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भारतराजनीति

सोनम वांगचुक क्यों जाना चाहते हैं चीन बॉर्डर,निषेधाज्ञा के आदेश भी जारी


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नई दिल्लीः क्लाइमेट एक्टविस्ट सोनम वांगचुक ने लेह में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगे इलाकों में पश्मीना मार्च निकालने का ऐलान किया है। 7 अप्रैल को निकाले जाने वाले पश्मीना मार्च में हजारों लोगों के शामिल होने की संभावना को देखते हुए लद्दाख प्रशासन ने लेह में धारा 144 लागू कर दी है। साथ ही इंटरनेट बैन का आदेश भी जारी किया है।आदेश के मुताबिक इंटरनेट सर्विस को 2G तक कम कर दिया जाएगा। यह आदेश लेह शहर और उसके आसपास के 10 किमी के दायरे में शनिवार शाम 6 बजे से रविवार शाम 6 बजे तक लागू होगा।यह पश्मीना मार्च लद्दाख के उन चारागाहों में चीनी घुसपैठ को उजागर करने और पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्र की जमीनी हकीकतों को सामने लाने के लिए निकाला जाना है।वांगचुक का दावा है कि चीन ने करीब 4000 वर्ग किमी जमीन पर कब्जा कर लिया है। पश्मिनी चरवाहे मार्च में शामिल होंगे जो बताएंगे पहले चारागाह कहां थी और आज कहां है।

जिला मजिस्ट्रेट ने कहा- शांति भंग होने की संभावना

लेह के जिला मजिस्ट्रेट संतोष सुखदेव ने शुक्रवार को CrPC की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी। उनका कहना है कि जिले में शांति भंग होने की संभावना है। एक और नोटिस के मुताबिक किसी भी जुलूस, रैली या मार्च, सार्वजनिक समारोहों और बिना अनुमति के वाहन पर लगे लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर बैन लगाया गया है।

क्या बोले सोनम वांगचुक

लेह में एपेक्स बॉडी के सदस्य वांगचुक ने कहा कि वे अपने आंदोलन में गांधीवादी दृष्टिकोण अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम (महात्मा) गांधी के सत्याग्रह के अनुयायी हैं। हम इस (बीजेपी) सरकार के अपने घोषणापत्र के माध्यम से किए गए वादों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं, जिसके कारण इसके उम्मीदवारों को संसदीय चुनाव (2019 में) और लेह में पहाड़ी परिषद चुनावों (2020) में जीत मिली।

वांगचुक ने वीडियो मैसेज में कहा- प्रशासन दबाव बना रहा

वांगचुक ने X पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें दावा किया कि शांतिपूर्ण मार्च की योजना के बावजूद, प्रशासन आंदोलन में भाग लेने वाले लोगों को डराने और बाॅन्ड साइन करने के लिए दबाव डाल रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि चूंकि लद्दाख एक केंद्र शासित प्रदेश है इसलिए प्रशासन को दिल्ली से निर्देश मिल रहे हैं।उन्होंने कहा- शायद प्रशासन को किसी भी कीमत पर शांति बनाए रखने के लिए कहा गया है। 31 दिनों से अनशन चल रहा है और कोई घटना नहीं हुई है। फिर भी लोगों को पुलिस स्टेशनों में ले जाया जा रहा है और शांति भंग होने पर कार्रवाई की चेतावनी दी जा रही है, मुझे डर है कि इससे वास्तव में शांति भंग हो सकती है।

लद्दाख प्रोटेस्ट क्यों

कार्यकर्ता ने लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर 21 दिन से जारी अपना अनशन 26 मार्च को समाप्त कर दिया था। उन्होंने कहा कि 7 अप्रैल को हम महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत निकाले गए डांडी मार्च की तर्ज पर चांगथांग (लेह के पूर्वी हिस्से में चीन के साथ सीमा पर स्थित) तक मार्च निकालेंगे। उन्होंने कहा कि लेह स्थित निकाय लद्दाख की जमीनी हकीकत को उजागर करने के लिए मार्च का नेतृत्व करेगा। वांगचुक ने आरोप लगाया कि दक्षिण में विशाल औद्योगिक संयंत्रों और उत्तर में चीनी अतिक्रमण के कारण मुख्य चारागाह भूमि सिकुड़ रही है।

आर्टिकल 370 हटने के बाद शुरू हुआ आंदोलन

अगस्त 2019 में पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को विभाजित करने और संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत उसका राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा छीनने के बाद लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बनाया गया था. एक साल के भीतर, लद्दाखियों को एक राजनीतिक शून्यता महसूस हुई. इस साल की शुरुआत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और भूख हड़तालें होने लगीं, जब बौद्ध बहुल लेह और मुस्लिम बहुल कारगिल के नेताओं ने लेह की सर्वोच्च संस्था और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के बैनर तले लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची में इसे शामिल करने की मांग को लेकर हाथ मिलाया. 

लद्दाख का जमीनी मुद्दा क्या

सोनम वांगचुक का दावा है कि पशमीना ऊन के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध चांगथांग पशुपालकों को अपने जानवर बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है क्योंकि उद्योगपतियों ने अपने संयंत्र स्थापित करने के लिए 20,000 एकड़ से अधिक चारागाह भूमि ले ली है… हम अपने लोगों की आजीविका और विस्थापन की कीमत पर सौर ऊर्जा नहीं चाहते हैं। वांगचुक ने आरोप लगाया कि वे हमारी जमीन छीन रहे हैं क्योंकि कोई सुरक्षा उपाय उपलब्ध नहीं हैं।

4 मार्च को केंद्र ने मांगें मानने से इनकार किया था

इस साल की शुरुआत में बौद्ध बहुल लेह और मुस्लिम बहुल कारगिल के नेताओं ने लेह स्थित एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) के बैनर तले हाथ मिलाया। इसके बाद लद्दाख में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन और भूख हड़ताल होने लगीं।केंद्र ने मांगों पर विचार करने के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया। हालांकि, प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत सफल नहीं हुई। 4 मार्च को लद्दाख के नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और बताया कि केंद्र ने मांगें मानने से इनकार दिया है। इसके दो दिन बाद वांगचुक ने लेह में अनशन शुरू किया था।

​सोनम वांगचुक के बहाने BJP पर भड़के प्रकाश राज​

सोनम वांगचुक से मिलने के लिए शुक्रवार को एक्टर प्रकाश राज पहुंचे। उन्होंने लिखा, ‘आज मेरा जन्मदिन है.. और मैं सोनम वांगचुक तथा लद्दाख के लोगों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन कर इसका जश्न मना रहा हूं जो हमारे लिए.. हमारे देश.. हमारे पर्यावरण और हमारे भविष्य के लिए लड़ रहे हैं… आइए उनके साथ खड़े हों।’ वांगचुक से मुलाकात करने के बाद प्रकाश राज ने कहा, ‘हमने लोगों और वैज्ञानिकों से सुना है कि उनसे भाजपा द्वारा (लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने का) वादा किया गया है, और जब हम उन्हें उनके वादे की याद दिलाते हैं तो वे उन्हें अपराधियों के रूप में देखते हैं। नेता चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं और झूठी उम्मीदें पैदा कर रहे हैं, लेकिन बाद में जब वे हमसे वोट लेते हैं, तो अगले पांच साल तक पीछे मुड़कर नहीं देखते। उनका हमसे कोई लेना-देना नहीं है, हम मूर्ख हैं जो उनकी बातों पर भरोसा कर रहे हैं।’

प्रशासन ने 10KM के एरिया में इंटरनेट को किया बैन

प्रशासन ने शुक्रवार को दो अलग-अलग आदेश जारी किए. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, लद्दाख द्वारा जारी एक आदेश में पुलिस और खुफिया एजेंसियों के इनपुट का हवाला दिया गया और कहा गया, “सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से आम जनता को उकसाने और भड़काने के लिए असामाजिक तत्वों और शरारती तत्वों द्वारा मोबाइल डेटा और सार्वजनिक वाईफाई सुविधाओं के दुरुपयोग की पूरी आशंका है.” आदेश में कहा गया है, “मोबाइल डेटा सेवाओं को 2जी तक कम करना नितांत आवश्यक है, जिससे 3जी, 4जी, 5जी और सार्वजनिक वाई-फाई सुविधाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया जाएगा.” इसमें कहा गया है कि यह आदेश लेह शहर और उसके आसपास के 10 किमी के दायरे में शनिवार शाम 6 बजे से रविवार शाम 6 बजे तक लागू होगा.

वांगचुक के पश्मीना मार्च से दो दिन पहले लगी 144

लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य और संविधान की छठी सूची में इसे शामिल करने को लेकर आंदोलनरत पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक के सात अप्रैल को चांगथांग क्षेत्र में पश्मीना मार्च निकालने से दो दिन पहले धारा 144 लगाई गई है। वांगचुक की 21 दिनों की भूख हड़ताल 27 मार्च को समाप्त हुई थी। इसके बाद महिलाओं के एक समूह के साथ 10 दिनों की भूख हड़ताल शुरू की गई है। अब युवा अनशन पर बैठेंगे। वांगचुक शुक्रवार को लेह में अनशन स्थल पर पहुंचे। यहां से सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर उन्होंने कहा कि प्रशासन की तरफ से आंदोलनकारियों को डराने की कोशिश की जा रही है। लद्दाख के लोगों का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है। ऐसे में लोगों को डराने के बजाय सरकार को चाहिए कि वे उनकी मांगों को पूरा करे। इन मांगों को भाजपा ने घोषणा पत्र में भी शामिल किया था।

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