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भारत ने तारपीडो की खरीद के लिए अमेरिका के साथ किया करार


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नई दिल्ली – हालही में भारत के रक्षा मंत्रालय ने देश की सैन्य शक्ति को बढ़ावा मिले इसलिए अमेरिका की सरकार के साथ करार किया है। इससे भारत की सैन्य ताकत में काफी मजबूती मिलेगी। यह डील भारतीय नौसेना को मजबूत बनाने के लिए की गई है।

रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को ट्विटर पर ट्वीट करके इस बात की जानकारी देते हुए ट्वीट किया था की इन उपकरणों का इस्तेमाल समुद्री निगरानी में लगे विमानों, पी-8 आई विमानों तथा पनडुब्बियों में किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका सरकार के साथ नौसेना के लिए रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए 423 करोड़ रुपये के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए है। इसके तहत नौसेना के लिए एमके 54 तारपीडो एवं अन्य उपकरणों की खरीद की जाएगी। एमके 54 टॉरपीडो और एक्सपेंडेबल (चाफ तथा फ्लेयर्स) की खरीद के लिए विदेश सैन्य बिक्री (एफएमएस) के तहत अमेरिका की सरकार के साथ करार पर हस्ताक्षर किये गए है। 12.75-इंच (324 मिमी) पनडुब्बी रोधी युद्ध (एएसडब्ल्यू) संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला टारपीडो है।

मिली जानकारी के अनुसार भारतीय नौसेना के बेड़े में कुल 11 पी-8आई विमान हैं। इनकी मैन्‍यूफैक्‍चरिंग अमेरिकी एयरोस्‍पेस कंपनी बोइंग ने की है। पी-8आई विमान को इसकी पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमताओं के साथ ही आधुनिक समुद्री टोही क्षमताओं के लिए भी जाना जाता है। यह कस्टम पावरपीसी 603e माइक्रोप्रोसेसर के आधार पर एमके 48 एडीसीएपी भारी टारपीडो के अधिकांश सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर हार्डवेयर साझा करता है।

अमेरिकी नौसेना के लाइटवेट हाइब्रिड टारपीडो कार्यक्रम के तहत रेथियॉन इंटीग्रेटेड डिफेंस सिस्टम्स और यूएस नेवी द्वारा सह-विकसित किया गया था। एमके 50, सोवियत अल्फा वर्ग जैसे बहुत उच्च प्रदर्शन परमाणु पनडुब्बियों का मुकाबला करने के लिए विकसित किया गया था, अपेक्षाकृत धीमी पारंपरिक पनडुब्बियों के खिलाफ उपयोग करने के लिए बहुत महंगा माना जाता था। पुराने एमके 46, खुले समुद्र के उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया, तटवर्ती क्षेत्रों में खराब प्रदर्शन किया, जहां नौसेना ने भविष्य में काम करने की संभावना की कल्पना की थी।

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