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राजनीति

बीजेपी के साथ का इरादा या सपा पर दबाव का दांव,क्या यूपी में भाजपा से हाथ मिलाएंगे जयंत चौधरी ?


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नई दिल्लीः पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सियासत में एक बार फिर जबरदस्त हलचल मची हुई है। यह हलचल विपक्षी दलों के गठबंधन समूह I.N.D.I गठबंधन से जयंत चौधरी के दूर जाने को लेकर मची है। सियासी जानकारों की मानें तो समाजवादी पार्टी की ओर से राष्ट्रीय लोकदल को दी गईं सात लोकसभा की सीटों पर सहमति नहीं बनी है.

क्या यूपी में भाजपा से हाथ मिलाएंगे जयंत चौधरी ?

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय लोकदल को सात सीटें देकर गठबंधन को आगे बढ़ाने का इशारा किया था। लेकिन राष्ट्रीय लोकदल की ओर से इस पर कोई टिप्पणी नहीं हुई। अब चर्चा यह है कि जयंत चौधरी I.N.D.I गठबंधन को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी के साथ हाथ मिला कर एनडीए में शामिल हो सकते हैं। इसके लिए सबसे बड़ा प्लेटफार्म चौधरी अजीत सिंह की प्रतिमा के अनावरण का बताया जा रहा है। छपरौली में आयोजित होने वाले प्रतिमा अनावरण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लाने की बात हो रही है। फिलहाल पश्चिम की सियासत में अब कयास इसी बात के लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही जयंत चौधरी भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन समूह एनडीए में शामिल हो सकते हैं। इसके लिए पश्चिम की चार लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ाने और एक राज्यसभा की सीट देकर राष्ट्रीय लोकदल को एनडीए में समायोजित करने की चर्चा हो रही है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित मंत्रिमंडल विस्तार में भी शामिल होने की बात हो रही है।

उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन का हिस्सा कांग्रेस, सपा और आरएलडी हैं

उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन का हिस्सा कांग्रेस, सपा और आरएलडी हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सीट शेयरिंग में आरएलडी को सात लोकसभा सीटें देने का ऐलान किया था और कांग्रेस को 11 सीटें देने की घोषणा की थी. लखनऊ में अखिलेश और जयंत चौधरी की मुलाकात हुई थी, जिसमें सपा ने बागपत, मुजफ्फरनगर, कैराना, मथुरा, बिजनौर अमरोहा और हाथरस सीट दी थी. अखिलेश ने आरएलडी के साथ सीट बंटवारे का ऐलान किया था तो जयंत चौधरी ने भी उसका स्वागत करते हुए अपनी स्वीकृति दी थी.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सियासत में हलचल मची हुई है

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सियासत में एक बार फिर जबरदस्त हलचल मची हुई है। यह हलचल विपक्षी दलों के गठबंधन समूह I.N.D.I गठबंधन से जयंत चौधरी के दूर जाने को लेकर मची है। सियासी जानकारों की मानें तो समाजवादी पार्टी की ओर से राष्ट्रीय लोकदल को दी गईं सात लोकसभा की सीटों पर सहमति नहीं बनी है। राष्ट्रीय लोकदल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी ने सात सीटें तो दे दीं, लेकिन उनमें से कुछ सीटों पर राष्ट्रीय लोकदल के चुनाव चिन्ह पर समाजवादी पार्टी अपने प्रत्याशी उतरना चाह रही है। इसे लेकर राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं समेत जयंत चौधरी नाखुश थे। सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी मुजफ्फरनगर, बिजनौर, कैराना और मथुरा की सीट पर लोक दल के चुनाव चिन्ह पर अपना प्रत्याशी उतारना चाह रही है।

अखिलेश यादव के ऑफर से नाराज जयंत चौधरी

खबरों के मुताबिक जयंत चौधरी, अखिलेश यादव के प्रस्ताव से नाराज चल रहे हैं, सपा ने आरएलडी को जो सात सीटें दी हैं उनमें चार सीटों पर रालोद के सिंबल पर सपा के उम्मीदवारों को लड़ने का प्रस्ताव दिया गया है. जिसके बाद से जाट कार्यकर्ताओं द्वारा उन पर गठबंधन तोड़ने का दबाव है. वहीं एनडीए में उन्हें तीन से चार सीटों का ऑफ़र दिया गया है. इनमें मथुरा और बागपत की सीटें आरएलडी की दी जा सकती है. जबकि एक राज्यसभा सीट भी दी जा सकती है. आपको बता दे कि रालोद ने 2019 का लोकसभा चुनाव भी सपा के साथ गठबंधन में लड़ा था, इसमें उन्हें तीन सीटें दी गई थीं, लेकिन उन्हें एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हो पाई थी. वहीं साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी रालोद ने 33 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से पार्टी को नौ सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

सपा और RLD में क्यों मतभेद

आरएलडी कोटे वाली लोकसभा सीटों पर सपा के अपने नेताओं के चुनाव लड़ने वाले फॉर्मूले पर सियासी पेंच फंसा हुआ था, जिसके बाद सुलझाने की कोशिश हो रही थी. जयंत चौधरी के बीजेपी के साथ नजदीकी बढ़ने की खबरों ने INDIA गठबंधन में सियासी हलचल मचा दी है. कहा जा रहा है कि जयंत चौधरी की बीजेपी के साथ लगभग डील फिक्स हो गई है और उन्हें पश्चिम यूपी की चार सीटें देने की बात हुई है, जिसमें हाथरस, बागपत, मथुरा और अमरोहा की सीट शामिल है. जयंत चौधरी मुजफ्फरनगर और कैराना में से एक सीट और चाह रहे हैं.

कठपुतली नहीं बनना चाहती RLD

2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी सपा ने आरएलडी को 33 सीटें दी थी और उनमें से 8 सीट पर अपने नेताओं को चुनाव लड़ाया था, जिसे लेकर बहुत ज्यादा विरोध हुआ था. सपा के नेता आरएलडी के टिकट पर 2022 में मीरापुर, पुरकाजी और सिवालखास से विधायक चुने गए. अब फिर से सपा वही दांव लोकसभा चुनाव में आजमाना चाहती है. जयंत चौधरी को सपा की यह शर्त कतई स्वीकार नहीं है, क्योंकि आरएलडी के नेता गठबंधन के इस फॉर्मूले का खुलकर विरोध कर रहे हैं.

पाला बदलेंगे या प्रेशर पॉलिटिक्स?

बीजेपी के साथ गठबंधन की चर्चा पर आरएलडी की तरफ से न ही कोई अधिकारिक बयान आया है और न ही खंडन किया गया है. जयंत चौधरी ने पूरी तरह से खामोशी अख्तियार कर रखी है. यही वजह है कि इसे प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत भी देखा जा रहा है. विधानसभा सत्र बीच में ही छोड़कर आरएलडी विधायकों को दिल्ली बुला लिया गया था, लेकिन फिर ऐन वक्त पर इंतजार करने के लिए कह दिया गया.

RLD का फायदा किस में?

आरएलडी नेताओं ने इंडिया गठबंधन में अपने हिस्से में आई सभी सीटों पर जो सर्वे कराया, उसमें अपने ही प्रत्याशी लड़ाने की बात भी सामने आई थी. जिसके बाद असमंजस की स्थिति है. आरएलडी का कोर वोटबैंक जाट समुदाय है, इस समुदाय का एक तबका बीजेपी के साथ जाने के लिए दवाब बना रहा है, जिसके चलते भी जयंत चौधरी कशमकश में हैं. सूत्रों की माने तो शामली से आरएलडी विधायक प्रसन्न चौधरी बीजेपी के साथ गठबंधन के सबसे बड़े समर्थकों में से एक हैं. उन्हें लगता है कि इंडिया गठबंधन से ज्यादा बीजेपी के साथ गठबंधन करने का सियासी फायदा आरएलडी को मिलेगा?

राष्ट्रीय लोकदल और भाजपा के बीच बहुत कुछ तय

सूत्रों के मुताबिक के राष्ट्रीय लोकदल और भाजपा के बीच बहुत कुछ तय हो चुका है। सीटों के समझौते से लेकर सभी सियासी समीकरण और राजनीतिक गुणा गणित भी लगाई जा चुकी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं में चर्चा इस बात की हो रही है कि छपरौली में चौधरी अजीत सिंह की प्रतिमा अनावरण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत कर सकते हैं। दरअसल इस प्रतिमा का अनावरण 12 फरवरी को होना था, लेकिन बाद में इसे टाल दिया गया। जानकारों के मुताबिक प्रतिमा अनावरण के टाले जाने की प्रमुख वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों अनावरण की तैयारी है। सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौधरी अजीत सिंह की प्रतिमा का अनावरण कर सकते हैं। ऐसी दशा में न सिर्फ राष्ट्रीय लोकदल, बल्कि भाजपा भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत सियासी दांव खेलकर आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है।

राष्ट्रीय लोक दल और भाजपार्टी के बीच समझौता

सूत्रों के मुताबिक अगर राष्ट्रीय लोक दल और भाजपार्टी के बीच समझौता होता है, तो कैराना, मथुरा बागपत और अमरोहा लोकसभा सीटें राष्ट्रीय लोकदल के हिस्से आ सकती हैं। राष्ट्रीय लोकदल से जुड़े नेताओं की मानें, तो इन चार लोकसभा सीटों के अलावा शुरुआती बातचीत में एक राज्यसभा की सीट भी राष्ट्रीय लोक दल के हिस्से में दिए जाने की बात भाजपा के साथ तय हो चुकी है। चर्चा इस बात की भी हो रही है कि राष्ट्रीय लोकदल और भाजपा मिलकर चुनाव लड़ते हैं और अगली बार अगर सरकार बनती है, तो राष्ट्रीय लोकदल को भी कैबिनेट में जगह दी जा सकती है। इसके अलावा गठबंधन की दशा में योगी सरकार की कैबिनेट में जगह देने की बात सामने आ रही है। सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी के बीच में तीन महत्वपूर्ण मुलाकातें भी हो चुकी हैं।

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