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UCC संग्राम पर सपा सांसद एसटी हसन ने दिया ये बयान ,बोले-‘दो शादियां मुस्लिमों में कम, हिंदुओं में ज्यादा होती हैं’


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नई दिल्लीः उत्तराखंड में पेश किए गए समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक पर मंगलवार (6 फरवरी) को सियासी संग्राम छिड़ता नजर आया. मुस्लिम संगठनों और कई धर्म गुरुओं ने इस फैसले को लेकर उत्तराखंड सरकार की कड़ी आलोचना की है. यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद एसटी हसन ने कहा, “आप कितने भी कानून ले लाएं पर हम वही मानेंगे जो कुरान शरीफ में है.”

यूसीसी बिल कुरान के खिलाफ होगा,तो हम इसका विरोध करेंगे

सपा सांसद एसटी हसन ने कहा, “हम कुरान के हिदायत से अपनी जिंदगी गुजारते हैं. अगर यूसीसी बिल कुरान के खिलाफ होगा, तो हम इसका विरोध करेंगे. हालांकि, मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि इस कानून को लाने की जरूरत क्या है? ये लोग केवल देश को बांटना चाहते हैं, उनके पास बताने के लिए और कुछ नहीं है. 76 साल से देश चल रहा है, किसी को कोई परेशानी नहीं है. किसी ने कुछ शिकायत भी नहीं की है, फिर ये बिल क्‍यों लाया गया.”

‘हमारी समिति करेगी अध्यन, फिर लेंगे निर्णय’

यूसीसी पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली बोले, “क्या यूसीसी आने पर सभी कानूनों में एकरूपता होगी? नहीं, बिल्कुल भी एकरूपता नहीं होगी. जब आपने कुछ समुदायों को इससे छूट दी है तो एकरूपता कैसे हो सकती है? हमारी कानूनी समिति इसका अध्ययन करेगी और इसके बाद इस पर निर्णय लेंगे.”

धर्म के रीति-रिवाज अलग-अलग है

तीन तलाक के बिल पर एसटी हसन ने कहा, “तलाक का कानून पास किया, लेकिन उसका गलत इस्तेमाल हो रहा है. देखिए, यह मुमकिन नहीं है… क्‍योंकि हर धर्म के रीति-रिवाज अलग-अलग है. हर धर्म अपने हिसाब से चलता है…किसी का कानून किसी पर आप लागू नहीं कर सकते हैं.”

यह आर्टिकल 25 का उल्लंघन

वहीं, देहरादून के शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी ने कहा कि यूसीसी केवल धर्म विशेष के खिलाफ है क्योंकि इसमें मुस्लिम समाज की ओर से दी गई आपत्तियों को दरकिनार किया गया है. इसमें मुस्लिम समाज के सुझावों को भी जगह नहीं मिली है. हम संवैधानिक दायरे में रहते हुए इसका विरोध करेंगे. यह आर्टिकल 25 के तहत हर धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अपने धर्म पर चलने की आजादी का उल्लंघन है.

यह मुस्लिम पर्सनल लॉ पर हमला

मुस्लिम सेवा संगठन (एमएसएस) के अध्यक्ष नईम कुरैशी का कहना है कि यूसीसी के चार प्रावधान सीधे मुस्लिम पर्सनल लॉ पर हमला करते हैं. यह सिर्फ मुस्लिम पर्सनल लॉ खत्म करने के लिए लाया गया है. हालांकि, उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या ने मंगलवार (6 फरवरी) को कहा कि कांग्रेस इस विधेयक के खिलाफ नहीं हैं. इस तरह की अफवाह फैलाई जा रही है कि कांग्रेस इसके खिलाफ है.

‘कानून नहीं केवल कुरान को मानेंगे’

यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद एसटी हसन ने कहा कि आप चाहें जितने भी कानून ले आए, लेकिन हम वही मानेंगे जो कुरान शरीफ में लिखा है. उन्होंने कहा, “हमें मालूम है कि आप ये कानून क्यों ला रहे हैं. वोट पाने की राजनीति के चलते लोकसभा चुनाव से पहले ये कानून लाने की क्या जरूरत है. ये कानून सिर्फ हिंदू-मुसलमान को लड़ाने के लिए लाया जा रहा है. हम इस कानून को नहीं मानेंगे, हम केवल कुरान में लिखी बातों को मानेंगे.”

सरकार ने की बेशर्मी की हद पार- हसन

सांसद हसन ने सरकार की ओर से बनाए गए लिव-इन रिलेशनशिप कानून पर आपत्ति जताते हुए कहा कि आपने तो बेशर्मी की हद पार कर दी हैं. एक के साथ रहें या दस के साथ इसको आपने कानूनी दर्जा दे दिया है, फिर सरकार ही बताए कि दो शादी ना करने के कानून का क्या अस्तित्व है?

सभी को नहीं मिलेगी एकरूपता

वहीं दूसरी ओर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि यूसीसी के आने से सभी कानूनों में एकरूपता नहीं होगी. जब कुछ समुदायों को आपने इससे छूट दी है तो यह एकरूपता कैसे हो सकती है. उन्होंने आगे कहा कि हमारी कानून समिति पहले इसका अध्ययन करेगी, फिर ही इस पर निर्णय लिया जाएगा.

उत्तराखंड आज़ादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य हो जाएगा

उत्तराखंड विधानसभा में UCC यानी समान नागरिक संहिता बिल पेश हो गया है. कानून बनने के बाद उत्तराखंड आज़ादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य हो जाएगा. विधानसभा में BJP के पास पूर्ण बहुमत है. ऐसे में इस विधेयक का पास होना तय माना जा रहा है. उत्तराखंड विधानसभा का 4 दिन का विशेष सत्र सोमवार से शुरू हुआ है. इससे पहले रविवार को इस विधेयक को कैबिनेट की मंज़ूरी मिली थी.

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