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PM मोदी ने देश को सौंपा सबसे लंबा केबल ब्रिज ‘सुदर्शन सेतु ‘


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नई दिल्लीः देश में इंफ्रास्ट्रक्चर का एक और नायाब नमूना तैयार हुआ है। यह है सुदर्शन सेतु। ये देश का सबसे लंबा केबल ब्रिज है। इस ब्रिज को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित कर दिया है। आइए जानते हैं कि गुजरात के द्वारका में बने इस ब्रिज की क्या कुछ खासियतें हैं।

नरेन्द्र मोदी ने सुदर्शन सेतु का किया उद्घाटन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज ओखा मुख्य भूमि और बेट द्वारका द्वीप को जोड़ने वाले सुदर्शन सेतु का उद्घाटन किया. लगभग 2.32 किलोमीटर लंबा यह सेतु का देश का सबसे लंबा केबल-आधारित सेतु है. इसे लगभग 980 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. द्वारका एवं बेट-द्वारका के बीच यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा में लगने वाले के समय में काफी कमी लाएगा. साथ ही यह प्रतिष्ठित सेतु देवभूमि द्वारका आने वाले पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण भी होगा.

इतना किलोमीटर लंबा है ब्रिज

प्रधानमंत्री मोदी ने 25 फरवरी को गुजरात के द्वारका में ‘सुदर्शन सेतु’ का उद्घाटन किया। यह केबल ब्रिज ओखा को समुद्र के बीच बसे बेट द्वारका (Beyt Dwarka) से जोड़ता है। अगर इसकी लंबाई पर गौर करें तो यह करीब 2.32 किलोमीटर लंबा है।

द्वारका से 30 किलोमीटर दूर है बेयट द्वारका, लक्षद्वीप को भी मिलेगा फायदा

बेयट द्वारका ओखा बंदरगाह के पास एक द्वीप है, जो द्वारका शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर है जहां भगवान श्रीकृष्ण का प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर है. अधिकारियों ने बताया कि सेतु के निर्माण से पूर्व तीर्थयात्रियों को बेयट द्वारका तक पहुंचने के लिए नौका परिवहन पर निर्भर रहना पड़ता था और इस पुल के निर्माण से वे कभी भी यात्रा कर सकेंगे. सुदर्शन सेतु का फायदा लक्षद्वीप को लोगो को भी मिलेगा. ये द्वारका और लक्षद्वीप की दूरी को कम कर यात्रा के समय को बचाएगा.

भारत का सबसे लंबा पुल

PM मोदी ने किया सुदर्शन ब्रिज का उद्घाटन।पीएम मोदी ने सुदर्शन सेतु का उद्घाटन किया है. 2.5 किलोमीटर लंबाई वाला सुदर्शन सेतु पुल भारत का सबसे लंबा पुल है.सुदर्शन सेतु ओखा मेनलैंड और बेट द्वारका को जोड़ेगा. इसकी लागत करीब 980 करोड़ रुपये है. सुदर्शन सेतु पुल ओखा-बेट द्वारका सिग्नेचर ब्रिज के रूप में भी जाना जाता है.सुदर्शन सेतु द्वारकाधीश मंदिर में आने वालों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा. इसके साथ ही ओखा मेनलैंड को बेट द्वारका द्वीप से जोड़ने से इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी को नई दिशा मिलेगी.सुदर्शन सेतु को भगवद गीता के श्लोकों और दोनों तरफ भगवान कृष्ण की छवियों से सजाया गया है. यहां फुटपाथ भी है.सुदर्शन सेतु के निर्माण से पहले तीर्थयात्रियों को बेयत, द्वारकाधीश मंदिर तक पहुंचने के लिए बोट ट्रांसपोर्ट का सहारा लेना पड़ता था.भारत के सबसे लंबे सुदर्शन सेतु की एक खूबी यह भी है कि इसके फुटपाथ के ऊपरी हिस्सों पर सौर पैनल लगाए गए हैं, जो 1 मेगावाट बिजली भी पैदा करते हैं.इस चार लेन वाले पुल के दोनों तरफ 50 मीटर चौड़े फुटपाथ हैं. पीएम मोदी ने अक्टूबर 2017 में इस पुल की नींव रखी थी.

2016 में मिली थी मंजूरी

इस पुल के निर्माण को साल 2016 में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मंजूरी मिली थी। प्रधानमंत्री मोदी ने सात अक्तूबर, 2017 को ओखा और बेट द्वारका को जोड़ने वाले पुल की आधारशिला रखी थी। पहले इसकी अनुमानित लागत 962 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ा दिया गया।

इस कंपनी ने किया है निर्माण, 2.50 मीट चौड़े पैदलपथ

सुदर्शन पुल का निर्माण एसपी सिंघला कंस्ट्रक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने किया है. इसके अलावा पुल को नेशनल हाइवे ड‍िविजन ने गुजरात रोड एंड ब‍िल्‍ड‍िंग ड‍िपार्टमेंट के साथ मिलकर बनवाया है. एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, 2.32 किलोमीटर लंबे इस पुल का निर्माण 979 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है, जिसके बीच में 900 मीटर लंबा केबल आधारित हिस्सा है और पुल तक पहुंचने के लिए 2.45 किलोमीटर लंबा सड़क मार्ग है. चार लेन वाले 27.20 मीटर चौड़े पुल के दोनों तरफ 2.50 मीटर चौड़े पैदलपथ हैं.

प्रधानमंत्री ने X पर पोस्ट किया

प्रधानमंत्री ने X पर पोस्ट किया, “ओखा मुख्य भूमि और बेट द्वारका द्वीप को जोड़ने वाला सुदर्शन सेतु लगभग 980 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। लगभग 2.32 किलोमीटर लंबा यह सेतु का देश का सबसे लंबा केबल-आधारित सेतु है. “अदभुत सुदर्शन सेतु!”

‘सुदर्शन सेतु’ के बारे में खास बातें

  1. ‘सुदर्शन सेतु’ का निर्माण 979 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। इसे ओखा-बेट द्वारका सिग्नेचर ब्रिज के नाम से भी जाना जाएगा। ये पुल द्वारकाधीश मंदिर में आने वाले निवासियों और तीर्थयात्रियों के लिए बहुत खास महत्व रखेगा।
     
  2. चार लेन वाले 27.20 मीटर चौड़े ब्रिज पर दोनों तरफ 2.50 मीटर चौड़े फुटपाथ हैं। बताया जा रहा है कि सुदर्शन सेतु का अद्वितीय डिजाइन है। इसमें दोनों तरफ श्रीमद्भगवद गीता के श्लोकों और भगवान कृष्ण की छवियों से सजा हुआ एक फुटपाथ है।
     
  3. इसमें फुटपाथ के ऊपरी हिस्से पर सौर ऊर्जा के पैनल भी लगाए गए हैं, जिससे एक मेगावाट बिजली पैदा होगी।
     
  4. सुदर्शन सेतु के निर्माण से पहले, तीर्थयात्रियों को भेट द्वारका तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। उन्हें नाव पर निर्भर रहना पड़ता था। मौसम खराब हो तो लोगों को प्रतीक्षा करनी होती थी। अब इस ब्रिज के बन जाने से देवभूमि द्वारका के प्रमुख पर्यटक आकर्षण के रूप में भी काम करेगा। इसके अलावा, यात्रा करने वाले भक्तों के समय को काफी बचाएगा।
     
  5. इस ब्रिज का डेक कंपोजिट स्टील-रिइनफोर्स्ड कंक्रीट से बना है। 
     
  6. जिस पुल को ‘सिग्नेचर ब्रिज’ के नाम से जाना जाता था, अब उसका नाम बदलकर ‘सुदर्शन सेतु’ या सुदर्शन ब्रिज कर दिया गया है। बेट द्वारका ओखा बंदरगाह के पास एक द्वीप है, जो द्वारका शहर से लगभग 30 किमी दूर है, जहां भगवान कृष्ण का प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर स्थित है।

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