नई दिल्ली – WHO के महानिदेशक टेड्रस अधानम घेब्रेयेसस ने यहां गुरुवार को एक प्रेस वार्ता में कहा कि कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रोन, इससे पहले के वैरिएंट डेल्टा के मुकाबले भले ही कम गंभीर प्रतीत हो रहा हो, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि इसे ‘हल्के’ में लिया जाए। दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं और अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। यहां तक कि लोगों की जान भी जा रही है।
वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में उछाल के बीच WHO चीफ ने चेताया है कि ओमिक्रोन को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। उनकी यह चेतावनी इन कयासों के बीच आई है, जिनमें ओमिक्रोन को अधिक संक्रामक तो बताया जा रहा है, पर इसे कम घातक भी कहा जा रहा है।
भारत सहित दुनिया के कई देशों में पिछले कुछ समय में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बड़ा उछाल देखा जा रहा है, जिसके लिए कोविड के ओमिक्रोन वैरिएंट को जिम्मेमदार समझा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कोरोना वायरस का कई गुना तेजी से फैलने वाला वैरिएंट है, लेकिन इससे मरीजों की स्थिति गंभीर होने का खतरा नहीं है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ओमिक्रोन पर ऐसी सोच को लेकर आगाह किया है।
WHO चीफ ने वैश्विक स्तर पर कोविड रोधी वैक्सीनेशन के लक्ष्य से पिछड़ने को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2021 तक सभी देशों में कम से कम 40 फीसदी आबादी के वैक्सीनेशन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन WHO के 194 सदस्य देशों में से 92 देश इस लक्ष्य को हासिल करने से चूक गए। इनमें 36 ऐसे भी देश हैं, जो अपनी 10 फीसदी आबादी को वैक्सीन का पहला डोज तक नहीं दे पाए हैं, क्योंकि वैक्सीन तक उनकी पहुंच नहीं है।उन्होंने इसके लिए विकसित देशों द्वारा कोविड रोधी वैक्सीन की जमाखोरी को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि 2022 के मध्य तक वैश्विक स्तर पर 70 फीसदी आबादी के वैक्सीनेशन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे पूरा करने की जरूरत है।