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सऊदी अरब : क्यों मस्जिद के अंदर ही इफ्तार पर लग गई रोक,रमजान को लेकर भी नए नियम


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नई दिल्ली – रमजान का पवित्र महीना आने वाला है, इस्लाम धर्म में इस महीने की खास अहमियत बताई गई है. रमजान को लेकर पूरी दुनिया में तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस्लाम का केंद्र माने जाने वाले सऊदी अरब ने रमजान के मद्देनजर नई गाइडलाइन जारी की है. जिसमें मस्जिदों में होने वाले इफ्तार को लेकर कुछ पाबंदियां लगाई हैं, यहां तक कि इमाम को इफ्तार के लिए लोगों से चंदा लेने के लिए भी मना किया है. बता दें कि रमजान में रोजा (उपवास) खोलने के लिए ज्यादातर मस्जिदों में इफ्तार (शाम के वक्त खाने-पीने) का इंतजाम किया जाता है, ये इंतजाम मुसाफिरों, गरीब लोगों के लिए होता है.

मस्जिदों को साफ रखने का दिया गया निर्देश

मंत्रालय ने मस्जिदों को साफ रखने के लिए अंदर इफ्तार परोसने पर प्रतिबंध लगा दिया और निर्देश दिया कि भोज कंपाउंड में एक पहले से तय किए गए स्थान पर आयोजित किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, नमाज के दौरान इमाम की फिल्म बनाने के लिए मस्जिदों के अंदर कैमरों के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध रहेगा या विभिन्न मीडिया के माध्यम से प्रार्थना प्रसारित करने और प्रसारित करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.

तरावीह में इमामों को लंबे बयान से मनाही

रमजान में होने वाली खास नमाज ‘तरावीह’ के दौरान मस्जिदों के इमामों को हिदायत दी गई है कि वे अपने बयानों को छोटा रखें. इसके अलावा मस्जिद में दिए जाने वाले बयानों (भाषणों) में सिर्फ रोजेदारों के लिए लाभकारी बातें बताने कहा गया है. साथ ही इफ्तार के तुरंत बाद होने वाली नमाज और अजान के बीच कम से कम 10 मिनट का समय देने की बात कही गई है.

रमजान की क्या है अहमियत?

रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग पैगंबर मोहम्मद साहब द्वारा बताए गए नेक रास्ते पर चलने की कोशिश करते हैं. इस दौरान वह बुरे कार्यों से दूर रहते हैं और अपनी सगे संबंधियों की दिल खोलकर मदद करते हैं.रोजे के दौरान रोजेदार शख्स सुबह से सूर्यास्त तक खाने-पीने से पूरी तरह परहेज करता है. रमजान पूरा होने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग ईद-अल-फितर का त्योहार धूमधाम से मनाते हैं.

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