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बिहार में सियासी हलचल के बीच अटकलों का दौर,’क्या नीतीश कुमार का पॉलिटिकल करियर होगा खत्म?


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नई दिल्लीः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को अचानक राज्यपाल से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है कि नीतीश कुमार फिर से पलटी मांर सकते हैं। बता दें कि नीतीश कुमार की राज्यपाल से मुलाकात 40 मिनट तक चली और नीतीश कुमार के खास मंत्री विजय कुमार चौधरी भी साथ रहे। सीएम नीतीश की अचानक राज्यपाल से मुलाकात पर चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। प्रशांत किशोर ने कहा कि ‘2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद, नीतीश कुमार किधर जाएंगे, इसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता। पीके ने कहा कि नीतीश कुमार खुद भी नहीं जानते हैं कि वो किधर जाएंगे।’

कहां रहेंगे नीतीश कुमार?

प्रशांत किशोर ने आगे कहा, “नीतीश कुमार अब अपना करियर नहीं बचा सकते हैं। वो अब कहां रहेंगे उसका कोई महत्व नहीं है, क्योंकि नीतीश कुमार की राजनीतिक पारी का ये अंतिम दौर चल रहा है। उन्हें जितने हाथ-पैर मारने हैं मार लें, चाहे एनडीए में रहें या महागठबंधन में रहें… नीतीश कुमार के जो अभी हालात हैं, वो ये हैं कि वो जिसके साथ भी जाएंगे या जो दल उनको लेगा… नीतीश कुमार तो डूबेंगे ही और उसको भी डूबा देंगे।”

नीतीश की पारी का ये अंतिम दौर है

प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार की राजनीतिक पारी का ये अंतिम दौर चल रहा है। पहली बात नीतीश कुमार अब अपना करियर नहीं बचा सकते हैं। दूसरी बात कि नीतीश कुमार अब कहां रहेंगे? इसका कोई महत्व नहीं है क्योंकि ये उनके राजनैतिक करियर का अंतिम दौर चल रहा है। अब उनको जितना हाथ-पैर मारना है, मार लें। नीतीश कुमार अब चाहे महागठबंधन में रहें या एनडीए में रहें, लेकिन अभी जो उनके हालात हैं, उनमें वो जिसके भी साथ जाएंगे, जिस दल के साथ जाएंगे उसे भी डूबो देंगे।

नीतीश को समझ पाना मुश्किल है

प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के पॉलिटिक्स करने का तरीका भी बताया। पीके ने कहा कि नीतीश कुमार जिस दल से साथ रहते हैं, वो उसे डराते रहते हैं। वो अपने गठबंधन के साथी को एहसास दिलाते रहते हैं कि अगर हम पर ध्यान नहीं दोगे तो हम उधर भी जा सकते हैं। उनके पॉलिटिक्स करने का यह पुराना तरीका है। वो इसमें ही माहिर हैं, इसीलिए कह नहीं सकते किधर जाएंगे।

पीके ने बताया नीतीश का पॉलिटिक्स करने का तरीका

जन सुराज के संस्थापक ने नीतीश कुमार के पॉलिटिक्स करने का तरीका बताया। पीके ने कहा कि नीतीश कुमार जिस दल से साथ रहते हैं, वो उसे कुछ न कुछ करते हुए डराते रहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार कल बीजेपी में जा रहे हैं। ये नीतीश कुमार की राजनीति का तरीका है, जो उनके साथ रहता है, उनको हमेशा डराते रहते हैं। वो अपने गठबंधन साथी को एहसास दिलाते रहते हैं कि अगर हम पर ध्यान नहीं दोगे तो हम उधर भी जा सकते हैं।

बोले प्रशांत किशोर- ‘नीतीश कुमार डराते हैं…’

बयान जारी करते हुए जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा कि कुछ दिन पहले कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक हुई उसमें उनकी पार्टी के अध्यक्ष ललन सिंह नहीं गए किसी दूसरे आदमी को उन्होंने भेजा. ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार कल बीजेपी में जा रहे हैं. ये नीतीश कुमार की राजनीति का तरीका है जो उनके साथ रहता है उनको हमेशा डराते रहते हैं कि अगर हम पर ध्यान नहीं दोगे तो हम उधर भी जा सकते हैं.

पीके ने कही ये बात

पीके ने कहा कि वो क्यों महागठबंधन बनाए हैं पहले ये समझिए. नीतीश कुमार महागठबंधन बनाए अगस्त में उससे पहले मार्च में दिल्ली आकर मेरे साथ घंटों बैठे थे. पटना में भी मिले थे, वो सिर्फ इसलिए आरजेडी के साथ गए, क्योंकि उनके दिमाग में ये बात आ गई थी कि 2024 के लोकसभा के चुनाव के बाद अगर भारतीय जनता पार्टी देश में जीत जाएगी तो हमको हटाकर अपना मुख्यमंत्री बना देंगे. जेडीयू के 42 विधायक थे और बीजेपी का 75, तो इसी डर से इन्होंने सोचा कि बीजेपी हमको हटाए इससे पहले हम खुद महागठबंधन बना लेते हैं कम से कम 2025 तक कुर्सी बची रहेगी. नीतीश कुमार की अपनी जो सहूलियत होगी जिसमें उन्हें अपना स्वार्थ दिखेगा उस दिशा में वो जाएंगे.

जिस नीतीश कुमार की हमने मदद की थी’

जन सुराज के सूत्रधार पीके ने कहा कि 2014-15 में जिस नीतीश कुमार की हमने मदद की थी उनका नाम ‘सुशासन बाबू’ था। बिहार में बड़ा वर्ग ऐसा मानता था कि 2005 से लेकर 2012-13 के दौर में नीतीश कुमार ने बिहार को सुधारने में कुछ प्रयास किए थे। हमने भी उसी नीतीश कुमार की मदद की थी।

‘जुगाड़ लगाकर मुख्यमंत्री बने हुए हैं’

प्रशांत किशोर ने कहा कि आज नीतीश कुमार को कोई भी सुशासन बाबू के नाम से नहीं जानता है। 14-15 में वो नीतीश कुमार ने पार्टी के चुनाव हारने के बाद इस्तीफा दे दिया था, लेकिन आज नीतीश कुमार 2020 में चुनाव हार गए हैं। 243 की विधानसभा में सिर्फ 42 विधायक उनके पास हैं… और फिर कोई ना कोई जुगाड़ लगाकर वो मुख्यमंत्री बने हुए हैं। मैं नीतीश कुमार का मानवता के आधार पर विरोध कर रहा हूं।

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