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IVF प्रोसेस को सफल बनाने के लिए रखें इन बातों का ध्यान


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नई दिल्लीः जब भी कोई कपल लंबे समय तक कोशिश करने के बाद भी नैचरल तरीके से गर्भधारण नहीं कर पाता तो पहली चीज जो उनके दिमाग में आती है वह है IVF यानी इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन। यह प्रोसेस दुनियाभर में काफी फेमस हो रहा है लेकिन आईवीएफ करवाने का फैसला एक्साइटिंग होने के साथ-साथ थोड़ी घबराहट देने वाला भी होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ तो आप अपने बच्चे का सपना पूरा करने के करीब हैं और दूसरी तरफ आपको पता नहीं कि ये काम करेगा या नहीं क्योंकि IVF 100 प्रतिशत सफल हो ऐसा जरूरी नहीं है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं उन 10 टिप्स के बारे में जिसकी मदद से आप अपने ivf प्रोसेस के सक्सेस रेट को बढ़ा सकते हैं और आपके प्रेग्नेंट होने के चांसेज बढ़ सकते हैं।

​ आईवीएफ से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां जुटाएं

प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ाने के लिए सबसे पहले एक अच्छे आईवीएफ सेंटर का चुनाव करें जिसका सक्सेस रेट अच्छा हो। साथ ही क्लिनिक में जहां भ्रूण का विकास किया जाता है उसकी स्थिति कैसी है, वहां के टेक्निशन्स कितने स्किल्ड हैं इन सब बातों की भी जानकारी हासिल करें। इसके अलावा भी आईवीएफ सेंटर के बारे में ये बातें जरूर जानें-

  • हर भ्रूण ट्रांसफर के बाद प्रेग्नेंसी रेशियो क्या है
  • आपकी उम्र के कपल और आपके जैसी फर्टिलिटी समस्याओं वाले कपल में प्रेग्नेंसी का क्या रेट है
  • पूरे प्रसीजर का खर्च कितना होगा
  • क्लिनिक ने कितनी सफल प्रेग्नेंसी की है और इसमें कितने जुड़वां और कितने मल्टिपल बर्थ हैं

स्पर्म डोनेशन से पहले इजैक्युलेशन न करें

आईवीएफ की प्रोसेस में स्पर्म डोनेशन करने से 3-4 दिन पहले मेल पार्टनर को सेक्शुअल इंटरकोर्स या मास्टरबेशन के जरिए इजैक्युलेशन करने से बचना चाहिए। ऐसा करने से स्पर्म काउंट बढ़ता है और आईवीएफ के सफल होने की संभावना ही ज्यादा होती है। साथ ही साथ आईवीएफ का प्रोसेस शुरू होने से पहले ही मेल पार्टनर को अपने सीमन की जांच करवा लेनी चाहिए क्योंकि स्पर्म की क्वॉलिटी भी समय के साथ बदलती रहती है।

मोटापे से बचें, हेल्दी वेट बनाए रखें

आईवीएफ और फर्टिलिटी से जुड़े किसी भी प्रोसेस को सफल बनाने के लिए दोनों पार्टनर का हेल्दी वेट बनाए रखना बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आप मोटापे का शिकार हैं तो गर्भधारण का समय 2 गुना बढ़ जाता है जबकी अगर आप अंडर वेट हैं यानी वजन बेहद कम है तब भी गर्भधारण का समय 4 गुना बढ़ जाता है। आपका वजन अगर सामान्य नहीं है तो इसका भी आईवीएफ की सक्सेस रेट पर नेगेटिव असर पड़ता है। मोटापे का शिकार महिलाओं में आईवीएफ के दौरान ओवरीज की निगरानी मुश्किल हो जाती है जिससे कॉम्प्लिकेशन्स हो सकते हैं।

ऐक्युपंक्चर थेरपी करें ट्राई

अब तक इस बारे में हो चुकी है बहुत सी स्टडीज में यह बात साबित हो चुकी है कि वैसी महिलाएं जो IVF प्रोसेस करवा रही हैं वह अगर ऐक्युपंक्चर थेरपी ट्राई करें खासकर भ्रूण ट्रांसफर वाले दिन तो उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि ऐक्युपंक्चर, यूट्रस और ओवरीज में ब्लड फ्लो को बढ़ाता है जिससे न्यूरोट्रांसमिटर्स के रिलीज होने की उत्तेजना बढ़ती है। ये बात भी देखी गई है कि जिन महिलाओं ने भ्रूण ट्रांसफर के दिन ऐक्युपंक्चर थेरपी करवायी उन महिलाओं की प्रेग्नेंसी के चांस बढ़ गए उन महिलाओं की तुलना में जिन्होंने ऐक्युपंक्चर नहीं करवाया।

अपनी डायट में गुड फैट को करें शामिल

हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की तरफ से करवाई गई एक स्टडी की मानें तो जो महिलाएं अपनी डायट में मोनोसैच्युरेटेड फैट से भरपूर चीजों को शामिल करती हैं उनके आईवीएफ मेथड के जरिए प्रेग्नेंट होने का चांस बढ़ जाता है। लिहाजा अपनी डायट में ऐवकाडो, नट्स, सीड्स, सनफ्लावर ऑइल और ऑलिव ऑइल जैसी चीजें शामिल करें जिसमें मोनोसैच्युरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है। ये हेल्दी चीजों आपकी फर्टिलिटी बढ़ाने के साथ ही भ्रूण के विकास में भी मदद करती हैं। इसलिए आईवीएफ प्रोसेस को सफल बनाने के लिए हेल्दी डायट का सेवन करें।

ऐल्कॉहॉल-कैफीन से परहेज करें

ऐल्कॉहॉल, भ्रूण के विकास को प्रभावित करता है लिहाजा आईवीएफ प्रोसेस के दौरान हर हाल में ऐल्कॉहॉल पीने से बचना चाहिए। साथ ही साथ ऐल्कॉहॉल की ही तरह स्मोकिंग से भी परहेज करना चाहिए क्योंकि यह भी आपके शरीर के साथ-साथ भ्रूण के लिए भी नुकसानदेह है। अगर आपको इन दोनों चीजों की लत है तो आईवीएफ ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले ही डॉक्टर से बात कर लें। ऐल्कॉहॉल और स्मोकिंग के साथ ही कैफीन भी भ्रूण के विकास के प्रभावित करता है इसलिए आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान कैफीन के सेवन से भी बचें।

मेडिटेशन करें, स्ट्रेस से दूर रहें

स्ट्रेस आपके प्रजनन क्षमता को कम करने के साथ-साथ पूरे रिप्रॉडक्टिव सिस्टम को भी प्रभावित करता है जिससे आईवीएफ के सफल होने के चांसेज कम हो जाते हैं। इसलिए स्ट्रेस से दूर रहें। आपका फर्टिलिटी ट्रीटमेंट काम कर रहा है या नहीं, इस बात को लेकर परेशान होना संभव है लेकिन मेडिटेशन और डी-स्ट्रेस थेरपी के जरिए जहां तक संभव हो स्ट्रेस से दूर ही रहें। मेडिटेशन जिसमें ब्रीदिंग टेक्नीक भी शामिल हो को ट्राई करेंऔर स्ट्रेस को कम करने की कोशिश करें।

प्रसीजर के बाद करें सेक्स

हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स ऐसा करने से मना करते हैं लेकिन ज्यादातर स्टडीज में यह बात साबित हो चुकी है कि आईवीएफ प्रसीजर करवाने के बाद अगर सेक्शुअल इंटरकोर्स किया जाए तो आईवीएफ के सफल होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सेक्स के दौरान जो नैचरल हॉर्मोन्स और केमिकल्स रिलीज होते हैं वह गर्भधारण यानी कंसीव करने के चांस को बढ़ा देते हैं। हालांकि सेक्स करना है या नहीं, इस बारे में अपने फर्टिलिटी एक्सपर्ट से पहले ही बात कर लें।

मुश्किल और कठिन एक्सर्साइज ना करें

अच्छी सेहत बनाए रखने और वेट कंट्रोल करने के लिए वैसे तो एक्सर्साइज करना जरूरी है लेकिन अगर महिलाएं बहुत ज्यादा मुश्किल और कठिन एक्सर्साइज करती हैं तो उनमें फर्टिलिटी का लेवल घट जाता है और गर्भधारण के चांसेज भी कम हो जाते हैं। साथ ही साथ हेवी एक्सर्साइज करने से आईवीएफ इम्प्लान्टेशन फेलियर और प्रेग्नेंसी लॉस का भी खतरा बढ़ जाता है। लिहाजा आईवीएफ प्रसीजर के दौरान वॉकिंग, योगा और स्विमिंग जैसी बिना ज्यादा मेहनत वाली एक्सर्साइज ही करें।

अच्छी नींद लेना है जरूरी

आईवीएफ प्रसीजर के दौरान आपकी स्लीप साइकल भी नॉर्मल होनी जरूरी है। इस बात का ध्यान रखें कि प्रसीजर के दौरान आप कम से कम 8 घंटे की अच्छी नींद जरूर लें। आईवीएफ प्रोसेस को सफल बनाने और हेल्दी फॉलिकल्स के विकास के लिए भी नींद जरूरी है। इसलिए बिलकुल अंधेरे में सों ताकि नींद को बढ़ाने वाले हॉर्मोन्स मेलाटोनिन का लेवल बढ़े और आपकी शारीरिक और इमोशनल हेल्थ अच्छी बनी रहे।

हमेशा सकारात्मक रहे

आईवीएफ प्रक्रिया कराने के बाद कपल को हमेशा सकारात्मक मानसिकता के साथ लक्ष्य पर टिका रहना चाहिए । जब तक वह सफल नहीं हो जाता और बच्चे को गर्भधारण नहीं कर लेता । विश्वास होना बेहद जरूरी है यह संभव है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वैकल्पिक विकल्पों को हमेशा तैयार रखना चाहिए |

आईवीएफ कराने के लिए एक नैतिक IVF केंद्र चुनें

आईबीएस की प्रक्रिया को चुने से पहले आपको अच्छी तरीके शोध करना चाहिए और उसका चयन करना है। जहां सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाता हो और आईसीएमआर और ईएसएचआरई दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए, जो सफलता की संभावना का आश्वासन देता है। एक उपयुक्त समय चुनें और डॉक्टर के दौरे के अनुसार अपने कार्य कार्यक्रम की योजना बनाएं।

प्रक्रिया को अपनाने से पहले पोषण का रखें विशेष ध्यान

स्वस्थ वजन बनाए रखना प्रजनन क्षमता की ओर पहला कदम है। ऐसे खाद्य पदार्थों सहित संतुलित आहार लें जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के गर्भ धारण करने की क्षमता को बढ़ावा दें। गर्भवती होने के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहें और स्वस्थ जीवनशैली में बदलाव करें।

T का पालन करें

जब आप इस प्रक्रिया को चुनने के अंतिम रूम पर हो तब डॉक्टर पर उनके काम (प्रतिभा) पर भरोसा करें और सफल होने के लिए एक टीम के रूप में उनके साथ काम करें। उपचार के लिए दोनों भागीदारों से प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है और उन्हें उपचार के समय का सख्ती से पालन करना चाहिए। समय से समझौता नहीं किया जा सकता है और यह एक महत्वपूर्ण सफलता कारक है। उपचार महंगा है और इस प्रकार आपको तदनुसार अपने वित्त की योजना बनाने की आवश्यकता है।

क्यों होती है आईवीएफ प्रक्रिया की जरूरत

आईवीएफ प्रक्रिया की जरूरत तब होती है जब या तो फैलोपियन ट्यूब अवरुद्ध हो जाती है या जब अंडे या शुक्राणु की गुणवत्ता खराब हो ।

प्रक्रिया को विस्तार से जानें

सबसे पहले इस बात को पूरी तरह से समझ लें कि इनफर्टिलिटी का इलाज क्या है और आपकी ओर से क्या करना जरूरी है. यह आपको पहले से तैयार होने में मदद करता है. बांझपन के इलाज में आईयूआई, आईवीएफ या आईसीएसआई जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं. ये पुरुष और महिला के प्रजनन मूल्यांकन पर निर्भर करती हैं. आईयूआई काफी सस्ता विकल्प है, लेकिन सफल गर्भधारण की केवल 10-15 प्रतिशत संभावना होती है.

जीवन शैली का आकलन

सही वजन का होना इस सफर की ओर पहला कदम है. संतुलित आहार लेना और ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करना महत्वपूर्ण है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए गर्भ धारण करने की क्षमता को बढ़ाते हैं. गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए स्वस्थ जीवनशैली में बदलाव अपनाएं और शारीरिक रूप से सक्रिय हो जाएं.

अपनी हेल्थकेयर टीम पर भरोसा करें

एक बार जब आप आईवीएफ के लिए जाने का फैसला लेते हैं, तो प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए अपने डॉक्टर पर भरोसा करना और एक टीम के रूप में काम करना जरूरी है. उपचार के सफल होने के लिए दोनों भागीदारों की प्रतिबद्धता समान रूप से जरूरी है. इसके अलावा ये इलाज महंगा है और इसके लिए आपको अपने फाइनेंस की प्लानिंग करना जरूरी है.

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