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Shaitaan Review : अजय देवगन और माधवन की फिल्म शैतान कैसी है ? जिसका डर था वही बात हो गई-जानें


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मुंबई – इस साल की अजय देवगन की पहली फिल्म ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है. उनकी फिल्म शैतान, जिसे विकास बहल ने डायरेक्ट किया है. वह रिलीज हो चुकी है. एक्शन और कॉमेडी फिल्में करने वाले अजय देवगन इस बार दर्शकों के डराने के लिए फिल्म शैतान लेकर आए हैं. लेकिन यह हॉरर ड्रामा सिनेमाघर में वह काम करता नहीं दिखाई देता, जैसा फिल्म के ट्रेलर में देखने को मिला था. अच्छी एक्टिंग के बावजूद शैतान अपनी कहानी की वजह से एक कमजोर फिल्म बनकर रह जाती है. कई जगह पर कहानी में कच्चापन साफ देखने को मिलता है.

शैतान की कहानी

शैतान का जब ट्रेलर आया तो सिनेजगत में एक्साइटमेंट पैदा हो गई कि साल 2024 की शानदार थ्रिलर रिलीज होने जा रही है. लेकिन मेरे जेहन में एक डर उसी समय कौंध गया था कि क्या डायरेक्टर इस थ्रिल को फिल्म के अंत तक बना पाएंगे क्योंकि दो मिनट का ट्रेलर तो सिर्फ झांकी थी, 140 मिनट की फिल्म अभी बाकी थी. मेरा डर सच साबित हो गया. शैतान की कहानी ने निराश किया. फिल्म अजय देवगन और उनकी फैमिली पत्नी ज्योतिका बेटी जानकी और बेटे अंगद की है. वे फार्महाउस पर जाते हैं. वहां एक शख्स आता है और उनकी बेटी को अपने वश में कर लेता है. मां-बाप लाचार हो जाते हैं. आखिर किस तरह अजय देवगन अपनी बेटी को माधवन के चंगुल से आजाद कराते हैं. माधवन असल में है कौन. इन सवालों के जवाब तो आपको फिल्म देखकर मिलेंगे, लेकिन इतना हम बता देते हैं कि फिल्म का फर्स्ट हाफ अच्छा है, सेकंड कमजोर. फिल्म में कई बेहद जरूरी सवालों के जवाब अधूरे रह जाते हैं. कुल मिलाकर अंत आते-आते खौफनाक शैतान बॉलीवुड की एक बेहद औसत फिल्म बनकर रह जाती है.

अनजान व्यक्तियों से दोस्ती न बढ़ाएं

डरावनी फिल्मों के शौकीनों को एक बहुत बड़ी संख्या हिंदी फिल्मों के दर्शकों के बीच जमाने से रही है। फिल्म ‘शैतान’ को देखने की लालसा भी कइयों में रही ही होगी, ये उम्मीद पहले टीजर से टूटी, फिर ट्रेलर ने कुछ उम्मीद बांधी भी तो फिल्म के दो दृश्यों ने इसे पूरी तरह चकनाचूर कर दिया। फिल्म की कहानी क्या है, ये अब तक सबको पता ही चल चुकी है। रास्ते में मिले अनजान आदमी से लड्डू खाकर उसके वश में आई एक किशोरी है, शहर से दूर फार्म हाउस में फंसा एक परिवार है और एक शैतान है जो कायनात को अपने काबू में करना चाहता है। कहानी उत्तराखंड में घट रही है। फिल्म का एक भी किरदार न कुमाऊंनी बोलता दिखता है और न ही गढ़वाली। बस गाडी पर नंबर प्लेट उत्तराखंड के हैं। वातावरण पूरा नकली है। खैर, पहले बात उस दृश्य की जिसमें विकास बहल फिल्म को एकदम से डुबकी लगवा देते हैं। मिस्ड कॉल नंबर की तलाश में पुलिस कबीर के घर आई है। बिटिया गैस सिलेंडर की रबड़ निकालकर हाथ में माचिस लिए उकड़ू बैठी है। दो ढाई मिनट का पूरा सीन हो जाता है। पुलिस वाले को चलते समय लगता है कि गैस लीक हो रही है। घरेलू गैस में बदबू लाने के लिए जो इथाइल मरकैप्टन मिलाया जाता है, उसकी तीक्ष्णता इतनी होती है कि ये तीस सेकंड में पूरे मोहल्ले को गैस लीक होना बता देती है, लेकिन विकास बहल, विकास बहल हैं।

फिल्म डायरेक्शन

शैतान को विकास बहल ने डायरेक्ट किया है. इससे पहले वह क्वीन जैसी फिल्म बना चुके हैं. उनसे काफी उम्मीदें थीं. ट्रेलर उन्होंने सही काटा था. लेकिन फिल्म को उन्होंने पलीता लगा दिया. उन्होंने रीमेक के लिए वश जैसी शानदार फिल्म को चुना. स्टारकास्ट भी अच्छी थी. फिल्म में माहौल भी अच्छा बनाया था. लेकिम कमजोर कहानी, स्वाभाविक अंत और अधूरी बातें फिल्म का जायका बिगाड़ देती हैं. इस तरह विकास बहल यहां कोई चमत्कार करते नजर नहीं आते हैं.

गूगल मैप से शैतान का पीछा

दूसरा दृश्य समझिए। शैतान जा चुका है। बेटी को भी ले जा चुका है। मरणासन्न हालत में बेटा अपने पिता को दीदी को वापस लाने को कहता है। पिता ढूंढे तो शैतान को कहां ढूंढे तो विकास बहल फ्लैशबैक में जाते हैं। जीने और मरने की हालत वाले दृश्य में दिखाते हैं कैसे इंसान ने शैतान की मोबाइल की लोकेशन शेयर का ‘कांड’ उसी दौरान कर डाला था! फिल्म को मॉडर्न दिखाने के लिए गूगल मैप ठीक है लेकिन ऐसी फिल्म में? उत्तराखंड में काला जादू की अपनी अलग परंपरा है। लेकिन, यहां मामला खुलने से पहले शैतान के इरादे कुछ और ही नजर आते हैं। लड़कियों का झुंड देखकर पहले तो लगता है कि ये कोई मनोरोगी होगा, जो बेटियों को बेचने का धंधा जैसा कोई घिनौना काम करता होगा। लेकिन, विकास बहल ‘शैतान’ शब्द को दिल पर ले लेते हैं! फिल्म का देखा जाए तो टेकऑफ ही गड़बड़ है। लोककथाओं में गुंथी और काला जादू व वशीकरण जैसे विषय पर बनी फिल्म में जो पहला संवाद बाप-बेटे के बीच हो और उसमें बेटा अपने बाप को नाम लेकर बुलाता दिखे तो इस तरह की फिल्मों के परंपरागत दर्शकों का फिल्म से नाता तुरंत टूट जाता है। दिक्कतें और भी तमाम हैं लेकिन इतना सब पढ़ने के बाद आप फिल्म देखने से जाने से तो रहे। जियो स्टूडियोज की फिल्म है। लेकिन, ये जियो सिनेमा पर नहीं नेटफ्लिक्स पर आएगी। जी हां, फिल्म के ओटीटी राइट्स पहले ही बिक चुके हैं

फिल्म एक्टिंग

‘शैतान’ की यूएसपी आर. माधवन और जानकी बोदीवाला की जुगलबंदी है. दोनों की एक्टिंग कमाल की रही है. आर माधवन ने किरदार को गहरे तक जिया है. लेकिन जहां वो थोड़े से खूंखार बनते नजर आते हैं और हंसते हैं, वहां थोड़ा लोचा हो जाता है क्योंकि वहां उनके चेहरे की क्यूटनेस कायम रहती है. बस यहीं थोड़ी सी चूक रहती है. जानकी ने वशीकरण की शिकार लड़की का किरदार शानदार तरीके से निभाया है और दिखा दिया है कि एक्टिंग का कोई तोड़ नहीं. अजय देवगन पर दृश्यम वाले पापा कहीं-कहीं हावी हो जाते हैं. ज्योतिका लंबे समय बाद बॉलीवुड में आई हैं, उनका काम ठीक-ठाक है.

शैतान वर्डिक्ट

जो बॉलीवुड स्टाइल थ्रिलर फिल्मों के शौकीन हैं, अजय देवगन और माधवन के फैन हैं वो इस फिल्म को एक बार जरूर देख सकते हैं. बाकी अगर आप कोई रोंगटे खड़े कर देने वाली फिल्म की उम्मीद में जाएंगे तो निराशा हाथ लग सकती है.

रीमेक के राजा बनने से चूके अजय

फिल्म समीक्षाओं में इसकी कहानी, निर्देशन, कलाकारों के अभिनय, तकनीकी पक्ष और संगीत का बात करना अनिवार्य सा माना जाता है। तो कहानी यहां एक गुजराती फिल्म ‘वश’ की है, ओरिजिनल फिल्म कोई देख न सके, इसलिए इसके फुटप्रिंट डिजिटल से पूरी तरह मिटाए जा चुके हैं। हिंदी अनुकूलन में हिंदी लोकभावनाएं कहीं हैं नहीं। अभिनय के मामले में अजय देवगन की बेटी के किरदार में जानकी बोदीवाला का अभिनय अव्वल नंबर है। इंटरवल तक फिल्म आर माधवन के अभिनय और उनके किरदार के रहस्यों के चलते टिकी रहती है। उसके बाद दोनों एकदम से धड़ाम हो जाते हैं। अजय देवगन, ज्योतिका, जानकी और अंगद मिलकर फिल्म की शुरुआत ‘दृश्यम’ जैसी करते हैं।

कैसा है कलाकारों का अभिनय?

पहली बार नकारात्‍मक किरदार में नजर आए आर माधवन शुरुआत में प्रभावित करते हैं। जब उनका किरदार तांत्रिक के रूप में आता है तो पकड़ कमजोर पड़ती है। वह विकराल नजर नहीं आते, जो उनके किरदार की मांग होती है। अच्‍छे और लाचार पिता की भूमिका अजय के लिए नई नहीं है। यहां पर भी वह उसमें सहज हैं। ज्‍योतिका के हिस्‍से में संवाद बेहद कम हैं। वनराज के साथ उनकी भिडंत का दृश्‍य अच्‍छा है। जानवी बनीं जानकी बोधिवाला ने मूल फिल्‍म में भी अभिनय किया है। कठपुतली की तरह हर आदेश को मानने वाली जानवी की भूमिका में उनका अभिनय सराहनीय है। उन्‍होंने वशीकरण और सामान्‍य होने में संतुलन रखा है।बाल कलाकार अंगद राज का काम उल्‍लेखनीय है। फिल्‍म का बैकग्राउंड संगीत भय और तनाव को बढ़ाने में बहुत मददगार साबित होते नहीं दिखते। वशीकरण पर बनी शैतान मध्‍यातंर के बाद कमजोर स्‍क्रीनप्‍ले की वजह से पूरी तरह अपने वश में नहीं कर पाती।

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