नसें नीली क्यों नजर आती हैं जबकि उनमें बहने वाला खून तो लाल है
नई दिल्ली – अक्सर आपने देखा होगा कि नसों का रंग नीला नजर आता है. खासकर अधिक गोरे लोगों और बुजुर्गों में यह साफतौर पर देखा जा सकता है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि जब इनमें लाल रंग का खून बहता है तो इनका रंग नीला क्यों है? विज्ञान कहता है कि नसों का रंग नीला नहीं होता है. पर फिर भी हमें ये नीली क्यों नजर आती हैं, जानिए इस सवाल का जवाब।
यह एक तरह का ऑप्टिकल इम्यूजन है, यानी एक भ्रम है. ऐसा होने की सही वजह है प्रकाश की किरणें. आसान भाषा में समझें तो प्रकाश में सात रंग होते हैं. इनमें से जो भी रंग किसी भी चीज पर पड़कर परावर्तित होता है, हमें वहीं रंग नजर आता है. जैसे- कोई वस्तु प्रकाश की इन सातों किरणों को परावर्तित कर देती है तो वो हमें सफेद नजर आती है. वहीं, जो चीज इन सभी किरणों को अवशोषित कर लेती है वो काली नजर आती है. किरणों के परावर्तन का यह सिद्धांत नसों के मामले में भी लागू होता है.
नसों में लाल रंग का खून बहता है, इस हिसाब से तो इसे लाल नजर आना चाहिए, लेकिन नहीं होता. विज्ञान के मुताबिक, प्रकाश की किरणों में 7 रंग होते हैं. इसलिए जब प्रकाश की किरणें नसों पर पड़ती है तो लाल रंग की किरणें अवशोषित यानी एब्जॉर्ब हो जाती हैं, लेकिन किरणों में मौजूद नीला रंग अवशोषित नहीं होता, यह परावर्तित हो जाता है. इसलिए इंसान को नसें नीले रंग की नजर आती हैं.
खून का रंग लाल क्यों होता है, इसे भी समझ लीजिए. खून में हीमोग्लोबिन मौजूद होने के कारण इसका रंग लाल होता है. यह एक खास तरह प्रोटीन होता है जो आयरन और प्रोटीन से मिलकर बना होता है. जबकि कुछ जीवों में खून का रंग नीला या हरा भी होता है. जैसे- ऑक्टोपस में खून का रंग नीला होता है क्योंकि इनके खून में हीमोसायनिन प्रोटीन मौजूद होता है, जिसका रंग नीला है. इसलिए खून भी नीला नजर आता है.