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बसपा MLA राजू पाल हत्याकांड में सभी दोषियों को उम्रकैद,गैंगस्टर अतीक अहमद भी था नामजद


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नई दिल्ली – बसपा विधायक राजू पाल हत्या के सात आरोपियों को सीबीआई लखनऊ की कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.आरोपियों में माफिया अतीक अहमद के तीन शॉर्प शूटर फरहान, आबिद और अब्दुल कवि भी शामिल हैं. इसके अलावा जावेद, इसरार, रंजीत पाल और गुल हसन को भी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. हत्याकांड के दो आरोपी माफिया अतीक अहमद और अशरफ की मौत हो चुकी है. छह आरोपियों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है, जबिक एक अन्य आरोपी फरहान को अदालत ने आर्म्स एक्ट में चार साल की सजा सुनाई है.

बसपा विधायक राजू पाल की हत्या

साल 2005 में 25 जनवरी को तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की हत्या की गई थी. आरोप अतीक अहमद और उसके भाई सहित 9 लोगों पर लगा था. कोर्ट ने जिंदा बचे सभी 7 आरोपी आबिद, फरहान, जावेद, अब्दुल कवी, गुल हसन, इसरार और रंजीत पाल को दोषी करार दिया है.सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने फरहान को अवैध असलहा रखने के मामले में 4 साल की कैद और 20 हज़ार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है. इसरार अहमद ,रंजीत पाल, जावेद, गुलशन और अब्दुल कवि को हत्या करने का दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई. हत्या के छह दोषियों पर 50-50 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया. हाल ही में तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के चश्मदीद गवाह उमेश पाल की बदमाशों में बम और गोलियों की बौछार कर हत्या कर दी थी. इस वारदात में उमेश पाल की सुरक्षा में तैनात गनर संदीप निषाद की भी मौत हो गई थी.

अतीक अहमद के भाई को हरा दिया था राजू पाल

साल 2004 के लोकसभा चुनाव में मुलायम की समाजवादी पार्टी ने इलाहाबाद की फूलपुर सीट से शहर पश्चिमी के बाहुबली विधायक अतीक अहमद को टिकट दिया. देश के पहले पीएम पंडित नेहरू का चुनाव क्षेत्र रही फूलपुर सीट से अतीक वह चुनाव जीतने में कामयाब रहा था. सांसद बनने के बाद उसने विधायकी से इस्तीफा दे दिया और अपनी जगह छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को सपा का टिकट दिला दिया.जून 2004 में हुए इस शहर पश्चिमी के उपचुनाव में बीएसपी ने राजू पाल को अपना उम्मीदवार बना दिया. टिकट पाने से पहले राजू पाल का किसी ने नाम भी नहीं सुना था. बहरहाल तकदीर ने उस चुनाव में राजू पाल का साथ दिया और वह अतीक अहमद के दबदबे को खत्म करते हुए पहली बार बीएसपी को यह सीट जिताने में कामयाब रहे.

2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सौंपी थी जांच

राजू पाल हत्याकांड मामले की जांच सर्वोच्च न्यायालय ने 22 जनवरी 2016 को सीबीआई को सौंप दी थी. पूजा पाल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मामले की सीबीआई की जांच की गुहार लगाई थी.घटना के करीब 11 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.राजू पाल की हत्या के साथ उनके साथ मौजूद देवी लाल पाल और संदीप यादव की भी मौत हो गई थी.20 अगस्त 2019 को सीबीआई ने कुल 10 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. एक आरोपी रफीक उर्फ गुलफुल प्रधान की मौत हो चुकी है.

दिन दहाड़े विधायक की हत्या

दिन दहाड़े एक विधायक की हत्या ने यूपी की सियासत में कोहराम मचा दिया था. तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव और उनकी सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था. अपने विधायक के कत्ल के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी प्रयागराज आईं. मामले पर खूब राजनीति हुई थी.राजू पाल की हत्या फिल्मी अंदाज में की गई थी. भीड़ भरे बाजार में दिनदहाड़े उसकी गाड़ियों का काफिला रोककर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी. हमले में राजू पाल समेत तीन लोग मारे गए थे. राजू पाल को कई गोलियां लगी थी. इस मामले में माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ के साथ ही कई करीबियों के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया था. मामले की जांच पहले यूपी पुलिस ने की थी उसके बाद सीबीसीआईडी ने. साल 2016 में यह मामला सीबीआईको ट्रांसफर हो गया था. इस मामले में जांच एजेंसियों ने कई चार्जशीट दाखिल की थी. हालांकि हर चार्जशीट में अतीक और अशरफ का नाम शामिल था.

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