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इस दिवाली पर बच्चों को दिलवाये सिर्फ ग्रीन पटाखे, दूसरे पटाखों से है अलग


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नई दिल्ली – 2017 में पटाखों और आतिशबाजियों पर लगे पूर्ण प्रतिबंध में ढील देते हुए शीर्ष अदालत ने ग्रीन क्रैकर्स की इजाजत दी थी. इन्हें काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSIR-NEERI) के एक्सपर्ट्स ने तैयार किया है. इनके जलने से कम प्रदूषण होता है. इससे दीवाली का मज़ा कम नहीं होता, क्योंकि ये ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज़ में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं. आम पटाखों की तुलना में इनके शेल का आकार भी कम होता है. ग्रीन पटाखे कम प्रदूषण फैलाने वाले कच्चे माल से बने होते हैं.

आप जानते हैं क्या है ये ग्रीन पटाखे हैं? और ये कैसे पुराने परंपरागत पटाखों से अलग हैं? साल 2017 में पटाखों और आतिशबाजियों पर लगे पूर्ण प्रतिबंध में ढील देते हुए शीर्ष अदालत ने ग्रीन क्रैकर्स (Green Crackers) की इजाजत दी थी. इन्हें काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSIR-NEERI) के एक्सपर्ट्स ने तैयार किया है. इनके जलने से कम प्रदूषण होता है. इससे दीवाली का मज़ा कम नहीं होता, क्योंकि ये ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज़ में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं. आम पटाखों की तुलना में इनके शेल का आकार भी कम होता है.

जैसे ही दिवाली (Diwali 2021) पास आने लगती है, पटाखों (Crackers) और प्रदूषण (Pollution) की चर्चा खबरों की सुर्खियों का अहम हिस्सा बन जाती है. कभी पर्यावरण (Environment) के लिए काम करने वाले संगठन पटाखों पर बैन लगाने के लिए कोर्ट का रुख करते हैं, तो कभी ट्रेडर्स एसोसिएशन वाले अपने होने वाले नुकसान को लेकर दुहाई देने लगते हैं. दरअसल प्रदूषण व आतिशबाजी के कारण हवा की गुणवत्ता प्रभावित होने से सांस, दमा, अस्थमा व कोविड के कारण फेफड़ों में संक्रमण झेल चुके मरीजों की परेशानी बढ़ने लग जाती है. पिछले कई सालों में दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कोर्ट ने केवल ग्रीन पटाखों को अनुमति दी है. खतरनाक और प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों की जगह इन ग्रीन पटाखों के बारे में हम आपको कुछ अहम जानकारी देते हैं.

क्या हैं ग्रीन पटाखे
ग्रीन पटाखों में बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल नहीं हुआ है, इसके अलावा एल्युमिनियम की मात्रा भी काफी कम रखी हुई है। राख का इस्तेमाल इनमें नहीं किया गया है. जिसकी वजह से इन पटाखों को छोड़ने से पीएम 2.5 और पीए 10 की मात्रा में 30 से 35 पर्सेंट की गिरावट आने का दावा किया जा रहा है. कई केमिकल का इस्तेमाल न होने की वजह से ग्रीन पटाखे केवल सिर्फ सफेद और पीली रोशनी ही देंगे।साथ ही लोगों को यह बताना बहुत जरूरी है कि इनसे भी 70 पर्सेंट तक प्रदूषण होता है। वहीं, ऐसे मामले भी पकड़े गए हैं, जहां ग्रीन पटाखों की पैकिंग में सामान्य पटाखे निकले हैं. इनके पैकेट में सामान्य पटाखे भर कर बेचा जा रहा है.

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