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Maha Shivratri 2024: भगवान शिव का अनोखा मंदिर,जितनी हुई खुदाई, उतना ही बढ़ता गया शिवलिंग


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नई दिल्ली – महाशिवरात्रि आने में बस दो ही दिन का वक्त बचा है. ऐसे में झारखंड की राजधानी रांची से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नगरी गांव के महादेव मंदिर में तैयारियां जोरों पर हैं. यह मंदिर अपने आप में चमत्कारी है. महाशिवरात्रि के दिन यहां जलाभिषेक करने के लिए लंबी कतार दिखती है. खेत के बीचो बीच यह इकलौता मंदिर बना है, जिसकी मान्यता हैरान करने वाली है.पुजारी देवेंद्र पांडे ने Local 18 को बताया कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग छोटे आकार का है. यह शिवलिंग करीब 10 साल पहले खेत में मिला था. यह कहां से आया या खुद प्रकट हुआ, कोई नहीं जानता. लोगों की इस शिवलिंग के प्रति असीम श्रद्धा है. फिर समय के साथ यहां पर गांव वालों ने मिलकर एक छोटा सा मंदिर का निर्माण भी करवाया है. रोज यहां ग्रामीण पूजा करने आते हैं.

मंदिर के पुजारी आचार्य अतुल त्रिपाठी

गोरखपुर से 30 किलोमीटर दूर खजनी कस्‍बे के सरया तिवारी गांव में सदियों पुराना नीलकंठ महादेव का शिव मंदिर है. मंदिर के पुजारी आचार्य अतुल त्रिपाठी बताते हैं कि शिव मंदिर में शिवलिंग है जो हजारों साल पुराना है. मान्‍यता है कि यह शिवलिंग भू-गर्भ से स्वयं प्रकट हुआ था. जब महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया, तो यह शिवमंदिर भी उसके क्रूर हाथों से अछूता नहीं रहा.महमूद गजनवी जब भारत पर आक्रमण किया तो इस शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन, वह कामयाब नहीं हो सका. उसने मंदिर को ध्‍वस्‍त कर दिया, लेकिन शिवलिंग टस से मस नहीं हुआ. जब गजनवी थक-हार गया, तो उसने शिवलिंग पर कमला खुदवा दिया, जिससे हिन्‍दू इसकी पूजा नहीं कर सकें. इसके बाद उसने इस पर उर्दू में ‘‘लाइलाहइलाल्लाह मोहम्मद उररसूलउल्लाह‘ लिखवा दिया. इसके बावजूद उसकी मंशा पूरी नहीं हुई. दूर-दराज के साथ विदेश में रहने वाले गांव और आसपास के लोग शिवरात्रि, नागपंचमी और सावन के माह में यहां पर आते हैं और नीलकंठ महादेव के इस मंदिर में आस्‍था का जल चढ़ाते हैं.

हिला नहीं पाए थे छोटा सा शिवलिंग

मान्यता है कि जब शिवलिंग को खेत में देखा गया, तब लोगों को लगा किसी ने मजाक किया है. गांव वालों ने इस शिवलिंग को उठाकर किसी दूसरे मंदिर में रखना चाहा, लेकिन शिवलिंग को हिला तक नहीं पाए, फिर वहीं मंदिर बना दिया गया. यही कारण है कि लोग शिवलिंग को साक्षात महादेव का आशीर्वाद मानते हैं. यह एक स्वयंभू शिवलिंग है, जो खुद यहां प्रकट हुआ है. यह मंदिर रांची के नगरी गांव में रानी चुआ के ठीक समीप है.

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