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वाराणसी का तुलसी मानस मंदिर है बेहद अद्भुत , दीवारों पर लिखी हैं रामचरितमानस की चौपाइयां-दोहे


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नई दिल्लीः दुनिया की सबसे प्राचीनतम नगर काशी को मंदिरो का शहर कहा जाता है। इस शहर का सबसे ज्यादा महत्व काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर है लेकिन इस मंदिर के अलावा यहां पर कई अन्य मंदिर हैं। इन्हीं में से एक तुलसी मानस मंदिर भी है। इस मंदिर की अपनी अलग ही खासियत है। यहां जो भी दर्शनार्थी आता है मंदिर उसकी यादों में बस जाता है। तुलसी मानस मंदिर की सभी दीवारों पर रामचरितमानस के दोहे और चौपाइयां लिखी हैं।

तुलसी मानस मंदिर

धर्म, संस्कृति, शिक्षा, आस्था, सभ्यता, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की प्राचीनतम नगरी काशी को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। काशी विश्वनाथ के अलावा शहर में हजारों मंदिर है। इन मंदिरों में एक मंदिर बेहद खास है। इसका नाम है तुलसी मानस मंदिर। यहां जो भी दर्शनार्थी आता है वो यहां की बनावट देख खो जाता है।

मंदिर का निर्माण

लोगों का कहना है कि पहले यहां छोटा सा मंदिर हुआ करता था। सन 1964 में कलकत्ता के एक व्यापारी सेठ रतनलाल सुरेका ने तुलसी मानस मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था। यहां पर मधुर स्वर में संगीतमय रामचरितमानस संकीर्तन गुंजायमान रहता है। यहां पर भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमानजी की प्रतिमाएं हैं। इसके अलावा यहां एक तरफ माता अन्नपूर्णा और शिवजी तथा दूसरी तरफ भगवान सत्यनारायण का मंदिर भी है।

मंदिर की सभी दीवारें रामचरितमानस की दोहे और चौपाइयां से सजी हैं

वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से सात किमी दूर स्थित है दुर्गाकुंड और इसी के पास स्थित है काशी का मनोरम तुलसी मानस मंदिर। इस मंदिर की सभी दीवारें रामचरितमानस की दोहे और चौपाइयां से सजी हैं।

इसी स्थान पर तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसी स्थान पर तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की थी, इसलिए इस तुलसी मानस मंदिर कहा जाता है। यहां मधुर स्वर में संगीतमय रामचरितमानस संकीर्तन गुंजायमान रहता है।

भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मणजी और हनुमानजी की प्रतिमाएं सुशोभित हैं

इस मंदिर के बीच में भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मणजी और हनुमानजी की नयनाभिराम प्रतिमाएं सुशोभित हैं। ये प्रतिमाएं चलायमान हैं। साथ ही यहां एक ओर माता अन्नपूर्णा और शिवजी तथा दूसरी तरफ भगवान सत्यनारायण का मंदिर भी है।

श्रीराम और कृष्णलीला प्रदर्शित

इस मंदिर की दूसरी मंजिल पर स्वचालित श्रीराम और कृष्णलीला प्रदर्शित की गई है। इसी मंजिल पर तुलसीदासजी की प्रतिमा भी विराजमान है। काशी के भीड़-भाड़ भरे अन्य मंदिरों से अलग इस मंदिर का शांत वातावरण एक अलग प्रभाव डालता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसकी भव्यता की तारीफ

तुलसी मानस मंदिर काशी के आधुनिक मंदिरों में से एक बहुत ही मनोरम स्थल है। यह मंदिर शांति का प्रतीक है। यहां प्रवेश करते ही मन को शांति मिलती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसकी भव्यता की तारीफ की है।

कैसे पहुंचे मंदिर

तुलसी मानस मंदिर जाने के लिए आप वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचकर दुर्गाकुंड जाएं। स्टेशन से सात किमी की दूरी पर स्थित दुर्गाकुंड के पास मंदिर है। बनारस के भीड़-भाड़ भरे माहौल से हटकर यह मंदिर शांति का प्रतीक है।

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