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यूक्रेन आर्मी के साथ रूस के खिलाफ जंग के मैदान में उतरे यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की?

कीव – रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का आज छठा दिन है. रूस की ओर से लगातार हमला जारी है तो यूक्रेन भी लगातार माकूल जवाब दे रहा है. दोनों पक्षों को खासा नुकसान हुआ है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध और बातचीत के जरिए रूस पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है ताकि वह तत्काल सैन्य कार्रवाई रोक दे, लेकिन हमले अभी भी हो रहे हैं.

हमलों की वजह से यूक्रेन में काफी तबाही हुई है. भारत भी हालात पर नजर बनाए हुए हैं. भारत ने मानवीय सहायता के तौर पर यूक्रेन को पोलैंड के रास्ते दवाओं और अन्य राहत सामग्री की पहली खेप मंगलवार को भेजी है. यूक्रेन में फंसे भारतीयों को लाने को लेकर ऑपरेशन युद्ध स्तर पर चल रहा है. रूस-यूक्रेन मामले में हर छोटी-बड़ी खबर जानने के लिए पेज को लगातार रिफ्रेश करते रहें. रूसी सेना की ओर से बार-बार यूक्रेन को हथियार डालने को कहा जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर हो रही एक वायरल तस्वीर ने हलचल पैदा कर दी है।

दरअसल वायरल तस्वीर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की है जो कि आर्मी की वर्दी पहने जंग के मैदान में खड़े दिखा्ई दे रहे हैं, जिसके बाद से सोशल मीडिया पर यह खबर फैल गई कि ‘यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की खुद इस युद्द में रूसी सैनिकों से एक योद्धा के रूप में लड़ रहे हैं।’ वायरल हो रही तस्वीर पर बहुत सारे लोगों ने कमेंट किया है। किसी ने तो इस बात के लिए जेलेंस्की की तारीफ की है तो किसी ने जेलेंस्की को जिद छोड़ने की सलाह दे डाली है। तो किसी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति की हिम्मत की तारीफ भी कर डाली है।

दरअसल वायरल होने वाली दो तस्वीरें हैं। पहली तस्वीर में जेलेंस्की सैनिक वाले लिबास में हैं और दूसरी तस्वीर में जेलेंस्की युद्ध वाले क्षेत्र में दौरा करते दिखाई दे रहे हैं लेकिन जब वायरल तस्वीरों की जांच पड़ताल की गई तो कुछ और ही सच्चाई सामने नजर आई। दरअसल Alt न्यूज ने इन वायरल तस्वीरों का सच जानने के लिए जां-पड़ताल कर डाली तो पता चला कि ये दोनों तस्वीरें पुरानी हैं। इन फोटो को एक साल पहले समाचार एजेंसी AFP ने पब्लिश किया था। दरअसल ये 11 फरवरी 2021 की हैं, उस दिन जेलेंस्की G7 एम्बेसेडर के दौरान सेना की वर्दी पहने दिखाई दिए थे। तो पहली फोटो तो वहां की है जबकि दूसरी फोटो 9 अप्रैल, 2021 की है, जब जेलेंस्की ने फ्रंटलाइन के पास सशस्त्र बलों की स्थिति का दौरा किया था इसलिए दोनों तस्वीरें सही तो हैं लेकिन इनके दावे गलत हैं।

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