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लाइफस्टाइल

Mohini Ekadashi 2024: सिद्धि योग में मोहिनी एकादशी,मोहिनी एकादशी पर ही स्वरभानु बना राहु-केतु

नई दिल्ली – राहु-केतु (Rahu Ketu) को ज्योतिष में रहस्यमयी और छाया या पापी ग्रह कहा जाता है. जिसका नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं. आमतौर पर राहु-केतु को सूर्य और चंद्रमा को दंश देने को लेकर जाना जाता है. लेकिन वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली मोहिनी एकादशी का भी संबंध राहु-केतु से है.

मोहिनी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि

एकादशी तिथि, हस्त नक्षत्र, वज्र योग, विष्टि करण, पश्चिम का दिशाशूल और दिन रविवार है. मोहिनी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि समेत 4 शुभ योग बन रहे हैं. उस दिन सुबह से ही पाताल की भद्रा है, जिसका दुष्प्रभाव पृथ्वी पर नहीं माना जाता है. हालांकि भद्रा में व्रत और पूजा पाठ की मनाही नहीं है. मोहिनी एकादशी के दिन बना सर्वार्थ सिद्धि योग आपके मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला है. एकादशी पर सुबह में स्नान आदि से निवृत होकर आपको भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.

भगवान विष्णु को पीले फूल, चंदन, हल्दी, फल, पंचामृत, तुलसी के पत्ते, नैवेद्य आदि अर्पित करना चाहिए. फिर मोहिनी एकादशी की व्रत कथा सुनें या पढ़ें. जो व्यक्ति मोहिनी एकादशी का व्रत कथा सुनता या पढ़ता है, उसे 1000 गोदान करने के समान पुण्य प्राप्त होता है. विष्णु कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा जो लोग रविवार व्रत रखते हैं, वे सुबह में स्नान बाद सूर्य देव की पूजा करें. उनको जल, गुड़ और लाल पुष्प से अर्घ्य दें. सूर्य देव के मंत्र का जाप करें या सूर्य चालीसा का पाठ करें.

तिथि

हिन्दू काल गणना के अनुसार ‘चन्द्र रेखांक’ को ‘सूर्य रेखांक’ से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। एक माह में तीस तिथियां होती हैं और ये तिथियां दो पक्षों में विभाजित होती हैं। शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है।आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। 27 नक्षत्रों के नाम- अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।

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