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छत्तीसगढ़ के मैनपाट में बहता है उल्टा पानी, चढ़ान की तरफ बहती है धार


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नई दिल्लीः भारत में कई तरह की अनोखी चीजें आपको देखने को मिल जाएंगी. कई ऐसी चीजें, जिन्हें साइंस भी एक्सप्लेन नहीं कर पाता. लोग इन्हें भगवान का चमत्कार मान लेते हैं. ऐसी ही एक जगह छत्तीसगढ़ में मौजूद है. यहां मैनपाट में एक ऐसी जगह है, जहां पानी की धार उल्टी बहती है. जी हां, आपने देखा होगा कि किसी भी जगह पानी चढ़ाई से ढलान की तरफ गिरती है. लेकिन यहां इसका ठीक उल्टा होता है. यहां पानी पहाड़ की तरफ बहती है.

छत्तीसगढ़ के मैनपाट में बहता है उल्टा पानी

मैनपाट के जंगलों के बीच बसा है एक गांव, जिसका नाम है बिसरपानी. इस गांव में आम के पेड़ के नीचे से पानी का एक श्रोत निकलता है. ये पानी कहां से आया है, इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है. लेकिन इस पानी की वजह से पूरा गांव मशहूर है. दरअसल, ये पानी उल्टे डायरेक्शन में बहता है. जहां नॉर्मल पानी ऊपर से नीचे गिरता या बहता है, वहीं ये पानी की दिशा में बहता है. इस वजह से इस जगह की चर्चा दूर-दूर तक फ़ैल गई है.मैनपाट के घने जंगलों के बीच बसे बिसरपानी गांव मे एक जगह ऐसी हैं. जहां उल्टा पानी बहता है. उल्टा मतलब पानी ढाल से ऊंचाई की ओर बहता दिखता है. इस जगह पर एक आम के पेड के पास भूगर्भ से जल निकलता है. जिसे उल्टापानी का उदगम माना जाता है. जिसके बाद उदगम से करीब 20-25 मीटर तक ये पानी सीधी दिशा यानी ढाल की ओर बहता दिखता है. लेकिन उसके बाद करीब 100 मीटर तक ये पानी धीरे धीरे करीब 7-8 फीट ऊपर चढता दिखता है. मतलब पानी ढाल वाले स्थान से चढाई की ओर बहता दिखता है. जिसको खुली आंखों से देखकर अचरज मे पड जाते हैं.

सैलानियों की लगती है भीड़

इस गांव को डेवलपमेंट के लिहाज से काफी पिछड़ा माना जा सकता है. लेकिन उल्टे पानी की वजह से यहां दुनियाभर से लोग आते हैं. इस वजह से ये जगह टूरिस्ट स्पॉट भी बन गया है. लोगों के कमाई का एक जरिया भी यही उल्टा पानी है. किसी को नहीं पता कि आखिर इसके पीछे का कारण क्या है? इस जगह को दूसरा शिमला भी कहा जाता है. अपने अद्भुत प्राकृतिक छठा की वजह से लोगों के बीच ये पहाड़ी इलाका काफी मशहूर है.

लोगों ने बताई ये वजह

इस जगह पर आने वाले लोग जब अपनी आंखों से पानी को उल्टा बहते देखते हैं तो अचम्भित रह जाते हैं. इसका कोई साइंटिफिक कारण अभी तक सामने नहीं आया है लेकिन ऐसा कहा जाता है कि यहां गुरुत्वाकर्षण का कोई नियम काम नहीं करता. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि इस जगह की भगौलिक स्थिति ऐसी है कि यहां पानी उल्टा बहता नजर आता है. जबकि असल में ऐसा है नहीं. सब नजर का भ्रम है.

छत्तीसगढ़ का शिमला

मैनपाट छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले का प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। इसे छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जा सकता है। यहीं पर्यटकों को आकर्षित करने वाला एक स्पॉट \’उल्टा पानी\’ है। यहां पानी का बहाव नीचे की तरफ न होकर ऊपर यानी ऊंचाई की तरफ है। यहां सड़क पर खड़ी न्यूट्रल गाड़ी 110 मीटर तक पहाड़ी की ओर चली जाती है।मैनपाट की इस जगह में गुरुत्वाकर्षण बल से ज्यादा प्रभावी मैग्नेटिक फील्ड है, जो पानी या वाहन को ऊपर की तरफ खींचता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, देशभर में ऐसी 5 और दुनिया में 64 जगह हैं।

कितने बल प्रभावी यह शोध का विषय

भौतिकशास्त्री के प्रोफेसर एके पाणिग्रही के मुताबिक, ‘‘पानी ऊपर की दिशा में बहे, ऐसा तभी संभव है, जब उस स्थान पर कोई ऐसा बल हो, जो वहां प्रभावी गुरुत्वाकर्षण बल से भी अधिक हो। यह पानी को ऊपर खींच सकता है। उल्टा पानी वाली जगह पर ऐसे कई तत्व हो सकते हैं, जो गुरुत्वाकर्षण बल से ज्यादा ताकतवर हैं। हालांकि यह शोध का विषय है।’’

भारत के पांच प्रमुख स्थान

लेह, लद्दाख 
तुलसी श्याम अमरेली, गुजरात 
कालो डुंगर कच्छ-गुजरात 
जोगेश्वरी विकरौली लिंक रोड, मुंबई 
उल्टापानी, मैनपाट, छत्तीसगढ़ 

लोग भूतिया मानते थे, अब स्थिति बदली

मैनपाट के पर्यटन अधिकारी सुरेंद्र वर्मा बताते हैं, ‘‘कुछ साल पहले तक लोग इस जगह को भूतिया मानते थे। पर्यटन विभाग के प्रचार के बाद लोगों में जागरुकता बढ़ी। इसके बाद पर्यटक घूमने पहुंचते हैं।’’

उल्टे पानी को बहता देख हैरान रह जाते हैं पर्यटक

यहां आने वाले पर्यटक इस अचंभे पर यकीन ही नहीं करते हैं. लेकिन जो दिख रहा है उस पर अपने संदेह को दूर करने लोग कागज की नांव और प्लास्टिक के सामान को पानी मे बहा कर देखते हैं कि सही मे पानी ढाल से ऊंचाई की ओर चढ रहा है या नही! हालांकि लोग यहां छुट्टियां मनाने, पिकनिक मनाने पहुंचते हैं. इसलिए वो इस जगह मे परिवार और दोस्तों के साथ जमकर मौज मस्ती करते हैं.

स्थान की भौगोलिक परिस्थिति के कारण पानी उल्टा बहता दिखता है

एबीपी न्यूज उल्टा पानी बहने के दावा नहीं करता लेकिन यहां आने वाले लोग ये मानते हैं कि यहां पानी वास्तव मे उल्टा बह रहा है. बंगलौर से आए एक पढे लिखे युवा ये मानते हैं कि इस जगह पर आकर ये महसूस हुआ कि यहां गुरूत्वातर्षण का कोई नियम काम नहीं कर रहा है. हालांकि यहां आने वाले कुछ पर्यटको का मानना है कि स्थान की भौगोलिक परिस्थिति के कारण पानी उल्टा बहता दिखता है. वास्तव मे पानी उल्टा नहीं बह रहा है. वैसे इन मामलों के कुछ जानकारों का मानना है कि ऐसे स्थान मे कोई ऐसा बल प्रभावी हो सकता है जिसका बल गुरूत्वाकर्षण बल से ज्यादा होगा.

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