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हिन्दू धर्म छोड़ क्यों मुसलमान बने सिंगर एआर रहमान,दो बार जीता ऑस्कर


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मुंबई – सुरों के बेताज बादशाह एआर रहमान ने अपनी काबिलियत से न सिर्फ एक अलग पहचान बनाई, बल्कि दुनियाभर में खूब लोकप्रियता हासिल की। रहमान के गाने पूरी दुनिया में सुने जाते हैं। रहमान का नाम फिल्मों में बेहतरीन संगीत की गारंटी मानी जाती है। आज रहमान अपना 57वां जन्मदिन मना रहे हैं, तो चलिए आपको उनके बारे में कुछ दिलचस्प बाते बताते हैं।

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धर्म बदलने की वजह?

जब इस बारे में जानकारी हासिल की कि आखिर उन्होंने धर्म क्यों बदला था. तो उनके दिए एक इंटरव्यू से मेरे इस सवाल का भी जवाब मिल गया. 6 जनवरी को उनका 57वां बर्थडे है. इस मौके पर चलिए जानते हैं उनके धर्म और नाम बदलने की कहानी. दरअसल, उन्होंने एक चैट शो में इस बारे में बताया था. उन्होंने कहा था कि उनके पिता को कैंसर था. एक सूफी थे जो उनके पिता का इलाज किया करते थे. जब 7-8 साल के बाद रहमान की मुलाकात फिर से सूफी से हुए तो उनकी बातों से वो काफी ज्यादा प्रभावित हो गए. वहीं उसके बाद उन्होंने इस्लाम धर्म कुबूल कर लिया.

रहमान को दो ऑस्कर अवॉर्ड भी मिले

रोजा में रहमान को अपने संगीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। इसके बाद बॉलीवुड में रहमान ने रामगोपाल वर्मा की फिल्म रंगीला के लिए म्यूजिक तैयार किया, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया। इस फिल्म में उर्मिला मातोंडकर, आमिर खान और जैकी श्रॉफ नजर आए थे। रहमान ने ‘दिल से’ ‘लगान’, ‘जोधा अकबर’, ‘ताल’, ‘दिल्ली 6’ ‘रंग दे बसंती’, ‘स्वदेस’ और ‘रॉकस्टार’ समेत हिंदी सिनेमा की कई फिल्मों के लिए भी संगीत तैयार किया, जो आज भी लोकप्रिय हैं।रहमान ने अपने करियर स्लमडॉग मिलेनियर समेत तीन हॉलीवुड फिल्मों के लिए भी म्यूजिक तैयार किया, इसके लिए उन्हें दो ऑस्कर अवॉर्ड भी मिले। वहीं, उनकी झोली में ग्रैमी अवॉर्ड भी आएं। अपने संगीत के जरिए पर अबतक 6 राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है। साथ ही कई सारे फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीते।

नाम बदलने की पीछे की कहानी

एआर रहमान के नाम बदलने के पीछे भी एक कहानी है. दरअसल, जब वो इस्लाम धर्म में आए भी नहीं थे तभी उन्हें एक इस्लामिक नाम रखने की सलाह मिल गई थी. दरअसल, उन्हें अपना नाम दिलीप कुमार बिल्कुल भी पसंद नहीं था. उनकी बहन की शादी होने वाली थी तो वो बहन की कुंडली लेकर एक हिंदू ज्योतिषि के पास गए थे और उनसे ही उन्होंने अपने नाम बदलने को लेकर बातचीत की थी.ज्योतिषि की तरफ से उन्हें इस्लामिक नाम रखने को कहा गया. उन्हें दो नाम मिले. पहला अब्दुल रहमान और दूसरा अब्दुल रहीम. उन्हें रहमान नाम भा गया और फिर उन्होंने इसी नाम को अपना लिया. वहीं जब इस बारे में उन्होंने अपनी को मां को बताया तो उनकी मां ने उन्हें रहमान के आगे अल्लाह रखा लगाने की सलाह दी. बस फिर क्या था दिलीप कुमार से शुरू हुई कहानी रहमान तक पहुंची और फिर रहमान, अल्लाह रखा रहमान बन गए, जिन्हें आज पूरी दुनिया A R रहमान के नाम से जानती है.

एआर रहमान का जन्म

एआर रहमान का जन्म 6 जनवरी 1966 को चेन्नई (तमिलनाडु) में हुआ था। बहुत कम लोग जानते हैं कि रहमान के पिता आरके शेखर ने ही उन्हें संगीत विरासत में दी। वे चार साल की उम्र में ही पियानो सीखने लगे थे। रहमान के पिता फिल्मों में स्कोर कंपोजर थे, लेकिन जब रहमान 9 साल के थे तभी उनका निधन हो गया। रहमान का बचपन संघर्ष भरा रहा, लेकिन उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। रहमान बचपन से ही कई सारे म्यूजिकल वाद्य यंत्र बजाने में माहिर हो गए थे।उन्होंने अपने हाई स्कूल के दोस्तों के साथ एक बैंड बनाया था। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़कर अपना पूरा टाइम म्यूजिक को देने का फैसला किया। वे फुल टाइम म्यूजिशियन बन गए। रहमान ने अन्य संगीतकारों के साथ काम करना शुरू कर दिया और कड़े संघर्ष के बाद उन्हें मणिरत्नम की फिल्म रोजा में म्यूजिक कंपोज करने का मौका मिला।

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