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थायराइड रोग: पुरुषों के मुकाबले क्‍यों अधिकतर महिलाएं होती हैं इसकी शिकार?, जानें वज़ह


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नई दिल्लीः थायरॉइड बीमारी आज के समय में कॉमन हो चुकी है. इसे लाइफस्‍टाइल डिजीज माना जाता है. ये समस्‍या हमारे गले में मौजूद तितली के आकार की थायरॉइड ग्रंथि में असंतुलन के कारण होती है. थायरॉइड ग्रंथि थायरोक्सिन (T-4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T-3) हार्मोन का निर्माण करती है. शरीर को इन हार्मोन्‍स की बहुत जरूरत होती है. लेकिन जब थायरॉइड ग्‍लैंड में गड़बड़ी हो जाती है तो इन हॉर्मोन्‍स का उत्‍पादन ठीक से नहीं हो पाता. तब थायरॉइड की बीमारी होती है. अधिकतर ये बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में देखने को मिलती है. आइए आपको बताते हैं कि ऐसा क्‍यों होता है, क्‍या हैं इस बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीके?

थायराइड क्या है

यह गले में स्थित एक ग्रंथि का नाम है। ये गले में आगे के हिस्से में मौजूद होती है। इसका आकार एक तितली के समान होता है। यह ग्रंथि शरीर में थायराइड हार्मोन (Thyroid Harmon)को स्रावित करने के लिए जिम्मेवार होती है। यह शरीर में कई तरह के मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने के लिए जरूरी होती है। हम जो भी खाते है,यह ग्रथि उस भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करती है। जब यह असंतुलन हो जाता है। तो थायराइड की समस्या उत्पन्न होती है। थायराइड दो प्रकार से होता है। हाइपो थायराइड और हायपर थायराइड।

ये है बीमारी का कारण

अत्‍यधिक तनाव, आयोडीन की कमी या अधिकता, गलत खानपान, देर रात तक जागना, डिप्रेशन की दवाएं, डायबिटीज, किसी ऑटो इम्‍यून डिजीज से ग्रसित होना, सोया उत्‍पादों का अत्‍यधिक इस्‍तेमाल और फैमिली हिस्‍ट्री आदि को इस बीमारी की प्रमुख वजहों में से एक माना जाता है.

अक्‍सर महिलाओं को क्‍यों होती है ये बीमारी?

इस मामले में डॉ. रमाकान्‍त शर्मा का कहना है कि महिलाओं में इस बीमारी के मामले ज्‍यादा क्‍यों सामने आते हैं, इसको लेकर कोई सटीक वजह तो अब तक सामने नहीं आई है, लेकिन अक्‍सर देखा जाता है कि महिलाएं अपने खानपान और जीवनशैली को लेकर लापरवाही बरतती हैं. इसके अलावा महिलाओं में स्‍ट्रेस लेने की आदत काफी होती है. स्‍ट्रेस को थायरॉइड की बड़ी वजहों में से एक माना जाता है. माना जाता है कि इन वजहों के चलते महिलाएं ज्‍यादा इस समस्‍या की शिकार होती हैं.

दो तरह से प्रभावित करती है थायरॉइड

थायरॉइड की बीमारी दो तरह से शरीर को प्रभावित करती है. जब थायरॉइड ग्‍लैंड T3, T4 हॉर्मोन का उत्‍पादन ज्‍यादा करती है तो इसे हाइपरथायरायडिज्म कहा जाता है और जब से हॉर्मोन्‍स का उत्‍पादन कम करती है, तो इसे हाइपोथायरॉइडिज्‍म कहा जाता है. दोनों ही मामलों में इसके लक्षण अलग-अलग सामने आते हैं.

महिलाओं में थायराइड ज्यादा होने की संभावित वजह

प्रेग्नेंसी में महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं और इसका असर थायराइड फंक्शन पर भी पड़ता है. यह वजह है कि कई महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड की समस्या देखने में आती है.

कुछ प्रोडक्ट्स हो सकते हैं वजह

ब्यूटी को संवारने के लिए कई तरह के प्रोडक्ट इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनमें मौजूद केमिकल से आपके एंडोक्राइन सिस्टम (कई ग्रंथियों से मिलकर बना होता है जिससे हार्मोन बनते हैं) पर असर डाल सकते हैं, जिससे बॉडी में हार्मोन फंक्शन इंबैलेंस हो सकता है. इस वजह से आपकी बॉडी में थायराइड का जोखिम बढ़ने का भी डर रहता है.

थायराइड है तो इन चीजों से रहें दूर

बॉडी में अगर थायराइड की मात्रा बढ़ जाए तो चाय, कॉफी जैसी चीजों से दूरी बनानी चाहिए क्योंकि इनमें कैफीन की मात्रा होती है. इसके अलावा ज्यादा शुगर वाली चीजों से भी परहेज करना चाहिए. शुगर ज्यादा लेने से आपके हार्मोन में उतार-चढ़ाव हो सकता है. डेयरी प्रोडक्ट, जैसे पनीर, दूध को डाइट से कम करें. रेड मीट खाने से बचें. ये फूड्स आपकी बॉडी में थायराइड के लेवल को बढ़ा सकते हैं. हालांकि ये फूड्स पूरी तरह से बंद करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि डॉक्टर की सलाह से इनकी मात्रा को डाइट में सीमित कर दें.

क्या करना रहेगा सही

थायराइड से आपके वजन पर असर देखने को मिल सकता है. इसके लिए खानपान पर ध्यान देने के साथ ही डेली रूटीन में एक्सरसाइज और योगा को शामिल करना सही रहता है. इससे आप हार्मोनल इंबैलेंस से होने वाली अन्य बाकी समस्याओं से भी बच सकते हैं.

अतिसक्रिय थायरॉयड (हाइपरथायरायडिज्म) के लक्षणों में ये शामिल हो सकते हैं:

चिंता, चिड़चिड़ापन और घबराहट का अनुभव होना।
सोने में परेशानी होना.
वजन घट रहा है।
बढ़ी हुई थायरॉयड ग्रंथि या गण्डमाला होना ।
मांसपेशियों में कमजोरी और कंपन होना।
अनियमित मासिक धर्म का अनुभव करना या आपका मासिक धर्म चक्र रुक जाना।
गर्मी के प्रति संवेदनशील महसूस होना।
दृष्टि संबंधी समस्याएं या आंखों में जलन होना।

निष्क्रिय थायरॉयड (हाइपोथायरायडिज्म) के लक्षणों में ये शामिल हो सकते हैं:

थकान ( थकान ) महसूस होना।
वजन बढ़ रहा है।
भूलने की बीमारी का अनुभव होना।
बार-बार और भारी मासिक धर्म होना ।
सूखे और मोटे बाल होना।
कर्कश आवाज होना.
ठंडे तापमान के प्रति असहिष्णुता का अनुभव करना।

क्‍या है इलाज और बचाव के तरीके

थायरॉइड एक ऐसी समस्‍या है जो सिर्फ लाइफस्‍टाइल को नियंत्रित करके ही कंट्रोल में रह सकती है. इसके इलाज के तौर पर विशेषज्ञ हॉर्मोन को नियंत्रित करने वाली एक दवा देते हैं, जिसे सुबह खाली पेट खाना होता है. लेकिन दवा के साथ भी अपनी दिनचर्या और खानपान की गलत आदतों में सुधार बहुत जरूरी है. लाइफस्‍टाइल में सुधार ही इसके बचाव का भी तरीका है. ऐसे में आप क्‍या कर सकते हैं? यहां जानिए-

  • रोजाना योग और मेडिटेशन करें वर्कआउट करें
  • बाहर का जंक और फास्‍टफूड अवॉयड करें
  • हेल्‍दी चीजें ज्‍यादा से ज्‍यादा खाएं
  • पर्याप्त मात्रा में नींद लें समय से सोएं और समय से जागें

ज्यादा फलों और सब्जियों को डाइट में शामिल करें

इन चीजों से करें परहेज

स्‍मोकिंग और अल्‍कोहल चीनी, चावल, ऑयली फूड कम खाएं अधिक मसालेदार खाने से बचें मैदे से बनी चीजें अवॉयड करें चाय और काॅफी का सेवन बहुत ज्‍यादा न करें

थायराइड रोग का इलाज कैसे किया जाता है?

आपके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता का लक्ष्य आपके थायराइड हार्मोन के स्तर को सामान्य पर वापस लाना है। यह कई तरीकों से किया जा सकता है और प्रत्येक विशिष्ट उपचार आपकी थायरॉयड स्थिति के कारण पर निर्भर करेगा।यदि आपके पास थायराइड हार्मोन (हाइपरथायरायडिज्म) का उच्च स्तर है, तो उपचार के विकल्पों में शामिल हो सकते हैं:

एंटी-थायराइड दवाएं (मेथिमाज़ोल और प्रोपिलथियोरासिल) : ये ऐसी दवाएं हैं जो आपके थायराइड को हार्मोन बनाने से रोकती हैं।

रेडियोधर्मी आयोडीन : यह उपचार आपके थायरॉयड की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे इसे उच्च स्तर के थायराइड हार्मोन बनाने से रोका जा सकता है।

बीटा ब्लॉकर्स : ये दवाएं आपके शरीर में हार्मोन की मात्रा को नहीं बदलती हैं, लेकिन वे आपके लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद करती हैं।

सर्जरी : उपचार का एक अधिक स्थायी रूप, आपका स्वास्थ्य सेवा प्रदाता शल्य चिकित्सा द्वारा आपके थायरॉयड ( थायरॉयडेक्टॉमी ) को हटा सकता है। यह उसे हार्मोन बनाने से रोकेगा। हालाँकि, आपको जीवन भर थायराइड रिप्लेसमेंट हार्मोन लेने की आवश्यकता होगी।

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