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Cell Therapy से Cancer के मरीजों को काफी फायदा,ये है ट्रीटमेंट


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नई दिल्ली – किसी इंसान को कैंसर हो जाए तो उसको अपनी दुनिया खत्म होती हुई नजर आने लगती है, लेकिन अब उनकी जिंदगी में उम्मीद की किरण दिखने लगी है. 15 साल से ऊपर के कैंसर पेशेंट जो पारंपरिक इलाज कीमोथेरेपी (Chemotherapy) या बोन मैरो ट्रासप्लांट (Bone Marrow Transplant) पर ज्यादा रिस्पॉन्ड नहीं करते, उनके लिए मेड इन इंडिया सीएआर-टी सेल थेरेपी (CAR-T Cell Therapy) लाई गई है. इसके जरिए बी सेल लिंफओमस (B-cell Lymphomas) और बी-एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया B-acute Lymphoblastic Leukaemia) का इलाज किया जाएगा.

बीमारियों से लड़ने में उनसे सुरक्षा

टी-सेल शरीर में जीवाणु से होने वाली बहुत सी बीमारियों से लड़ने व उनसे सुरक्षा में सहायता करते हैं। टी-सेल ट्यूमर जैसी खतरनाक बीमारी से भी बचाता है. प्राकृतिक रूप से शरीर में पाई जानी वाली टी-सेल ट्यूमर को विभिन्न कारणों से समाप्त नहीं कर पाते.ऐसे में इनकी क्षमता को जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से बढ़ाया जाता है.टी-सेल के जरिये कैंसर का भी इलाज किया जा सकता है.कार्यक्रम में सूक्ष्म जीव विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. तुहिना वर्मा ने कहा कि टी-सेल कई बीमारियों के उपचार में सहायक है. बीमारियों की सही पहचान होने पर इसके माध्यम से उपचार किया जा सकता है. कार्यक्रम का संचालन डाॅ. रंजन सिंह ने किया। इस मौके पर प्रो. राजीव गौड़, प्रो. शैलेंद्र कुमार, डाॅ. सोनी तिवारी, आजाद पटेल, अनिल कुमार मौजूद रहे.

इतने मरीजों का सफल इलाज

कैंसर के इलाज के लिए ये थेरेपी दिल्ली के अस्पताल में उपलब्ध है. नवंबर 2022 से लेकर दिसंबर 2023 तक अपोलो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स ने 6 मरीजों को ये थेरेपी दी जो कामयाब रही है. इसमें 5 वयस्क और एक बच्चा शामिल था. इन मरीजों में से 4 को क्लिनिकल ट्रायल के तहत इंडिजिनस थेरेपी दी गई, जिनमें से 2 मरीजों ने कमर्शियली इंटरनेशनल सीएआर-टी सेल थेरेपी हासिल की.अपोलो हॉस्पिटल्स इंटरप्राइजेज लिमिटेड में ऑन्कोलॉजी एंड इंटरनेशनल के ग्रुप प्रेसिडेंट दिनेश माधवन (Dinesh Madhavan) ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इनमें से 3 कैंसर मरीजों ने सीएआर-टी सेल थेरेपी दिए जाने के बाद एक साल पूरा कर लिया है और अभी सेहतमंद हैं. इसके अलावा कम से कम 10 और पेशेंट को ये थेरेपी दी जा रही है, ये ट्रीटमेंट अब कमर्शियल तौर पर उपलब्ध होगा.

कितना खर्च आएगा?

दिनेश माधवन ने आगे कहा, ‘इस ट्रीटमेंट का खर्च 75 लाख से 90 लाख तक आएगा’ इस इंडिजिनस थेरेपी का अप्रूवल आ चुका है जिसके तहत बी सेल लिंफओमस (B-cell Lymphomas) और बी-एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया के 15 साल से ऊपर के मरीज का इलाज किया जा सकेगा.

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