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Valmiki Jayanti 2023: जानें रामायण के रचियता महर्षि वाल्मीकि का इतिहास और उनसे जुड़ी रोचक बातें


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नई दिल्लीः शरद पूर्णिमा का दिन मां लक्ष्मी-चंद्रमा की पूजा के अलावा एक और कारण से महत्वपूर्ण माना जाता है. शरद पूर्णिमा पर महर्षि वाल्मीकि की जयंती मनाई जाती है. हिंदू धर्म में महर्षि वाल्मीकि को श्रेष्ठ गुरु माना जाता है, कहते हैं कि पहले वाल्मीकि जी डाकू थे, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि उनका जीवन बदल दिया और उन्होंने भगवान श्री राम (Lord Rama) के जीवन पर आधारित रामायण महाकाव्य लिख दी. महर्षि वाल्मीकि का जीवन बहुत ही संघर्षों से भरा रहा है. शरद पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वाल्मीकि की जयंती मनाई जाती है, वैसे तो शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा होती है लेकिन इस दिन महर्षि वाल्मीकि की जयंती का भी विशेष महत्व होता है.

कौन थे महर्षि वाल्मीकि

वाल्मीकि जी पहले डाकू थे लेकिन फिर एक घटना ने उनका जीवन ऐसा बदला कि उन्होंने भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित रामायण नामक महाकाव्य लिख दिया. आदिकवि माने गए महर्षि वाल्मीकि का जीवन बहुत दिलचस्प रहा है. इस साल वाल्मीकि जयंती 28 अक्टूबर 2023 को है. महर्षि वाल्मीकि का असली नाम रत्नाकर था, कहा जाता है कि यह ब्रह्मा जी के मानस पुत्र प्रचेता के बेटे थे. वहीं कुछ जानकार वाल्मीकि जी को महर्षि कश्यप चर्षणी का बेटा भी मानते हैं. कहा जाता है कि एक भीलनी ने बचपन में महर्षि वाल्मीकि का अपहरण कर लिया था और भील समाज में ही उनका पालन पोषण हुआ. भील लोग जंगल के रास्ते से गुजरने वाले राहगीरों को लूट लिया करते थे और महर्षि वाल्मीकि भी इसी परिवार के साथ डकैत बन गए थे.

ऐसे गुजरा महर्षि वाल्मीकि का बचपन

ग्रंथों के अनुसार महर्षि वाल्मीकि का मूल नाम रत्नाकर था. इनके जन्म को लेकर कई मत है, मतानुसार ये ब्रह्माजी के मानस पुत्र प्रचेता की संतान थे. वहीं जानकारों के अनुसार वाल्मीकि जी को महर्षि कश्यप -चर्षणी की संतान माना जाता है. इन्होंने ब्राह्मण कुल में जन्म लिया था लेकिन एक भीलनी ने बचपन में इनका अपहरण कर लिया और भील समाज में इनका लालन पालन हुआ. भील लोग जंगल के रास्ते से गुजरने वालों को लूट लिया करते थे. रत्नाकर ने भी इसी परिवार के साथ डकैती का काम करना शुरू कर दिया.

एक घटना ने बदली डाकू की जिंदगी

कहा जाता है कि एक बार नारद मुनि जंगल के रास्ते जाते हुए डाकू रत्नाकर के चंगुल में आ गए थे. तब नारद जी ने उनसे कहा कि इसमें कुछ हासिल नहीं होगा. रत्नाकर ने उनसे कहा कि वो ये सब परिवार के लिए करते हैं. तब नारद मुनि ने उनसे सवाल किया कि क्या तुम्हारे घर वाले भी तुम्हारे बुरे कर्मों के साझेदार बनेंगे? इस पर रत्नाकर ने अपने घर वालों के पास जाकर नारद मुनि का सवाल दोहराया, जिस पर उन्होंने इनकार कर दिया. इससे डाकू रत्नाकर को बड़ा झटका लगा और उनका हृदय परिवर्तन हो गया

महर्षि वाल्मीकि के जीवन से जुड़ी रोचक बातें

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार नारद मुनि जंगल के रास्ते जाते हुए डाकू रत्नाकर के चंगुल में आ गए. नारद जी ने रत्नाकार से कहा कि इस कुकर्म से उसे कुछ हासिल नहीं होगा. रत्नाकार ने कहा कि वह ये सब परिवार के लिए करता है. तब बंदी नारद मुनि ने रत्नाकर से सवाल किया कि क्या तुम्हारे घरवाले भी तुम्हारे बुरे कर्मों के साझेदार बनेंगे. रत्नाकर ने अपने घरवालों के पास जाकर नारद मुनि का सवाल दोहराया. जिसपर उन्होंने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया. डाकू रत्नाकर को इस बात से काफी झटका लगा और उसका ह्रदय परिवर्तन हो गया.

राम से प्रेरित होकर लिखा महाकाव्य

कहा जाता है कि नारद मुनि से प्रेरित होकर रत्नाकर ने राम नाम का जाप करना शुरू किया, लेकिन उनके मुंह से राम की जगह मरा मरा शब्द निकल रहे थे. नारद मुनि ने कहा यही दोहराते रहो इसी में राम छुपे हैं. इसके बाद रत्नाकर के मन में राम नाम की ऐसी अलख जगी कि उनकी तपस्या देखकर ब्रह्मा जी ने उन्हें खुद दर्शन दिए और उनके शरीर पर लगे बांबी को देखकर ही ब्रह्मा जी ने उन्हें वाल्मीकि नाम दिया. महर्षि वाल्मीकि को ब्रह्मा जी से ही रामायण की रचना करने की प्रेरणा मिली. उन्होंने संस्कृत में रामायण लिखी, जिसे सबसे पुरानी रामायण माना जाता है और कहते हैं कि इसमें 24000 श्लोक हैं.

यहां से मिली रामायण लिखने की प्रेरण

ब्रह्माजी ने महर्षि वाल्मीकि को रामायण की रचना करने की प्रेरणा दी. इन्होंने रामायण संस्कृत में लिखी थी जिसे सबसे प्रचीन रामायण माना जाता है. इसमें 24,000 श्लोक हैं.

महर्षि वाल्मीकि जयंती

देश भर में महर्षि बाल्मीकि की जयंती को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर शोभा यात्राओं का आयोजन भी होता है. महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित पावन पवित्र ग्रंथ रामायण जिसमें प्रेम, त्याग, तप व यश की भावनाओं को महत्व दिया गया है. वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना करके हर किसी को सदमार्ग पर चलने की राह दिखाई.

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