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कोयले की कमी की वजह से दिल्ली में गहरा सकता है बिजली संकट


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नई दिल्ली – भारत एक बार फिर बिजली संकट के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया है। देश में कोयले से चलने वाले 135 पावर प्लांट में से आधे से ज्यादा ऐसे है, जहां कोयले का स्टॉक खत्म होने वाला है, केवल 2-4 दिन का ही स्टॉक बचा है। अगर ऐसा हुआ तो देश के कई हिस्सों में अंधेरा छा जाएगा और इनमें राजधानी दिल्ली भी शामिल होगी। राजस्थान और पंजाब के कुछ हिस्सों में बिजली की कटौती होना शुरू हो गया है।

हालही में कोयले की कमी का संकट गहराने के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राजधानी दिल्ली को बिजली की आपूर्ति करने वाले बिजली संयंत्रों के लिए पर्याप्त कोयला और गैस देने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। केजरीवाल ने शनिवार को ट्वीट कर कहा था की दिल्ली को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। मैं व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर पैनी नजर रख रहा हूं। हम इससे बचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस बीच, मैंने माननीय प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली में बिजली वितरण करने वाली टाटा पावर की शाखा टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (डीडीएल), जो मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में काम करती है, उसने अपने ग्राहकों को फोन पर मैसेज भेजकर इसकी जानकारी दी है और उनसे शनिवार दोपहर बाद से बिजली का विवेकपूर्ण उपयोग करने का आग्रह किया है। ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने देश में थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले की कमी को स्वीकार किया था और इसे सामान्य स्थिति से परे करार दिया था।

भारत में इस्तेमाल होने वाली बिजली का 71 फीसदी थर्मल पावर प्लांट्स के जरिए पूरा होता है। थर्मल पावर प्लांट्स में कोयला संयंत्रों के अलावा गैस, डीजल और नेचुरल गैस बेस्ड प्लांट शामिल है। इसके अलावा देश की बिजली डिमांड का 62 फीसदी भारत के विशाल कोयला रिजर्व के जरिए पूरा होता है। बाकी डिमांड आयातित कोयले से पूरी होती है।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कमजोर होने के साथ ही भारत समेत पूरी दुनिया में बिजली की मांग तेजी से बढ़ी। औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आना भी मांग बढ़ने की एक वजह रहा। 2019 के मुकाबले इस वर्ष के अगस्‍त-सितंबर माह में कोयले की खपत भी करीब 18 फीसदी तक बढ़ गई है। चूंकि मांग पूरी दुनिया में बढ़ी है, इसके चलते वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमतों में 40 प्रतिशत इजाफा हुआ, जिससे भारत का कोयला आयात गिरकर 2 साल के निम्नतम स्तर पर आ गया। इंडोनेशिया से ही आने वाले कोयले की कीमत करीब 60 डॉलर प्रतिटन से बढ़कर 200 डॉलर प्रति टन तक जा पहुंची है। भारत अपनी कोयला डिमांड का 30 फीसदी देश के बाहर से पूरा करता है। जिसके बाद देश के अंदर कोल इंडिया ने भी कोयले की कीमत बढ़ा दी।

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