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भारत-जापान की डायरेक्टर्स ने मिलकर बनाई थी राम पर पहली फिल्म,सिर्फ 1 वजह से हुई थी बैन


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नई दिल्लीः अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. इस मौके पर पूरा श्रीराम के भक्ति में डूबा हुआ है. ऐसे में हम आपको रामायण पर आधारित एक ऐसी फिल्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर हैरानी होगी. यह फिल्म साल 1992 में बनी थी. इस फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया गया क्योंकि उस समय विवादित ढांचे को गिराने (बाबरी मस्जिद) को लेकर सियासत गरमाई हुई थी और दंगे हो रहे थे. फिल्म को भारत और जापान के प्रसिद्ध एनिमेशन डायरेक्टर ने डायरेक्ट किया था.

आज है अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

आज है अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा. देश में राममयी माहौल है, हालांकि ऐसा माहौल पहली बार नहीं है। 1980 के दौर में शो रामायण जब टीवी पर प्रसारित होता तो सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था। लोग इस सीरियल में राम-सीता बने अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया को देखकर आज भी हाथ जोड़ लेते हैं और उनके पैर छूने लगते हैं।बॉलीवुड में भी राम और रामायण पर आधारित कई फिल्में बनी हैं। पिछले साल रिलीज हुई 600 करोड़ रु. के बजट में ‘आदिपुरुष’ भले ही फ्लॉप रही, लेकिन इससे भी ये ट्रेंड फीका नहीं पड़ा।

रामायण से दूसरे देश के फिल्म मेकर्स भी इंस्पायर रहे हैं

अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण जारी है. अब आज यानी 22 जनवरी को रामलला प्राण प्रतिष्ठा होगी और इस मौके पर सभी राम भक्त राममय हो चुके हैं. भारतीय सिनेमा में रामायण पर आधारित कई सारी फिल्में बनी हैं लेकिन रामायण से दूसरे देश के फिल्म मेकर्स भी इंस्पायर रहे हैं. इसमे जापानी डायरेक्टर Yugo Sako का नाम भी शामिल है. जापानी डायरेक्टर युको सको ने रामायण के बारे में 1983 में जाना था और तभी उन्होंने मन बना लिया था कि इसपर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाएंगे. कफी समय भारत में रहने के दौरान उन्होंने रामायण के बारे में गहराई से जाना और इसमें उन्हें करीब 10 साल लगे लेकिन फिल्म बनी.

हिंदी सिनेमा के इतिहास में रामायण पर अब तक 50 फिल्में और तकरीबन 20 टीवी शो बन चुके

इसका उदाहरण हाल ही में रिलीज हुई तेलुगु फिल्म ‘हनुमान’ है जिसकी कमाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। फिल्म ने ग्लोबली 150 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाई कर ली है जिससे साफ है कि रामायण पर फिल्म बनाने का फॉर्मूला हमेशा सुपरहिट साबित हुआ है।यही वजह है कि 112 साल के हिंदी सिनेमा के इतिहास में रामायण पर अब तक 50 फिल्में और तकरीबन 20 टीवी शो बन चुके हैं और ज्यादातर फिल्मों ने अच्छी कमाई की है।

रामायण-द लेजेंड ऑफ प्रिंस रामा फिल्म से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें

फिल्म रामायण-द लेजेंड ऑफ प्रिंस रामा (Ramayana: The Legend of Prince Rama) को बच्चे, युवा और बूढ़े सभी पसंद करते हैं. इस फिल्म को 2022 में फिर से रिलीज किया गया था. इस फिल्म में भगवान राम के एनिमेटेड किरदार को अरुण गोविल (Arun Govil) ने आवाज दी थी तो रावण के किरदार को अमरीश पुरी (Amrish Puri) ने आवाज दी थी. इस फिल्म से जुड़ी तमाम ऐसी बातें हैं जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे. जब पूरा देश राममय है तो ऐसे मौके पर चलिए आपको इस फिल्म से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें आपको बताते हैं.

‘रामायणः द लेजेंड ऑफ प्रिंस रामा’ जापान में हुई थी रिलीज

‘रामायणः द लेजेंड ऑफ प्रिंस रामा’ 1993 में जापान में रिलीज हुई. भारत में इसे शुरुआत में रिलीज नहीं किया गया. इंडिया टुडे के मुताबिक इसका बजट 6.7 मिलियन डॉलर था और इसने बड़े पर्दे पर 13 मिलियन डॉलर की कमाई की थी. युगो साको एक एनिमेटर भी थे. उन्होंने फिल्म बनाने से पहले जापान से भारत का लगभग 60 से ज्यादा बार दौरा किया था.

क्या है ‘रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम’

युगो साको पहली बार 1970 में भारत आए. उसके बाद से उन्होंने भारत से जुड़ी कई डॉक्यूमेंट्रीज़ बनाईं. फिर 1983 में वो डॉक्यूमेंट्री ‘The Ramayan Relics’ बनाने भारत आए. जो कि इलाहाबाद के पास हो रही पुरातत्व संबंधी खुदाई से जुड़ी हुई थी. उसी दौरान उनका परिचय राम से हुआ. महाकाव्य रामायण से हुआ. वो राम की कहानी, बुराई की अच्छाई पर विजय से बहुत प्रभावित हुए. जैसे-जैसे उनका शोध आगे बढ़ता गया, उन्हें ये एक मिथक से कहीं ज़्यादा लगने लगी. उन्हें इसमें जीवन दर्शन और ऐतिहासिक तत्व दिखे. इसके बाद उन्होंने वाल्मीकि रामायण के 10 वर्जन पढ़े. हालांकि उनका बैकग्राउन्ड एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्ममेकर का था. फिर भी उन्होंने भारत के कोलैबोरेशन से एक एनिमेशन फ़िल्म बनाने की ठानी. उनका मानना था, राम एक भगवान हैं. ऐसे में मुझे लगता है कि कोई ऐक्टर उनका रोल करे, इससे बेहतर है इसे एनिमेट किया जाए. साको ने इसके बाद महीनों इसके नरेटिव पर काम किया. किरदारों के कपड़ों पर रिसर्च की. रामकालीन आर्किटेक्चर पर काम किया. इसके लिए वो कई पुरातत्वविदों, शिक्षाशास्त्रियों और इतिहासकारों से मिले. वो विदेशी होने के नाते इस मामले में और अधिक सतर्क रहना चाहते थे कि ये बढ़िया बने. भारतीयों की धार्मिक भावनाओं को किसी तरह से आहत ना करे.  इसकी एनिमेशन टेक्निक में भारत और जापान का मेल है. जापानी स्कूल ऑफ एनिमेशन Manga और भारतीय क्लासिकल पेंटिंग को मिलाकर इसके किरदारों को गढ़ा गया था. इसमें साको की मदद भारतीय एनिमेटर राम मोहन ने की थी.

युगो साको 1985 में डॉक्यूमेंट्री बनाने भारत आए थे

युगो साको पहले बार 1985 में भारत आए थे. उन्हें एक डॉक्यूमेंट्री- ‘द रामायण रिलाइस’ बनानी थी. यह अयोध्या के आसपास आर्कियोलॉजिकल खुदाई के बारे में थी. यह पहली बार था जब उन्हें श्रीराम के बारे में पता चला. उन्होंने भारतीय फिल्ममेकर राम मोहन और 450 आर्टिस्ट के साथ काम किया और इस पौराणिक कहानी कहानी को एक पुल लेंग्थ फिल्म में बदला. राम मोहन को भारतीय एनिमेशन का फादर भी कहा जाता है.

‘रामायण-द लेजेंड ऑफ प्रिंस रामा’ से जुड़ी 5 अहम बातें

1.युगो साको 1983 में भारत आए थे जब वो एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म पर काम कर रहे थे. उसी समय उन्हें श्रीराम के बारे में पता चला और उन्होंने सोच लिया था कि रामायण पढ़ने के बाद वो इसपर एक फिल्म जरूर बनाएंगे.

2.युको सको ने भारतीय डायरेक्टर राम मोहन के साथ फिल्म रामायण-द लेजेंड ऑफ प्रिंस रामा बनाई जो 1993 में रिलीज हुई. राम मोहन को एनिमेटेड फिल्मों का फादर भी कहते हैं.

3.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 89वें मन की बात में इस फिल्म का जिक्र किया था. पीएम मोदी ने बाद में इस फिल्म के जापानी प्रोडयूसर्स के मुलकात भी की थी. साल 2022 में इस फिल्म को एक बार फिर सिनेमाघरों में रिलीज किया गया था.

4.साल 1993 में फिल्म रामायण: द लेजेंड ऑफ प्रिंस रामा को जापान में जापानी भाषा में ही रिलीज किया था. बाद में इसे हिंदी और इंग्लिश भाषाओं में भी रिलीज किया गया जिसे जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला था.

5.रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस फिल्म का बजट 6.7 मिलियन डॉलर था और बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने 13 मिलियन डॉलर के आस-पास की कमाई की थी. इस फिल्म को युगो साको और राम मोहन ने मिलकर एनिमेट किया था.

रामायण पर बनी जापानी फिल्म भारत में बैन

हिंदू काव्य रामायण पर केवल भारत में ही नहीं, बल्कि जापान में भी फिल्म बन चुकी है। इस जापानी फिल्म का नाम ‘रामायण द लीजेंड ऑफ प्रिंस रामा’ था जो कि एनिमेटेड फिल्म थी। दरअसल, 1983 में जापानी फिल्ममेकर यूगो साको जब पहली बार भारत आए तो उन्हें रामायण के बारे में मालूम चला। उन्होंने जापानी में रामायण के 10 वर्जन पढ़े और फिल्म बनाने के बारे में सोचा।

विश्व हिंदू परिषद ने रामायण को एनिमेशन में बनाने का विरोध किया

1990 के दशक में फिल्म की मेकिंग शुरू हुई, लेकिन इससे पहले ही ये विवादों में आ गई। विश्व हिंदू परिषद ने रामायण को एनिमेशन में बनाने का विरोध किया। उनका कहना था कि रामायण को कार्टून की तरह दिखाना सही नहीं होगा। इस संबंध में जापानी ऐंबैसी को भी पत्र लिखा गया जिसके बाद यूगो साको ने ये भरोसा दिलाया कि वो किसी की भावनाओं को आहत नहीं होने देंगे।

बाबरी मस्जिद विवाद के चलते इसे इंडिया में रिलीज नहीं किया गया

यूगो के भरोसे के बाद फिल्म के बनने का रास्ता साफ हुआ। 450 आर्टिस्ट्स ने फिल्म की मेकिंग में हिस्सा लिया। सीरियल रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल ने इस फिल्म की हिंदी डबिंग में राम के कैरेक्टर के लिए आवाज दी थी। 1992 में जब फिल्म रिलीज होने का मौका आया तो बाबरी मस्जिद विवाद के चलते इसे इंडिया में रिलीज नहीं किया गया। बाद में इसे कार्टून नेटवर्क पर दिखाया जाने लगा था।

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