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कब है साल की अंतिम अमावस्या?,जानिए तिथि, स्नान-दान मुहूर्त और इस दिन का महत्व


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नई दिल्लीः अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने गए हैं. साल में कुल 12 अमावस्या आती है. इस दिन तीर्थ स्थल पर पवित्र नदी में स्नान, दान और श्राद्ध कर्म करने से पितरों और देवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है. इस साल फाल्गुन अमावस्या 9 या 10 मार्च 2024 कब है, इसको लेकर संशय की स्थिति बनी है तो यहां जानें फाल्गुन अमावस्या की सही तारीख, स्नान-दान का मुहूर्त और इस दिन क्या-क्या करें.

अमावस्या तिथि का विशेष महत्व

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या तिथि के दिन स्नान-ध्यान, पूजा-पाठ और दान-पुण्य करने से विशेष लाभ मिलता है. बता दें कि अमावस्या तिथि के दिन पूजा-पाठ करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं. वर्तमान समय में फाल्गुन महीना चल रहा है. यह महीना भगवान शिव और भगवान कृष्ण की उपासना के लिए समर्पित है. आइए जानते हैं, कब है फाल्गुन अमावस्या, इस दिन का महत्व और स्नान-दान मुहूर्त.

फाल्गुन अमावस्या 9 या 10 मार्च कब ?

पंचांग के अनुसार फाल्गुन अमावस्या की शुरुआत 9 मार्च 2024 को शाम 06.17 होगी और अगले दिन 10 मार्च 2024 को दोपहर 02.29 पर इसकी समाप्ति होगी. शास्त्रों में अमावस्या उदयातिथि के अनुसार मान्य होती है, इसलिए फाल्गुन अमावस्य 10 मार्च को रहेगी.

स्नान-दान मुहूर्त – सुबह 04.49 – सुबह 05.48

अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12.08 – दोपहर 01.55

फाल्गुन अमावस्या पर करें पितृ पूजन

इस तरह करें पूवर्जों को प्रसन्न – फाल्गुन अमावस्या पर एक लोटे में जल, सफेद फूल जैसे चंपा, जूही या मालती का फूल, काले तिल डालकर पितरों को जल अर्पित करें. जल अर्पित करने के लिए जल हथेली में लेकर अंगूठे की ओर से चढ़ाएं. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हथेली के जिस भाग पर अंगूठा होता है, उसे पितृ तीर्थ कहा जाता है. तर्पण करने का समय सुबह 11:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे के बीच श्रेष्ठ होता है. मान्यता है इससे पूर्वजों की आत्मा तृप्त हो जाती है और वह अपने वंश को खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं.

फाल्गुन अमावस्या 2024 मुहूर्त

फाल्गुन अमावस्या तिथि का प्रांरभ: 9 मार्च, शनिवार, 06:17 पीएम से
फाल्गुन अमावस्या तिथि का समापन: 10 मार्च, रविवार, 02:29 पीएम पर
फाल्गुन अमावस्या पर स्नान-दान का मुहूर्त: 10 मार्च, प्रात: 04:59 एएम से

5 फूल-5 दीए

फाल्गुन अमावस्या वाली रात्रि को 5 लाल फूल और 5 जलते हुए दीए बहती नदी में प्रवाहित करें. मान्यता है इससे धन का लाभ मिलता है. आर्थिक संकट दूर होता है. सफलता के रास्ते खुलते हैं.

फाल्गुन अमावस्या पर बने 5 शुभ संयोग

फाल्गुन अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, साध्य योग, शुभ योग के साथ पूर्व भाद्रपद नक्षत्र का शुभ संयोग बना है. सर्वार्थ सिद्धि योग देर रात 01:55 एएम से 11 मार्च को सुबह 06:35 एएम तक बना है. अमावस्या पर सुबह से ही साध्य योग होगा, जो 04:14 पीएम तक रहेगा. फिर शुभ योग बनेगा.वहीं पूर्व भाद्रपद नक्षत्र देर रात 01:55 एएम तक है. इसके अलावा एक शुभ संयोग शिववास का भी है. शिववास माता पार्वती संग सूर्योदय से 02:29 पीएम तक है. शिववास रुद्राभिषेक के लिए महत्वपूर्ण होता है.

हवन-दान से आएगी खुशहाली – फाल्गुन अमावस्या पर तिल से हवन करना शुभ फल प्रदान करता है. घर में खुशहाली आती है. इस दिन ब्राह्मण को अन्न, धन, का दान करें. मान्यता है इससे कालसर्प और पितृ दोष दूर होता है.

फाल्गुन अमावस्या 2024 दान की वस्तुएं

फाल्गुन अमावस्या के दिन आप स्नान के बाद कंबल, वस्त्र, अन्न, फल आदि का दान कर सकते हैं. इसके अलावा आप चाहें तो गेहूं, गुड़, घी, तांबे के बर्तन आदि का भी दान दे सकते हैं क्योंकि यह अमावस्या रविवार को है. इस दिन सूर्य की वस्तुओं का दान करने से पुण्य लाभ होगा और ग्रह दोष भी दूर होगा.

नाराज पितरों को खुश करने के उपाय

  1. कहा जाता है कि पितर अमावस्या के दिन धरती पर आते हैं. अपने पितरों को खुश करने के लिए सबसे आसान ​उपाय है स्नान के समय उनके लिए तर्पण करना. जल में काला तिल, सफेद फूल डालकर कुश के पोरों के माध्यम से पितरों को तर्पण देना चाहिए. इससे वे प्रसन्न होते हैं. वे तृप्त होकर सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
  2. पितृदोष से मुक्ति के लिए आप पिंडदान, श्राद्ध कर्म, पंचब​लि कर्म, ब्राह्मण भोज, दान आदि कार्य भी कर सकते हैं. फाल्गुन अमावस्या पर आपको पितरों के देव अर्यमा की पूजा करनी चाहिए और पितृ सूक्तम् का पाठ करना चाहिए. इससे पितर प्रसन्न होंगे और आपको उन्नति का आशीर्वाद देंगे.
  3. फाल्गुन अमावस्या को अंधेरा होने पर अपने पितरों के लिए सरसों के तेल का एक दीप जलाएं. इस दीप को आप किसी पीपल के पेड़ के नीचे या फिर घर से बाहर दक्षिण दिशा में जला सकते हैं. धरती से वापसी के समय पितरों के मार्ग में अंधेरा न रहे, इसलिए यह दीपक जलाते हैं. इससे भी पितर प्रसन्न होते हैं.
  4. फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र स्नान और पूजा-पाठ के साथ-साथ, पितरों को तर्पण भी देना चाहिए. इससे पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है और जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें भी समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
  5. धर्म शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि जो व्यक्ति साल में किसी भी अमावस्या में पितरों का श्राद्ध नहीं कर पता है, उन्हें फाल्गुन अमावस्या के दिन किए गए श्राद्ध का विशेष फल मिलता है.
  6. फाल्गुन अमावस्या के दिन दान-पुण्य को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इसलिए किसी जरूरतमंद व्यक्ति को कपड़ा, धन या भोजन का दान जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.

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