डेंगू से लड़ने के लिए वैज्ञानिकों ने बनाए ‘अच्छे’ मच्छर!
नई दिल्ली – उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में डेंगू का प्रकोप है. सैकड़ों लोग इस बीमारी से पीड़ित है। कई लोग तो अस्पतालों में भी भर्ती हैं. कई बार यह जानलेवा भी साबित हो जाता है. दरअसल, मेडिकल साइंस में डेंगू का कोई कारगर इलाज नहीं है. इसे एक ऐसी बीमारी माना जाता है जिससे हमारा शरीर खुद लड़ता है और उसे खुद ठीक करता है.
इस बीच इंडोनेशिया से एक अच्छी खबर आई है. वहां के शोधकर्ताओं ने डेंगू के मच्छर से लड़ने के लिए मच्छरों की एक दूसरी प्रजाति को पालने का तरीका इजाद किया है. उनका दावा है कि इन मच्छरों के अंदर एक तरह का बैक्टीरिया होता है जो डेंगू के वायरस से लड़ सकता है. डाउन टू अर्थ वेबसाइट के मुताबिक इस शोध की शुरुआत विश्व मच्छर कार्यक्रम (World Mosquito Program) यानी डब्ल्यूएमपी के तहत हुई थी. इस शोध में वोल्बाचिया नामक एक बैक्टीरिया के बारे पता चला जो कीड़े-मकोड़ों की 60 से अधिक प्रजातियों में पाया जाता है. इनमें कुछ खास तरह के मच्छर, फल, मक्खियां, कीट-पतंगे, ड्रैगनफ्लाई और तितलियां भी शामिल हैं. लेकिन यह बैक्टीरिया डेंगू फैलाने वाले एडीज एजिप्टी मच्छरों में नहीं पाया जाता है.
डब्ल्यूएमपी के मुताबिक सैद्धांतिक रूप से हम अच्छे मच्छरों को पाल रहे हैं. डेंगू फैलाने वाले मच्छर वोल्बाचिया वाले मच्छरों के साथ प्रजनन करेंगे जिसे वोल्बाचिया मच्छर पैदा होंगे. इस मच्छर में वोल्बाचिया बैक्टीरिया के पाए जाने के कारण इसे अच्छे मच्छर कहा जाता है. अगर वे लोगों को काटते भी हैं तो उससे इंसार को कोई संक्रमण नहीं लगेगा.
डेंगू के देसी इलाज
मेडिकल साइंस में डेंगू का कारगर इलाज नहीं होने के कारण तमाम लोग देसी इलाज को अपनाते हैं. हालांकि, मेडिकल साइंस इसे प्रमाणित नहीं करता है. डेंगू के देसी इलाज में पपीते के पत्ते का रस और बकरी का दूध दिया जाता है. वैसे ये चीजें हर्बल हैं और इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं है. इसलिए इन चीजों को मरीज को देने में कोई दिक्कत नहीं है.