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US Election 2024 : क्‍या है सुपर ट्यूज़डे,अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में इसकी क्या है अहमियत?


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नई दिल्लीः अमेरिका को इस साल नया राष्‍ट्रपति मिलेगा… 5 नवंबर को राष्‍ट्रपति पद के लिए चुनाव होगा. राष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवार की रेस में जो बाइडेन और डोनाल्‍ड ट्रंप प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. इस पर आज यानि ‘सुपर ट्यूजडे’ को मुहर लग जाएगी. सुपर ट्यूजडे अमेरिका के चुनावी साल का सबसे अहम दिन होता है. यह राष्ट्रपति चुनाव में शामिल उम्मीदवारों के लिए एक तरह से निर्णायक दिन माना जाता है. दरअसल, इसी दिन राजनीतिक दल के लिए उनका उम्मीदवार तय करते फाइनल करने का काम करता है.

क्या है सुपर ट्यूसडे

अमेरिका में जब भी राष्ट्रपति चुनाव होता है तब मार्च के शुरुआती दिनों में एकबार मतदान होता है. इसमें एक साथ कई राज्यों में प्राइमरी इलेक्शन होता है. सुपर ट्यूसडे (Super Tuesday) का दिन अपनी-अपनी पार्टी की तरफ से उम्मीदवारी पेश कर रहे उम्मीदवारों के लिए खास होता है. इस दिन साफ हो जाता है कि दोनों बड़ी पार्टी की तरफ से कौन उम्मीद होगा. डेमेक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों ही पार्टी के प्रत्याशी को कुल डेलिगेट्स में से कुछ तय प्रतिशत का समर्थन हासिल करना होता है.

सुपर ट्यूजडे अमेरिका के चुनावी कैलेंडर का सबसे अहम और व्यस्त दिन

अमेरिका में इस साल राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। इस बार की जंग वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मानी जा रही है। हालांकि, इस पर मुहर मंगलवार यानी 5 मार्च को लगेगी, जिसे ‘सुपर ट्यूजडे’ कहा जाता है। सुपर ट्यूजडे अमेरिका के चुनावी कैलेंडर का सबसे अहम और व्यस्त दिन होता है। यह राष्ट्रपति चुनाव में शामिल उम्मीदवारों के लिए एक तरह से निर्णायक दिन रहता है और राजनीतिक दलों के लिए उनका उम्मीदवार फाइनल करने का काम करता है।

डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी

इस दिन 16 राज्यों में चुनाव होंगे जो यह तय करेंगे कि डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए कौन उम्मीदवार होगा। डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से बाइडेन तो रिपब्लिकन की ओर से ट्रंप इस दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं। इसके लिए चुनाव अलास्का से लेकर कैलीफोर्निया और वर्जीनिया से लेकर वर्मोंट कर होंगे। रिपब्लिकन की ओर से भारतीय मूल की निक्की हेली ने भी दावेदारी पेश की है लेकिन ट्रंप के आगे वह अभी के प्राइमरी चुनावों में काफी कमजोर नजर आई हैं।

क्‍यों खास है सुपर ट्यूजडे

अमेरिका के चुनावी कैलेंडर में सुपर ट्यूजडे का दिन इसलिए भी बेहद खास है, क्‍योंकि पिछले 36 सालों में जिस भी शख्‍स ने ‘सुपर ट्यूजडे’ में बाजी मारी है, वहीं राष्ट्रपति की दौड़ के लिए रिपब्लिकन पार्टी का प्रत्याशी चुना गया हैं. दरअसल, सुपर मंगलवार वह दिन है, जब सबसे बड़ी संख्या में मतदाता राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के लिए मतदान करते हैं. इनमें से छह राज्‍यों के मतदाता अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं. रिपब्लिकन हो या डेमोक्रेट्स इन राज्‍यों के वोटर्स किसी खास पार्टी के समर्थक नहीं रहे हैं. ऐसे में इनके वोट काफी मायने रखते हैं. ये राज्य हैं, अलबामा, अर्कांसस, मिनेसोटा, टेक्सास, वर्मोंट और वर्जीनिया, जिनमें ओपन प्राइमरी का चलन है.

ट्रंप के नाम पर मुहर लगाएंगे रिपब्लिकन?

रिपब्लिकन पार्टी में पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप अभी तक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए सबसे आगे चल रहे हैं। उनको चुनौती देने वाली निक्की हेली का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। 27 फरवरी को मिशिगन में हुए प्राइमरी चुनाव में उन्हें 40 प्रतिशत पॉइंट्स से अधिक के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। वह अपने गृह राज्य साउथ कैरोलिना से भी हार गई थीं, जहां वह दो बार गवर्नर रह चुकी हैं। ऐसे में ट्रंप से आगे निकलने के लिए सुपर ट्यूजडे को निक्की के लिए आखिरी मौका माना जा रहा है।

बाइडेन को कई राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है

डेमोक्रेटिक पार्टी की बात करें तो इस बात की पूरी उम्मीद है कि जो बाइडेन को ही फिर से उम्मीदवार बनाया जाएगा। बाइडेन को कई राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिसका असर पब्लिक ओपिनियन पोल्स में दिखाई दिया है। लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उनके ही नाम पर मुहर लगाए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बीते कुछ समय में जो बाइडेन की जनता के बीच लोकप्रियता में काफी गिरावट देखने को मिली है। इसे लेकर कराए गए कुछ सर्वे ने डोनाल्ड ट्रंप को बाइडेन से आगे निकलता दिखाया है।

Super Tuesday पर कौन मार सकता है बाजी

अमेरिका चुनाव के जानकारों का अनुमान है कि सुपर ट्यूजडे में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को बड़ी संख्या में डेलिगेट (मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले पार्टी सदस्य) का समर्थन मिलने की संभावना है. सुपर ट्यूजडे अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के चयन के लिए प्राइमरी चुनाव प्रक्रिया का वह दिन होता है, जब सबसे अधिक राज्यों में प्राइमरी और कॉकस चुनाव होते हैं. ट्रंप को अब तक 244 डेलिगेट का समर्थन मिल चुका है. राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार बनने के लिए किसी भी दावेदार को कम से कम 1,215 डेलिगेट के समर्थन की आवश्यकता होगी.

किन राज्यों में होगा सुपर मंगलवार यानी मतदान?

बता दें कि 15 अमेरिकी राज्यों में सुपर मंगलवार को मतदान हो रहा है। इसमें अलबामा, अलास्का, अर्कांसस, कैलिफोर्निया, कोलोराडो, मेइने, मैसाचुसेट्स, मिनिसोटा, नॉर्थ कैरोलिना, ओकलाहोमा, टेनेसी, टेक्सास, यूटा, वर्मोन्ट, वर्जीनिया, समोआ 5 मार्च को रिपब्लिकन प्रतियोगिता में 2,429 प्रतिनिधियों में से 874 प्रतिनिधि मैदान में होंगे। 

प्राइमरी-कॉकस और फिर इलेक्शन डे

इलेक्शन डे यानी राष्ट्रपति चुनाव से पहले अमेरिका में प्राइमरी-कॉकस नाम के अहम चरण होते हैं. अमेरिका के अधिकतर राज्यों में प्राइमरी तरीके को अपनाया जाता है. इसमें लोग वोट डालकर पार्टी को बताते हैं कि उनकी पसंद का उम्मीदवार कौन है. वहीं कॉकस में ज्यादातर पार्टी के पारंपरिक वोटर ही हिस्सा लेते हैं और डेलीगेट्स चुनकर भेजते हैं, जो कि उम्‍मीदवार को नॉमिनेट करते हैं.इसके बाद आखिर में इकेल्शन डे आता है जब जनता अपने राष्ट्रपति को चुनती है. इसमें वोट देने के लिए जनता डेलिगेट्स की तरह इलेक्टर्स को चुनती है. अमेरिकी इलेक्ट्रोरल कोलाज में 538 इलेक्टर्स होते हैं. यह नंबर अमेरिका के दोनों सदनों की संख्या का जोड़ है. वहां हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स यानी प्रतिनिधि सभा और सीनेट में इतने सदस्य हैं. प्रतिनिधि सभा में 435 सदस्य होते हैं, जबकि सीनेट में 100 सांसद. अमेरिका के 51वें राज्य कोलंबिया से 3 सदस्य और शामिल होते हैं. हर राज्य से उतने ही इलेक्टर्स चुने जाते हैं, जितने उस राज्य से प्रतिनिधि सभा और सीनेट के सदस्य होते हैं. इस तरह 538 इलेक्टर्स से बनता है इलेक्टोरल कोलाज.

सुपर मंगलवार में हुए थे उलटफेर

सुपर मंगलवार से कई लोगों की दावेदारी मजबूत हुई। 2012 में रिपब्लिकन के टेड क्रूज आगे थे, लेकिन सुपर मंगलवार को ट्रंप 7 और टेड 4 राज्यों में ही जीते थे। इसलिए 2012 का राष्ट्रपति चुनाव ट्रंप ने जीता था। 2020 में डेमोक्रेटिक रेस में बाइडन पीछे थे, लेकिन सुपर मंगलवार में 10 राज्यों को जीतने के बाद वह बर्नी सेंडर्स से आगे निकल गए थे और राष्ट्रपति का चुनाव जीते थे। 

चाहिए होता है 270 का आंकड़ा

इलेक्शन डे पर वोटर्स अपने उम्मीदवार के समर्थन वाले इलेक्टर्स के पक्ष में वोट डालेंगे. फिर 538 इलेक्टर्स बैठेंगे और अपने अपने क्षेत्र के वोटरों के फैसले के अनुसार वे उम्‍मीदवार के पक्ष में वोट देंगे. जिसे भी 270 से ज्‍यादा वोट मिलेंगे वही अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुन लिया जाएगा. राष्‍ट्रपति की जीत के लिए 270 का आंकड़ा चाहिए होता है.बता दें कि राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अपनी-अपनी पार्टी के उम्मीदवार बनने के दावेदार- बॉबी जिंदल  (2016 में), कमला हैरिस (2020 में)  और विवेक रामास्वामी (2024 में) एक भी प्राइमरी चुनाव नहीं जीत पाए थे.

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