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2nd Day Maa Brahmacharini Puja : मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप


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नई दिल्ली – नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ स्वरूप की पूजा करने का विधान है। माता के नाम से उनकी शक्तियों के बारे में जानकारी मिलती है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली ब्रह्मचारिणी को हमन बार बार नमन करते हैं। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा अराधना करने से आत्मविश्वास, आयु, आरोग्य, सौभाग्य, अभय आदि की प्राप्ति होती है। माता ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी भी कहा जाता है। मां भगवती की इस शक्ति की पूजा अर्चना कने से मनुष्य कभी अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होता और सही मार्ग पर चलता है।

ऐसे पड़ा माता का नाम ब्रह्मचारिणी

शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। अपनी इस तपस्या की अवधि में इन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यन्त कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्र के दूसरे दिन इनके इसी रूप की पूजा और स्तवन किया जाता है।

चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि शुरू – 9 अप्रैल 2024 रात 08.30
चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि समाप्त – 10 अप्रैल 2024, शाम 05.32
लाभ – सुबह 06.01 – सुबह 07.36
अमृत – सुबह 07.36 – सुबह 09.12
शुभ – सुबह 10.47 – दोपहर 12.22

माता ब्रह्मचारिणी का भोग

नवरात्र के इस दूसरे दिन मां भगवती को चीनी का भोग लगाने का विधान है। ऐसा विश्वास है कि चीनी के भोग से उपासक को लंबी आयु प्राप्त होती है और वह नीरोगी रहता है तथा उसमें अच्छे विचारों का आगमन होता है। साथ ही माता पार्वती के कठिन तप को मन में रखते हुए संघर्ष करने की प्रेरणा प्राप्त होती है।

क्या सीख देती हैं मां ब्रह्मचारिणी ?

मां ब्रह्मचारिणी को हिंदू धर्म में ध्यान और अध्यात्म का प्रतीक माना जाता है. देवी का ये स्वरूप व्यक्ति को सांसारिक इच्छाओं से ऊपर उठकर शांति और कम चीजों में भी संतुष्ट रहने का संदेश देता है. शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति अपने मन पर काबू पा लेता है खुशियां उसके कदमों में होती है. देवी ब्रह्मचारिणी ने भी अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र होकर समस्त क्षणभंगुर इच्छाओं का त्याग कर दिया था.वरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में सफेद और लाल रंग के वस्त्र पहनना चाहिए. देवी को सफेद रंग प्रिय है. माता को चमेली के फूलों की माला पहनाएं, इस दौरान ह्रीं या फिर ओम देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः मंत्र का जाप करें. देवी ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini Bhog)को चीनी और पंचामृत का भोग प्रिय है. माता की कथा पढ़े और अंत में आरती कर दें.

मां ब्रह्मचारिणी का स्रोत पाठ

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥

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