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अजीब कानून!! चीन में बच्चे पैदा करने वालों को मिलेगा कर्ज


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नई दिल्ली – चीन कई दशकों से अपनी साम्राज्य्वादी नीति के लिए काफी मशहूर है। हालही में चीन ने कुछ ऐसी नयी योजना लेकर आया है जिसके बारे में सुनकर आप भी थोड़ी देर के लिए चौंक जायेंगे। चीन के कई राज्यों ने लोगों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते योजनाएं शुरू की है।

उत्तर पूर्वी चीन के जिलिन प्रांत में शादीशुदा जोड़े अगर बच्चे पैदा करते है तो उन्हें दो लाख युआन का बैंक लोन मिल सकता है। देश की कम होती आबादी की समस्या से निपटने के लिए चीन के कई राज्यों ने ऐसी ही योजनाएं शुरू की है जिनमें बच्चे पैदा करने के लिए लोगों को वित्तीय लाभ दिए जा रहे है। जिलिन प्रांत ने जो योजना शुरू की है उनमें ऐसे छोटे व्यापारियों को टैक्स में राहत दी जाने की भी बात है जिनके दो या तीन बच्चे है। पिछले हफ्ते जारी एक बयान में जिलिन प्रांत की सरकार ने इस योजना का ऐलान किया।

अक्टूबर में पूर्वी प्रांत आनहुई ने चेतावनी दी थी कि 2020 के मुकाबले इस साल जन्म में 17.8 प्रतिशत की कमी आ सकती है। कम से कम 14 चीनी प्रांतों में परिवार नियोजन कानूनों में या तो स्थानीय रूप से संशोधन किया गया है या संशोधनों के माध्यम से नए कानून बनाने के बारे में अधिक जनमत एकत्र किया जा रहा है। पूरे देश में फिक्र चीन के तीन राज्यों जिलिन, लायोनिंग और हाइलॉन्गजियांग में जनसंख्या की समस्या विशेषतौर पर गंभीर है। यहां के लोग बड़ी संख्या में काम करने के लिए अन्य राज्यों में चले जाते है या फिर युवा लोग शादी अथवा बच्चे पैदा करना टाल रहे है। 2010 के मुकाबले 2020 में इस क्षेत्र की आबादी में 10.3 प्रतिशत की गिरावट आई है। जिलिन में तो आबादी 12.7 फीसदी घट गई। इसी साल मई में चीन ने अपनी जनसंख्या नीति में बड़ा बदलाव करते हुए कहा था कि लोगों को दो के बजाय तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति होगी।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 168 दिनों की मातृत्व छुट्टी को भुगतान के साथ पूरे एक साल तक बढ़ाया जाए। जिलिन ने भी कहा है कि पूरे भुगतान के साथ मातृत्व अवकाश को 98 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन किया जाएगा। पुरुषों को भी 15 दिन के बजाय 25 दिन का पितृत्व अवकाश मिलेगा। बता दे की दक्षिणी चीनी प्रांत हैनान में तीन साल से कम उम्र के बच्चों के माता-पिता को अपने बच्चों की परवरिश पर खर्च करने के लिए हर दिन एक अतिरिक्त घंटे की छुट्टी की पेशकश की गई है। चीन के सुदूर पूर्वोत्तर क्षेत्र में औसत से कम जन्मदर के कारण हेइलोंगजियांग प्रांत सीमावर्ती शहरों में जोड़ों को चार बच्चे पैदा करने की अनुमति दे रहा है।

चीन ने 1979 में अपनी विवादास्पद एक-बच्चा नीति की शुरुआत की थी। उस समय चीन की सरकार का कहना था कि गरीबी मिटाने और अर्थव्यवस्था को विकसित करने की कोशिशों को तेजी से बढ़ रही जनसंख्या की वजह से नुकसान पहुंच रहा था। शहरों में जो लोग अपने अपने माता पिता की इकलौती संतान थे उन्हें दो बच्चे पैदा करने की अनुमति थी। ग्रामीण इलाकों में भी कई लोगों पर कुछ ढीले प्रतिबंध लागू थे, जिसकी वजह से ऐसे कई लोग थे जिनके दो बच्चे थे। आपको जानकर आश्चर्य होगा 2016 में चीन ने लोगों को दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दी। ऐसा बुजुर्गों की बढ़ती जनसंख्या से निपटने और कम होती श्रमिक संख्या को बढ़ाने के लिए किया गया। लेकिन दो-बच्चा नीति के बावजूद, 2019 में हर 1000 व्यक्तियों पर जीवित जन्मे बच्चों की संख्या 10.48 के रिकॉर्ड कम स्तर पर पहुंच गई। 2018 में यह संख्या 10.94 थी।

जिसके बाद चीनी सरकार ने मार्च 2021 में कहा कि वो देश की जनसंख्या नीति को “और समावेशी” बनाएगी और बच्चे पालने के खर्च को भी कम करने की कोशिश करेगी। देश में तेजी से बढ़ती बुजुर्गों की आबादी को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही है। मई में हुई जनगणना में सामने आया कि पिछले दशक में चीन की जनसंख्या बढ़ने की गति 1950 के दशक के बाद से अभी तक की सब्सि धीमी गति रही। इससे सरकार पर लोगों को और बच्चे पैदा करने के लिए प्रलोभन देने का दबाव और बढ़ गया। 31 मई 2021 को एक बड़े नीतिगत बदलाव के तहत लोगों को तीन बच्चे पैदा करने की इजाजत दे दी गई। तब विशेषज्ञों ने कहा कि अगर सरकार जल्द अधिकतम दो बच्चे पैदा करने की नीति को खत्म नहीं करती है तो अगले पांच सालों में हर साल में एक करोड़ से भी कम बच्चे पैदा हो सकते है।

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