीमा पर नेपाल की तरफ बुनियादी ढांचे के निर्माण को लेकर चीन तैयार हो गया है और नेपाल में चीन एडवांस प्रयोगशालाओं का निर्माण करेगा। प्रचंड ने कहा कि लोगों के बीच संबंधों को गहरा करने के लिए, चीन से पोखरा तक सीधी उड़ानें संचालित करने, विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग और द्विपक्षीय व्यापार के विस्तार पर भी व्यापक चर्चा हुई।

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