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विज्ञान

खगोलीय घटना : इस साल 21 नहीं बल्कि 20 मार्च को होंगे दिन और रात बराबर, मेष राशि में सूर्य का होगा प्रवेश


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नई दिल्लीः खगोलीय घटना स्वरूप 20 मार्च को दिन और रात बराबर होंगे। यानी 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की ही रात होगी। ऐसा सूर्य के विषुवत रेखा पर लंबवत होने से होंगे। इस घटना को वसंत संपात कहते हैं। इस दिन से ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ हो जाएगी। सूर्य के उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश के साथ दिन धीरे-धीरे बड़े और रातें छोटी होने लगेगी। सूर्य की किरणों की तीव्रता भी बढ़ेगी। यह क्रम 21 जून तक जारी रहेगा।

हर साल 21 मार्च को दिन और रात होते है बराबर

हर साल 21 मार्च को सूर्य भूमध्य रेखा पर आ जाता है। जिस वजह से दिन और रात बराबर होते है। यानी इस दिन दोनों की अवधि 12-12 घंटे की रहेगी। इस तरह की स्थिति ज्यादातर 21 मार्च को ही बनती है। लेकिन जीवाजी वेधशाला उज्जैन के अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र प्रकाश गुप्त ने बताया इस बार ये भौगोलिक घटना 20 मार्च को होगी। बता दें इससे पहले भी साल 2016 और साल 2017 में भी ऐसा ही हुआ था। इन दोनों सालों में भी 20 मार्च को सूर्य भूमध्य रेखा पर आ गया था। इस खगोलीय घटना को वसन्त सम्पात भी कहा जाता है।

मेष राशि में सूर्य का होगा प्रवेश

सायन गणना के अनुसार 20 मार्च को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन सूर्य की स्थिति (भोग) मेष राशि में शून्य अंश, 8 कला, 25 विकला होगी। 20 मार्च को सूर्य की उत्तरी गोलार्द्ध में स्थिति (क्रान्ति) शून्य अंश, 8 कला उत्तर रहेगी। पूरी घटना को जीवाजी वेधशाला में शंकु यंत्र तथा नाड़ीवलय यंत्र के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है।

शंकु यंत्र और नाड़ी वलय यंत्र से देखें घटना

जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक के अनुसार इस खगोलीय घटना को जीवाजी वेधशाला में शंकु यंत्र और नाड़ी वलय यंत्र के माध्यम से देखा जा सकेगा।

ग्रीष्म ऋतु की होगी शुरूआत

इस खगोलीय घटना के बाद से ग्रीष्म ऋतु की शुरूआत हो जाती है। इस दौरान सूर्य की किरणों की तीव्रता भी बढ़ती नजर आती है। जब सूर्य भूमध्य रेखा, कर्क रेखा और मकर रेखा पर होता है। तो क्रमश: मार्च विषुव, जून अयनांत, सितंबर विषुव, दिसंबर अयनांत नाम की चार सूर्य स्थितियां बनती है। इस बार ये स्थिति 20 मार्च को बन रही है। इस दिन भूमध्य रेखा पर खड़ा होने से सूर्य उसे सीधे अपने सिर के ऊपर दिखाई देगा और एक निश्चित समय के बाद उसकी परछाई शून्य हो जाएगी।

जानें किन जगहों से गुजरती है भूमध्य रेखा

दरअसल भूमध्य रेखा चौदह देशों से होकर गुजरती है। इस दौरान वो इन देशों के स्थल या जल से होकर जाती है। बताते चलें कि धरती की सतह पर अधिकतर भूमध्य रेखीय क्षेत्र समुद्रीय ही हैं। भूमध्य रेखा के आस-पास की जगहें अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना के लिए अच्छे माने जाते है। यहीं वजह है कि गुयाना अंतरिक्ष केंद्र, कौरोऊ व फ्रेंच गुयाना का अंतरिक्ष केंद्र भूमध्य रेखा पर ही स्थित है।

बड़ा होने लगेगा दिन

वसन्त सम्पात के साथ ही सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश कर लेता है। इसी के साथ ही दिन धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है। तो वहीं रातें छोटी होने लगती हैं। इस साल 20 मार्च को मेष राशि में सूर्य भूमध्य रेखा पर आने के बाद अब उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश करेगा। इस तरह की स्थिति 21 जून तक रहेगी। आप इस दिन सूर्य के गोलार्द्ध परिवर्तन को सीधे देख सकते है।

खगोलीय जानकारी है बेहद रोचक

जीवाजीराव वेधशाला पहुंची छात्रा खुशबू सिंह ने बताया कि खगोलीय जानकारी बेहद रोचक होती है. जीवाजीराव वेधशाला में वीडियोग्राफी के माध्यम से भी कई जानकारी देकर जिज्ञासा शांत की जाती है.21 मार्च को दिन और रात बराबर होते हैं लेकिन इसके पीछे के कारणों की जानकारी वेधशाला के अधिकारियों ने दी है.

ऐसा होता है परिवर्तन

अधीक्षक डॉ गुप्त के मुताबिक पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिभ्रमण करता है.21 मार्च को सूर्य विषुवत रेखा पर लंबवत रहता है.इसे बसंत संपात कहते हैं.सूर्य को विश्वत रेखा पर लंबवत होने के कारण दिन और रात बराबर अर्थात 12-12 घंटे के होते हैं. 21 मार्च के बाद सूर्य उत्तरी गोलार्ध और मेष राशि में प्रवेश करता है.सूर्य के उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश होने के कारण अब उत्तरी गोलार्ध में दिन धीरे-धीरे बड़े होने लगेंगे तथा रात छोटी होंगी.यह क्रम 21 जून तक जारी रहेगा.

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