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नाथूराम गोडसे ने नहीं की महात्मा गांधी की हत्या,रंजीत सावरकर का दावा


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नई दिल्ली – राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि से एक दिन पहले आज सोमवार को उन पर आई किताब से हंगामा मच गया है. इस किताब में यह दावा किया गया है कि नाथूराम गोड़से की गोली से गांधी की मौत नहीं हुई थी, उनकी मौत किसी दूसरे की गोली से हुई थी. किताब में यह भी अपील की गई है कि महात्मा गांधी के मौत के कारणों की जांच के लिए आयोग का गठन किया जाए क्योंकि उनकी हत्या के सबूत दबा दिए गए थे.

‘नाथूराम गोडसे अपराधी नहीं, पत्रकार था’

रणजीत सावरकर ने कहा है कि कर्नल तनेजा ने सावधानीपूर्वक रिपोर्ट तैयार की है. गोडसे का मानना ​​था कि गोलियां उन्होंने चलाईं लेकिन असली गोलियां दूसरों ने चलाईं. वहां 200 लोग थे. सुरक्षा थी. नाथूराम गोडसे अपराधी नहीं था. वह पत्रकार थे. इसलिए उन्हें निशाना बनाना संभव नहीं था. ये सारे सबूत बताते हैं कि गोडसे ने गांधी जी नहीं मारे. गांधी जी की मृत्यु किसी और की गोली से हुई. हमें जांच करनी चाहिए कि वे कौन थे. किताब में कहा है कि गांधी जी की हत्या के सबूत दबा दिये गये, इसकी जांच शुरू होनी चाहिए.

गांधी पर गोली नहीं चलाई

सावरकर का कहना है, कि नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी पर गोली नहीं चलाई थी. साथ ही रंजीत सावरकर ने अपनी नई किताब ‘मेक श्योर गांधी इज डेड’ में कई सनसनीखेज दावे किए हैं. बताया जा रहा है, सावरकर ने अपनी किताब में दावा करते हुए कहा है, कि महात्मा गांधी के शरीर में मिली गोलियां अलग दिशा से आई थीं. जिस गोली की वजह से गांधी जी की मौत हुई वह नाथूराम गोडसे की नहीं थी. ऐसे में सावरकर ने सरकार से यह पता लगाने की अपील की है, कि गांधीजी की हत्या के पीछे कौन है.किताब से सावरकर का दावा है, कि नाथूराम गोडसे को RSS और हिंदू महासभा से प्रतिबंधित कर दिया गया था, क्योंकि वह केवल RSS का स्वयंसेवक था. बताया जा रहा है,कि इस पुस्तक से पता चलेगा कि राम का नाम लेने से एक महान पाप का दमन हो गया, राम का नाम लेकर बड़ा पाप छुपाया गया था.

‘गांधी के शरीर में मिली गोली अलग थी’

रंजीत सावरकर की किताब में यह दावा किया गया है कि महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने नहीं की थी. गांधी की हत्या किए जाने के समय गोडसे उनके सामने खड़े थे लेकिन गांधी को ऊपर की ओर गोली मारी गई. महात्मा गांधी नाथूराम की गोलियों से नहीं मरे थे. किताब के अनुसार, गोडसे की ओर से चलाई गई गोलियां और महात्मा गांधी के शरीर में मिली गोलियां दोनों अलग-अलग थीं.किताब दावा करता है, “गोडसे ने स्वीकार किया ​​था कि गोलियां उन्होंने चलाई थी, लेकिन वो गोली किसी दूसरे ने चलाई थी जिससे महात्मा गांधी की जान गई. असली गोलियां दूसरों ने चलाई थी. वहां करीब 200 लोग मौजूद थे. वहां पर सुरक्षा भी थी.” नाथूराम गोडसे अपराधी नहीं थे. वह एक पत्रकार थे. इसलिए उन्हें निशाना बनाना संभव नहीं था.

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