x
लाइफस्टाइल

गणेश जी ने चंद्रमा को दिया था श्राप,जानें पौराणिक कथा


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्लीः भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है. बता दें कि किसी भी मांगलिक कार्य को शुरू करने से पहले सर्वप्रथम भगवान गणेश की उपासना की जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान गणेश प्रथम पूज्य देवता हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उनकी उपासना करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, बल और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. बता दें कि भगवान गणेश जी गजमुख हैं. यदि हम भगवान गणेश जी के चित्र या प्रतिमा देखते हैं तो उसमें उनका स्वरूप- छोटा कद, मोटा पेट और उनके सवारी के रूप में मूषक को दिखाया जाता है. इसी रूप को देखकर एक बार चंद्र देव ने गणेश जी से मजाक किया था, जिस वजह से उन्हें गणेश जी के क्रोध का सामना करना पड़ा था. आइए जानते हैं, इससे जुड़ी रोचक कथा.

गणेश जी और चंद्रमा की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, बात उस समय की है, जब श्री गणेश कुबेर का अभिमान नष्ट कर उसके घर से कैलाश की ओर लौट रहे थे. रात्रि हो चुकी थी और चन्द्रमा की रोशनी से कैलाश चमक रहा था, तभी मूषक के सामने से एक सर्प गुजरा, जिसके भय से मूषक उछला और उस पर विराजमान गणेश जी अपना संतुलन खो बैठे और गिर गए.

चंद्रमा ने उड़ाया मज़ाक

वे उठकर खड़े हुए और इधर-उधर देखने लगे कि कहीं किसी ने उन्हें गिरते हुए देखा तो नहीं है ना! यह देख वह संतुष्ट हो गये कि किसी ने उन्हें गिरते नहीं देखा. तभी उन्हें किसी व्यक्ति की ज़ोर-ज़ोर से हंसने की आवाज़ सुनाई दी परंतु इधर-उधर तो दूर दूर तक कोई नहीं था. तभी उन्होंने ऊपर की तरफ देखा तो आसमान में चन्द्रमा को उनके ऊपर हंसता हुआ पाया, यह देख गणेश जी को शर्म आई.

जब चंद्रदेव पर क्रोधित हुए थे भगवान गणेश

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान गणेश एक बार धन के देवता कुबेर के घर गए थे और उनके अभिमान को नष्ट किया था. जब वह वापस घर लौट रहे थे, तब गणपति जी भूषक की सवारी कर रहे थे और जल्दबाजी में मूषक लड़खड़ा कर फिसल गया और गणपति जी भी मूषक के पीठ से फिसलकर गिर गए.

गिरने के बाद गजानन महाराज उठे और उन्होंने अपने आप को देखा. तभी उन्हें एक व्यक्ति के जोर-जोर से हंसने की आवाज आई. जब उन्होंने आसपास देखा तो आसमान में चंद्र देव उन्हें देख कर हंस रहे थे. गणेश जी को इससे बहुत बुरा लगा. साथ ही चंद्र देव ने अभिमान वश व्यंग्य करते हुए गणेश जी के शरीर और उनकी सवारी का मजाक उड़ाया, जिस पर भगवान गणेश बहुत क्रोधित हो गए. तब गणपति जी ने चंद्र देव को यह श्राप दिया कि ‘अपने जिस रोशनी पर तुम्हे इतना अभिमान है, वह तुमसे दूर हो जाए.’

भगवान गणेश के ऐसा कहते ही चांद का रंग काला पड़ने लगा और सभी ओर अंधकार छा गया. अपनी गलती का आभास होते ही चंद्र देव ने भगवान गणेश से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी और श्राप वापस लेने की प्रार्थना की. चंद्र देव की स्थिति देखकर भगवान गणेश ने कहा कि ‘मैं अपना श्राप वापस तो नहीं ले सकता, लेकिन एक वरदान जरूर दूंगा कि पूरे माह में केवल एक दिन ही तुम्हारी रोशनी पूरी तरह से खो जाएगी. लेकिन अन्य सभी दोनों पर तुम्हारा तेज काम या अधिक होता रहेगा और विशेष त्योहारों पर तुम्हारी पूजा की जाएगी.

चंद्रमा ने खो दी अपनी चांदनी

गणेश जी के मुख से श्राप निकलते ही वह हकीकत में बदल गया और सम्पूर्ण आकाश में अंधकार छा गया, यह देख चन्द्रमा गणेश जी के शरणागत होकर बोला, “हे दुःखहर्ता! मुझे बहुत बड़ी भूल हो गई, जो मैंने अभिमानवश आपका परिहास किया, अगर मेरी चांदनी ही चली जाएगी तो मेरा वजूद ही ख़त्म हो जाएगा. मुझे अपने किए का एहसास है, कृपा कर मुझे माफ़ करें भगवन और अपना श्राप वापस लें.

चंद्रमा को दिया वरदान

चंद्रमा की क्षमा-याचना सुनकर और उसे शरणागत होते देख गणेश जी महाराज का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने कहा, “अपना श्राप तो वापस नहीं ले सकता परंतु तुम्हें एक वरदान भी देता हूं, यह तो होगा कि तुम अपनी रोशनी खो दोगे परंतु केवल माह में एक दिन के लिए, उसके अलावा तुम्हारा तेज कम-ज़्यादा होता रहेगा. इसके अलावा कुछ खास त्योहारों पर तुम्हारी पूजा भी की जाएगी.”

Back to top button