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गहलोत सरकार की कैबिनेट में जल्द हो सकती है बड़ी फेरबदल


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जयपुर – देश की सबसे पुरानी राजकीय पार्टी कांग्रेस राजस्थान में कई बड़े बदलाव करने जा रही है। कांग्रेस हाईकमान राजस्थान में एक व्यक्ति, एक पद’ का फॉर्मूला लागू करने जा रही है। इस फॉर्मूले के लागू होने के साथ ही गहलोत कैबिनेट में बदलाव देखने को मिल सकते है। अब देखना ये रहेगा इससे उनको आने वाले चुनाव में कितना फायदा मिलेगा।

बता दे की राजस्थान में लंबे समय से सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही सियासी वर्चस्व की जंग पर अब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने विराम लगाने का फैसला किया है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर बैठकों के बीच पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है। पायलट की इस मुलाकात के बाद गहलोत मंत्रिमंडल में जल्द फेरबदल तय है। इस फेरबदल में क्षेत्रीय व जातीय संतुलन बनाने के साथ पायलट समर्थकों को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। गहलोत कैबिनेट के तीन मंत्रियों को कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है। ऐसे में कैबिनेट विस्तार में 12 मंत्री पद भरे जाएंगे। सचिन पायलट गुट के कितने नेताओं को मंत्री बनाया जाता है और बसपा छोड़कर कांग्रेस में आने वाले किन नेताओं को जगह मिलेगी।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करने के लिए राजी हो गए है। 200 विधायकों वाले राजस्थान विधानसभा में अधिकतम 30 मंत्री बनाए जा सकते है। गहलोत कैबिनेट में उनके सहित 21 मंत्री है। चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा को गुजरात और राजस्व मंत्री हरीश चौधरी को पंजाब का कांग्रेस प्रभारी का जिम्मा दिया गया है। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद भी संभाल रहे है। ऐसे में एक व्यक्ति एक पद के फॉर्मूले के चलते गहलोत सरकार के इन तीनों मंत्रियों को मंत्री और संगठन की जिम्मेदारी में से एक चुनना होगा। अगर तीनों ही नेता मंत्री पद छोड़ सकते है। ऐसे में वो इस्तीफा देते है तो करीब 12 मंत्री पद खाली हो जाएंगे।

पायलट ने कहा कि एक साल पहले जो बात उन्होंने रखी थी, आलाकमान उस पर कार्रवाई कर रहा है और जल्द निर्णय लिए जाएंगे। फेरबदल में विलंब जरूर हुआ है, प्रदेश प्रभारी मुख्यमंत्री से बात कर फैसला करेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव में 22 माह बचे है, वह चाहते हैं कि मजबूती से चुनाव लड़े और हर पांच साल में सरकार बदलने की परिपाटी तोड़े। इससे पहले गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पार्टी अध्यक्ष से मुलाकात की थी। गहलोत ने कहा था कि फेरबदल पर फैसला उन्होंने पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया है। गहलोत ने प्रियंका गांधी वाड्रा और अजय माकन के साथ भी बैठक की थी।

गहलोत कभी भी अपने मंत्रिमंडल की अधिकतम सीमा 30 को पूरा नहीं करेंगे। वे 2-3 मंत्रियों की जगह जरूर खाली रखना चाहेंगे, जिससे कभी भी असंतोष की स्थिति पनपने पर मंत्रिमंडल में शामिल करने का रास्ता खुला रह सके। कैबिनेट विस्तार में सचिन पायलट गुट के कितने नेताओं को मंत्रियों की लिस्ट में जगह मिलेगी, इस पर सस्पेंस बना हुआ है। डोटासरा की टीम में सचिन पायलट कैंप के 11 नेता सदस्य शामिल है। प्रदेश संगठन में 11 विधायकों को डोटासरा ने अपनी टीम में रखा है। जिनमें पायलट गुट के 3 विधायक है तो गहलोत खेमे के 7 विधायक है। विधायक वेदप्रकाश सोलंकी, राकेश पारीक और जीआर खटाणा राजस्थान कांग्रेस महासचिव बनाए गए है, जो पायलट के नजदीकी माने जाते है। जुलाई 2020 में बगावत के दौरान सचिन पायलट के साथ तीनों ही विधायक हरियाणा के मानेसर में मौजूद रहे थे। ऐसे में अब मंत्रिमंडल के एक व्यक्ति एक पद के चलते पायलट के इन तीनों करीबी नेताओं को मंत्री पद मिलना मुश्किल लग रहा है।

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