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विज्ञान

भारी न्यूट्रॉन तारे को वैज्ञानिकों ने क्यों दिया है ब्लैक विडो नाम?


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नई दिल्ली – तारों के जीवन के अंतिम पड़ाव पर जब तारे का क्रोड़ अपने ही गुरुत्व में सिमट जाता है तब न्यूट्रॉन तारे की उत्पत्ति होती है. खगोलविदों ने पहली है अब तक का ज्ञात सबसे भारी न्यूट्रॉन तारा (Heaviest Neutron Star) खोजा है. इस तारे की खास बात यह है कि यह इतनी तेजी से घूम रहा है कि इसने अपने साथी तारे को लगभग पूरी तरह से निगल लिया है और अब तक का सबसे भारी न्यूटॉन तारा बन गया है. वैज्ञानिकों ने इस तारे को ब्लैक विडो (Black Widow) नाम दिया है.

नासा के मुताबिक न्यूट्रॉन तारे में पदार्थ इतना संघनित होता है कि एक शक्कर के घन के आकार के हिस्से का ही भार करीब एक अरब टन होगा जो एवरेस्ट पर्वत के जितना भारी होता है. नए तारे का भार का सूर्य से करीब 2.35 गुना ज्यादा भारी है और अगर यह और ज्यादा भारी होता है तो यह ब्लैक होल में बदल जाएगा.

न्यूट्रॉन तारे अपने अनोखे स्वरूप के लिए जाने जाते हैं. इनका भार सूर्य केभार से 1.3 से 2.5 गुना ज्यादा होता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर तारे के मरने के बाद सिकुड़ते समय उसका भार एक निश्चित सीमा से ज्यादा हो तो वह न्यूट्रॉन तारे की जगह ब्लैक होल बन जाता है. न्यूट्रॉन तारों का आकार एक शहर के आकार के गोले जितना होता है जो करीब 20 किलोमीटर बड़ा होता है.

बहुत से दूसरे ब्लैक विडो के मापन के साथ मिलाने पर शोधकर्ताओं ने दर्शाया कि इस न्यूट्रॉन तारे का भार करीब सूर्य के भार से 2.35 गुना से 0.17 सौरभार कम या ज्यादा होगा. वैज्ञानिक लंबे समय से यह मानते हैं कि जब किसी तारे का क्रोड़ 1.4 सौर भार से ज्यादा हो जाता है और वह खत्म होते होते एक संघनित और सुगठित वस्तु में बदल जाता है कि सभी परमाणुओं का इतना ज्यादा दबाव हो जाता है कि वे न्यूट्रॉन और क्वार्क का सागर बना लेते हैं.

इस नए न्यूट्रॉन तारे को वैज्ञानिकों ने बहुत अधिक चुंबकीय प्रकार का न्यूट्रॉन करार दिया है जिसे पल्सर कहते हैं. पल्सर अपने ध्रुवों से विद्युतचुंबकीय विकिरणों की बीम फेंकते हैं और जब ये तारा घूमता है तो ये बीम पृथ्वी पर स्पंदन या पल्स की तरह दिखाई देती है जैसे लाइट हाउस का प्रकाश घूमता रहता है. इसीलिए इसे पल्सर कहा जाता है.

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