x
राजनीति

6 साल में बन गये मायावती के उत्तराधिकारी,जानें कौन हैं आकाश आनंद?


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्लीः बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में आयोजित पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और अपनी राजनीतिक विरासत सौंप दी। आकाश आनंद अभी तक बैकग्राउंड में रहकर पार्टी के लिए काम कर रहे थे। हाल ही में सम्पन्न हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने राज्य में पद यात्रा भी की थी। उन्होंने 150 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरने वाली साढ़े तीन हजार किलोमीटर की ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय संकल्प यात्रा’ की थी। आकाश को युवाओं को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि मायावती ने आकाश को उन राज्यों में संगठन को मजबूत करने का जिम्मा सौंपा है, जहां पर पार्टी संगठन कमजोर है। यूपी और उत्तराखंड में संगठन मजबूत करने की जिम्मेदारी बसपा सुप्रीमो खुद संभालेंगी।

कौन हैं आकाश आनंद

आकाश आनंद, बसपा सुप्रीमो मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार पुत्र हैं। कहा जा रहा है कि बीते कई विधानसभा और लोकसभा चुनाव में लगातार हार के बाद मायावती नई पीढ़ी को नेतृत्व देने पर विचार कर रही थीं। आकाश को कई चुनावी राज्यों में प्रभारी भी बनाया गया था।आकाश की स्कूली शिक्षा गुरुग्राम से हुई है। उन्होंने लंदन से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री ली है। वह 2017 से राजनीति में सक्रिय हैं। आकाश आनंद अभी बसपा में नेशनल को-ऑर्डिनेटर के पद पर हैं।

वर्ष 2017 में मायावती ने पार्टी कैडर को दिया था संदेश

वर्ष 2017 में मायावती ने सहारनपुर में आयोजित एक रैली में पहली बार आकाश आनंद को मंच पर अपने साथ बैठाकर पार्टी कैडर को संदेश दिया कि भविष्य में आकाश ही बसपा संगठन में अहम भूमिका निभाने वाले हैं। वहीं, वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में आकाश को स्टार प्रचारक बनाया गया था। साथ ही युवाओं को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी भी सौंपी थी।बीते वर्ष मार्च माह में मायावती ने आकाश को पार्टी का नेशनल कोआर्डिनेटर बनाकर सबको चौंका दिया था। आकाश की शादी पार्टी के पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ की पुत्री डॉ. प्रजा से बीते मार्च माह में हुई थी।

पार्टी को सोशल मीडिया पर चमकाया

आकाश आनंद ने पार्टी में मिली जिम्मेदारियों के बाद सबसे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को जरिया बनाकर लोगों के बीच पहुंच बनानी शुरू की। ट्विटर (अब एक्स), फेसबुक आदि माध्यमों के जरिए बसपा सोशल मीडिया पर बाकी दलों की तरह अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लगी। बसपा सुप्रीमो मायावती के एक्स हैंडल का सारा काम भी आकाश आनंद की निगरानी में होता है।

सहारनपुर से लांचिंग

सहारनपुर में लांचिंग के बाद आकाश आनंद का कद हर दिन पार्टी में बढ़ता गया है. बीते लोकसभा चुनाव के बाद से हर दिन उनका कद बढ़ता चला गया है. बीते यूपी विधानसभा चुनाव के बाद से ही उन्हें मायावती के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाने लगा था. हालांकि मायावती ने इसकी औपचारिक घोषणा रविवार को कर दी. लेकिन आकाश आनंद को ये दायित्व ऐसे वक्त में मिला है जब पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. बीते दो विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन काफी खराब रहा है. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने 10 सीटें जीती थीं. लेकिन उस वक्त बीएसपी से समाजवादी पार्टी का गठबंधन था और उसकी फायदा उन्हें मिला. लेकिन बीते यूपी विधानसभा चुनाव से पार्टी में कामकाज का ट्रांसफर आकाश आनंद के जिम्मे जाने लगा था. बीते चुनाव में मैनेजमेंट से लेकर प्रत्याशी तय करने तक उनका रोल काफी अहम रहा.

राजस्थान में पद यात्रा

सबसे खास बात ये है कि अभी पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उनका कद काफी बढ़ा है. राजस्थान विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ही उन्होंने राज्य में पद यात्रा की. उन्होंने अपनी छवी को निखारने को जमीनी स्तर पर अपने कद को बढ़ाने में पूरा जोर लगाया है. इस चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत के बावजूद बीएसपी राज्य में नंबर तीन पार्टी बनी और तमाम क्षेत्रीय दलों के मुकाबले लोगों को बीएसपी में ज्यादा भरोषा दिखा है. इतना ही नहीं मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीएसपी की प्रतिद्वंदी पार्टी सपा के मुकाबले उसे कहीं ज्यादा वोट मिले. बीएसपी को राज्य में 14 लाख से ज्यादा वोट मिले तो सपा को दो लाख वोट भी नहीं मिले. सपा को राजस्थान में चार हजार वोट भी नहीं मिले तो दूसरी ओर बीएसपी को 7 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं. अब मायावती ने आकाश आनंद को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की जिम्मेदारी दे दी है. इसके अलावा आकाश आनंद छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर समेत तमाम जिम्मेदारियों को बीते 3 सालों से निभा रहे हैं. अब आकाश आनंद को बीते 5 सालों से राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हैं. लेकिन उनकी असली परीक्षा 2024 में आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान होगी. अखिलेश यादव और बीजेपी की दोहरी चुनौती का सामना उन्हें करना होगा.

Back to top button