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Vitamin D की कमी से आपकी आंखों की सेहत को हो सकते हैं नुकसान-जानें


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नई दिल्लीः विटामिन डी ऐसा माइक्रो न्यूट्रिएंट है जो शरीर में हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाने का काम करता है. ये विटामिन शरीर में कैल्शियम के अवशोषण का काम करता है जिससे हड्डियां मजबूत और डेवलप होती है. लेकिन विटामिन डी केवल हड्डियों को ही मजबूत नहीं करता है, इससे दिमाग और आंखों की हेल्थ भी बनी रहती है. ऐसे में अगर शरीर में विटामिन डी कमी हो जाए तो स्वाभाविक रूप से आंखों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. आपको बता दें कि विटामिन डी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं और इसकी खुराक से आंखों में सूखापन, मोतियाबिंद बनने और रेटिनल डिजनरेशन के रिस्क कम होते हैं. इसलिए आंखों की हेल्थ को अच्छा बनाए रखने के लिए शरीर में विटीमिन डी की सही खुराक होना काफी महत्वपूर्ण कहा गया है.

विटामिन डी का मुख्य स्त्रोत सूरज की किरणें

विटामिन डी का मुख्य स्त्रोत सूरज की किरणें होती हैं इसीलिए इस विटामिन को सनशाइन विटामिन भी कहते हैं. शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर कैल्शियम की कमी भी होने लगती है क्योंकि विटामिन डी कैल्शियम (Calcium) को सोखने में सहायक होता है. शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगे तो कई लक्षण नजर आने लगते हैं. ऐसे में यहां जानिए विटामिन डी की कमी को किस तरह पहचाना जा सकता है और सूरज की रौशनी के अलावा किस तरह विटामिन डी की कमी पूरी की जा सकती है.

विटामिन डी की कमी से आखों पर पड़ने वाला बुरा प्रभाव

अगर शरीर में विटामिन डी की कमी है तो इसका आंखों की सेहत पर बुरा इफेक्ट पड़ता है. बॉडी में विटामिन डी की कमी से ना केवल सीरियस कंजेटिवाइटिस का रिस्क बढ़ जाता है बल्कि आंखों की इम्यूनिटी पर भी बुरा असर पड़ता है. डॉक्टर कहते हैं कि शरीर में विटामिन डी का सामान्य स्तर 30 होता है. जिस व्यक्ति के अंदर विटामिन डी का स्तर 10 से नीचे होता है, उसकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है और ऐसे में कंजेटिवाइटिस का वायरस ऐसे लोगों पर जल्दी अटैक करता है.कुछ साल पहले हुई एक स्टडी में कंजेटिवाइटिस के शिकार 90 फीसदी लोगों में विटामिन डी का लेवल सामान्य से बहुत कम था. ऐसे लोग आई फ्लू का जल्दी शिकार होते हैं और इसका आंखों पर बहुत बुरा असर पड़ता है. इतना ही नहीं विटामिन डी की खुराक कम लेने से चालीस साल से ऊपर की उम्र की महिलाओं में आंखों के नीचे डार्क सर्कल और पफी आइस की शिकायत बढ़ जाती है. विटामिन डी की कमी से आंखों में समय से पहले मोतियाबिंद होने के रिस्क बढ़ जाते हैं. इतना ही नहीं इसकी कमी व्यक्ति में रेटिनल डिजेनरेशन होने लगता है जिससे आंखों की कमजोरी बढ़ती है और दृष्टि कमजोर होने लगती है.

आंखों में दिखते हैं ये संकेत

अगर बार बार आंखें सूख रही हैं, उनमें जलन हो रही है तो इसका संकेत है कि बॉडी में विटामिन डी की कमी है. इसके साथ ही आंखों के नीचे डार्क सर्कल और सूजी हुई आंखें भी विटामिन डी की कमी के संकेत देती है. इसके साथ साथ आंखों में हर वक्त थकान हावी रहना भी इसका एक लक्षण है.

विटामिन डी की कमी के लक्षण

हड्डियों और मसल्स में होने लगता है दर्द

विटामिन डी की कमी होने पर मसल्स में दर्द रहने लगता है. इससे नर्व सेल्स को भी नुकसान पहुंचता है. हड्डियों का कमजोर होना भी विटामिन डी की कमी के चलते होता है. इसके अलावा, विटामिन डी की कमी से शरीर में कैल्शियम की कमी भी हो जाती है क्योंकि विटामिन डी कैल्शियम को सोखने में सहायक होती है. इसलिए भी विटामिन डी की कमी हड्डियों की कमजोरी (Weak Bones) और दर्द का कारण बनती है.

होती है थकावट

शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर थकान होने लगती है और थोड़ा भी काम करने पर थकावट महसूस होती है. इसके अलावा, बार-बार बीमार पड़ना भी विटामिन डी की कमी के कारण हो सकता है क्योंकि विटामिन डी इम्यूनिटी (Immunity) को मजबूत बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. ऐसे में विटामिन डी की कमी का असर इम्यून पावर पर भी पड़ता है और वायरल इंफेक्शंस का खतरा भी बढ़ जाता है.

बालों का झड़ना

बाल यूं तो कई कारणों से झड़ने लगते हैं और ऐसा ही एक कारण विटामिन डी की कमी भी हो सकता है. विटामिन डी की कमी होने पर बाल कमजोर होकर टूटने लगते हैं.

मानसिक सेहत पर भी होता है असर

मानसिक सेहत पर भी विटामिन डी की कमी का असर पड़ सकता है. विटामिन डी की कमी से डिप्रेशन जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. बार-बार मूड खराब होना या उदास महसूस करने का कारण विटामिन डी की कमी हो सकती है.

घावों का जल्दी ना भरना

विटामिन डी की कमी होने पर घाव भरने में दिक्कत हो सकती है. अगर घाव जल्दी नहीं भर रहे तो हो सकता है कि शरीर में विटामिन डी की कमी हो गई है.

मसूड़ों पर असर

शरीर में विटामिन डी की कमी होने या शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी ना मिले तो इसका प्रभाव दांतों और मसूड़ों (Gums) पर भी हो सकता है. मसूड़ों का काला पड़ना, मसूड़ों से खून बहना या मसूड़ों का उखड़ते हुए नजर आना इस विटामिन की कमी के कारण हो सकता है.

कैसे पूरी होगी विटामिन डी की कमी

विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए भरपूर मात्रा में धूप ली जा सकती है. रोजाना कम से कम 15 मिनट धूप में बैठकर विटामिन डी की कमी पूरी हो सकती है. इसके अलावा खानपान में उन चीजों क शामिल किया जा सकता है जिनमें विटामिन डी की अच्छी मात्रा होती है, जैसे फैटी फिश, चीज, अंडे का पीला भाग, दूध और मशरूम में भी विटामिन डी पाया जाता है.

बच्चों पर हुए शोध में सामने आई ये बात

इस अध्ययन में इस साल के जनवरी से लेकर जुलाई महीने तक, 51 बच्चों में से जिनकी उम्र 8 से 14 साल के बीच है और जिनमें से 31 लड़के और 20 लड़कियां थी, यह देखने को मिला की उनके सीरम विटामिन डी3 लेवल कम हैं। ऐसा 38 बच्चों में देखने को मिला। यह स्टडी डॉक्टर सौम्या आर, कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ पीडियाट्रिक ऑप्थमोलॉजी और स्ट्रेबिसमस, संकारा आई अस्पताल ने की।मायोपिया बच्चों में विजुअल इंपैरमेंट (अंधेपन) का मुख्य कारण है खासकर स्कूल में जाने वाले बच्चों में। भारत में 5.3% बच्चे और 35.6% बड़ों में यह समस्या देखने को मिलती है। आंखों की रोशनी कम होने का यह सबसे मुख्य कारण है जो बचपन में शुरू होता है और बड़े होते-होते घटता जाता है। इसके साथ ही अन्य समस्याएं जैसे रेटिनल डिटैचमेंट, ग्लूकोमा आदि शामिल हैं।

कैसे करें बचाव

विशेषज्ञ ने बताया कि, हमने मायोपिया के कम उम्र के मरीजों और वृद्ध मरीजों के विटामिन डी लेवल चेक किए जिसमें यह निष्कर्ष निकला। अगर विटामिन डी3 ही इसका कारण है तो बच्चों में मायोपिया के केस कम किए जा सकते है। बच्चों का विटामिन डी लेवल चेक करना चाहिए और उन्हें कम से कम डेढ़ घंटे के लिए धूप में बिठाना चाहिए ताकि उन्हें सूर्य की रोशनी से विटामिन डी की मात्रा मिल सके।

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