भारत के इन 6 जगहों में भारतीयों को ही है NO Entry
नई दिल्ली – भारत में पर्यटकों के लिए घूमने की जगह की कोई कमी नहीं है. लोग पहाड़, रेगिस्तान, जंगल और सी बीच हर किसी की मजा ले सकते हैं. इन सभी जगहों पर वह परिवार, दोस्त और पार्टनर के साथ घूमने जा सकते हैं. मौसम को ध्यान में रखते हुए भी पर्यटक विभिन्न जगहों की सेर कर सकते हैं जैसे गर्मी के मौसम में ठंड का मजा लेना हो तो हिल स्टेशन सबसे बेस्ट होते हैं. वहीं मॉनसून में सी बीच पर कुछ और ही नजारे देखने को मिलते हैं. सर्दियों में गर्मी का एहसास लेना हो तो रेगिस्तान की तरफ जाया जा सकता है.
वहीं अगर बर्फ देखनी हो तो हिमालयन रेंज बिल्कुल परफेक्ट है. जानवरों के दर्शन करने का मन हो तो जंगल सफारी की जा सकती है. पर्यटन की जगहों में इतनी विविधता होने के बावजूद कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां भारतीय पर्यटक नहीं जा सकते. देश में रहते हुए भी उसके अंदर कई स्थान ऐसे हैं जहां पर भारत के निवासियों का प्रवेश बिल्कुल निषेध है. कई जगहों पर विदेशी पर्यटकों को तो एंट्री मिलती है लेकिन भारत के मूल निवासियों के लिए यहां पर प्रवेश वर्जित है. आइए जानते हैं कौन सी हैं वो जगहें.
गोवा – गोवा पर्यटकों का सबसे पसंदीदा टूरिस्ट स्पॉट है. ये खूबसूरत समुद्री बीचों के लिए दुनिया भर में मशहूर है. यहां भारत ही नहीं दुनिया भर से टूरिस्ट आते हैं. लेकिन यहां कई ऐसे निजी बीच हैं, जहां भारतवासी नहीं जा सकते. यहां सिर्फ विदेशी लोगों को ही इंट्री मिलती है. इसके पीछे यहां के बीच मालिकों का तर्क यह है कि ऐसा नियम उन्होंने ‘बिकनी पहने विदेशी पर्यटकों’ को छेड़खानी से बचाने के लिए बनाया है. ऐसे में स्थानीय लोगों ने कई बीच पर भारतीय पर्यटकों का प्रवेश वर्जित कर रखा है.
हिमाचल प्रदेश – हिमाचल प्रदेश के कसोल में स्थित फ्री कसोल कैफे में भारतियों का प्रवेश वर्जित है. इस कैफे का संचालन इजराइली मूल के लोग करते हैं. साल 2015 में कैफे ने एक भारतीय महिला को सर्व करने से साफ मना कर दिया था. कैफे का कहना था कि वह सिर्फ अपने मेंबर्स को ही सर्व करते हैं. इस घटना के बाद कैफे की काफी आलोचना भी हुई थी और इस पर नस्लवाद के आरोप भी लगे थे. आपको बता दें कि कैफे के आसपास अंकित सभी साइन बोर्ड भी हिब्रू भाषा में हैं.
बेंगलुरु – ये होटल साल 2012 में बेंगलुरु में बना था. ये खासतौर पर जापानी लोगों के लिए बनाया गया था. साल 2012 में स्थापित इस होटल पर नस्लवाद के गंभीर आरोप लगे थे और साल 2014 में ग्रेटर बैंगलोर सिटी कॉर्पोरेशन द्वारा होटल को बंद करवा दिया गया था. होटल मालिक का कहना था कि उन्होंने जापान की कई कंपनियों के साथ डील करके ये होटल बनाया था, जिसके चलते वे होटल में केवल जापानियों को ही एंट्री देते थे.
अंडमान-निकोबार – अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का एक द्वीप नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड भी है. ये द्वीप 23 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है. यहां की आबादी करीब 100 है. इस द्वीप पर केवल आदिवासी रहते जो बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं रखते. इस द्वीप पर रहने वाले आदिवासियों की रक्षा के लिए आम नागरिकों को यहां एंट्री नहीं मिलती. इसके लिए कानून की व्यवस्था की गई है.
चेन्नई – चेन्नई स्थित रेड लॉलीपॉप हॉस्टल भी अपने सेवाओं के चलते नस्लवाद के आरोपों से घिरा हुआ है. हॉस्टल में एंट्री के लिए किसी भी व्यक्ति को पासपोर्ट को जरूरत होती है. ऐसे में भारत के आम नागरिकों के लिए यह हॉस्टल अपनी सेवाएं उपलब्ध नहीं कराता है. होटल का दावा है कि वह पहली बार भारत आने वाले पर्यटकों को सेवा प्रदान करता है.
पुडुचेरी – पुडुचेरी में भी एक ऐसा बीच है जहां भारतीयों के जाने पर मनाही है. यहां सिर्फ विदेशियों को ही आने की इजाजत मिलती है. यहां भारतीयों के जाने पर प्रतिबंध के पीछे भी गोवा की तरह ही तर्क है कि विदेशी टूरिस्ट की सुरक्षा और उन्हें छेड़खानी से बचाने के लिए ऐसा किया जाता है.