x
भारत

अयोध्या राम मंदिर में स्थापित रामलला की मूर्ति 05 साल के बाल्यकाल और श्याम वर्ण की ही क्यों?


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्लीः रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ा अनुष्ठान 22 जनवरी को दोपहर 12:20 से शुरू होकर एक बजे तक चलेगा. हालांकि उससे पहले आज एक तस्वीर सामने आई है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह वही मूर्ति है, जो गर्भगृह में रखी गई है. मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच है. कमल के फूल के साथ इसकी लंबाई 8 फीट और वजन करीब 150 -200 किलोग्राम है. मूर्ति का निर्माण श्याम शिला पत्थर को तराश कर हुआ है. जिस मूर्ति की फोटो सामने आई है, उसको मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है. दरअसल, रामलला की तीन मूर्तियों का निर्माण हुआ है, जिसमें से एक को मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे ने राजस्थानी शिला से बनाया है, जबकि मूर्तिकार गणेश भट्ट और अरुण योगीराज ने कर्नाटक के श्याम शिला से दो मूर्तियों का निर्माण किया है.

74 साल पहले जब बाबरी ढांच में राम लला की धातु की मूर्ति स्थापित की गई थी

हम आपको बाद में ये भी बताएंगे कि 74 साल पहले जब बाबरी ढांच में राम लला की धातु की मूर्ति स्थापित की गई थी तो ये कितनी बड़ी और कैसी थी. किस तरह ये वहां आई थी. ये भी जानेंगे कि मौजूदा मूर्ति किस चीज की बनाई गई है.रामलला की मूर्ति का निर्माण करने का जिम्मा कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज को सौंपा गया था. अरुण योगीराज प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी के बेटे हैं और उनके दादा को वाडियार घराने के महलों में खूबसूरती देने के लिए माना जाता था. अरुण मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं. अरुण, अपने पूर्वजों की तरह मूर्तिकार नहीं बनना चाहते थे. उन्होंने 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए किया.

05 साल के बच्चे को क्या माना जाता है

अब पहले ये जानते हैं कि राम मंदिर में राम के बाल्यकाल की मूर्ति स्थापित हो रही है और उसकी उम्र 05 साल के राम लला की है. ये कौतुहल जाहिर है कि राम को इस खास उम्र में दिखाते हुए उनकी इस काल की मूर्ति क्यों स्थापित की जा रही है. हिंदू धर्म में आमतौर पर बाल्यकाल को 05 साल की उम्र तक माना जाता है. इसके बाद बालक को बोधगम्य माना जाता है.चाणक्य और दूसरे विद्वानों ने इस पर साफ कहा है कि पांच साल की उम्र तक बच्चे की हर गलती माफ होती है, क्योंकि वो अबोध होता है. उस उम्र तक केवल उसे सिखाने का काम करें. चाणक्य नीति में इस बच्चों के अबोध और बोधगम्यता को लेकर उम्र की चर्चा इस तरह की गई है

श्याम रंग की श्रीराम की मूर्ति अरुण योगीराज ने है बनाई

इसके बाद वह एक प्राइवेट कंपनी के लिए काम करने लगे, लेकिन उनके दादा ने भविष्यवाणी की थी कि अरुण बड़े होकर मूर्तिकार बनेंगे. 37 साल बाद यह सच हुआ और अरुण योगीराज ने सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई, जिसे इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति स्थल पर स्थापित किया गया है. इसके साथ ही केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा भी उन्होंने ही बनाई है.आज जिस मूर्ति की तस्वीर सामने आई है. यह मूर्ति श्याम रंग की है, जिसको लेकर लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि क्यों राम मंदिर में श्याम वर्ण की मूर्ति का चयन किया गया. रामायण में भी कहा गया है कि प्रभु श्रीराम श्याम वर्ण के थे और इसलिए इसको ज्यादा महत्व दिया गया. भगवान राम श्याम और शिव गौर वर्ण के हैं.

काकभुशुंडी ने क्या कहा

अर्थ ये है, तब-तब मैं अयोध्यापुरी जाता हूं. उनकी बाल लीला देखकर हर्षित होता हूं. वहां जाकर मैं जन्म महोत्सव देखता हूं और (भगवान्‌ की शिशु लीला में) इसके लोभ में 05 साल तक वहीं रहता हूं.काकभुशुंडी उनके बाल रूप को और भी बहुत कुछ कहते हैं, जिसके बाद राम लला का बाल स्वरूप निखर कर सामने आता है. ये कहता है कि अयोध्या के राम मंदिर में उनके बाल्य काल की मूर्ति की स्थापना ही उचित है.

महादेव शिव भगवान श्रीराम के हैं आराध्य

भगवान श्रीराम महादेव शिव के आराध्य हैं और महादेव शिव भगवान श्रीराम के आराध्य है. उनके इसी परस्पर भाव के कारण रामेश्वरम तीर्थ की व्याख्या हमारे ऋषि, मुनियों, संतों ने कुछ इस प्रकार की है, रामस्य ईश्वर: स: रामेश्वर: अर्थात जो राम के ईश्वर हैं, वे रामेश्वर हैं. किंतु महादेव शिव जब माता पार्वती को राम कथा सुनाते हैं, तब वह रामेश्वरम की व्याख्या कुछ इस प्रकार करते हैं, राम ईश्वरो यस्य सः रामेश्वरः अर्थात श्रीराम जिसके ईश्वर है, वही रामेश्वर हैं. महादेव और श्रीराम का एक-दूसरे के प्रति आराध्या भाव इतना गहरा है कि दोनों ही एक-दूसरे के रंग में रंगे हुए हैं.

कौन थे काकभुशुंडी

अब आइए काकभुशुंडी के बारे में भी बता दें, जिन्हें भुशुंडी भी कहा जाता है. उन्हें राम के एक भक्त के रूप में दर्शाया गया है, जो एक कौवे के रूप में गरुड़ को रामायण की कहानी सुनाते हैं. उन्हें चिरंजीवियों के रूप में माना जाता है. माना जाता है कि वह आज भी पृथ्वी पर जीवित हैं.काकभुशुंडी मूल तौर पर अयोध्या के शूद्र वर्ग के सदस्य थे. एक बार शिव ने क्रोधित होकर उन्हें सांप बनने का श्राप दिया. बाद में याचना के बाद शिव ने सजा को कम किया और कहा कि कई जन्मों के बाद ब्राह्मण के तौर पर काकभुशुंडी के तौर पर जन्म लेंगे. राम के भक्त बन जाएंगे. लेकिन बाद में फिर एक श्राप के चलते वह कौवा बन गए.इसलिए कर्पूर गौर वाले महादेव शिव को कुछ भक्त अपने अनुभव के अनुसार नीला चित्र कर देते हैं और नीलांबुज श्यामल को मलंग वाले परमात्मा श्रीराम को गौर वर्ण दर्शा देते हैं. भक्ति के चित्र की भाव दशा के अनुसार ही भगवान का चित्र भर कर आता है, किंतु परमात्मा को आनंद तब मिलेगा, जब उनकी श्रेष्ठतम रचना मनुष्य उनके चित्र को पूजने तक नहीं, बल्कि उनके चरित्र को अपने अंदर ढाले.

राम के बाल काल की लीला

कहा जाता है कि काभुशुंडी ने बाल रूप में राम को लगातार अयोध्या में देखा और काफी कुछ इस पर कहा. वैसे भगवान राम ने अपनी जीवन में चमत्कार वाली लीलाएं बहुत नाममात्र की ही दिखाईं. हां, एक बार बालकाल में उन्होंने भी माता कौशल्या को अपने मुंह के अंदर ब्रह्रांड के दर्शन जथे. इसके बाद उनका दूसरी असाधारण काम सीता स्वयंवर में शिव धनुष को तोड़ना था. अन्यता पूरे जीवन वह एक मनुष्य के तौर पर ही ज्यादा रहे.

मूर्ति 51 इंच की ही क्यों

अब हम बताते हैं कि ये मूर्ति ठीक 51इंच की ही क्यों है. हालांकि भारत में मौजूदा दौर में पांच साल के बालक की ऊंचाई मोटे तौर पर 43 से 45 इंच के आसपास मानी जाती है लेकिन राम जिस दौर में पैदा हुए, उसमें आम लोगों की औसत लंबाई कहीं ज्यादा होती थी. इस लिहाजा 51 के शुभ नंबर को देखते हुए उनकी ऊंचाई 51 मानी गई.

ये काले पत्थर की क्यों

एक सवाल और हो सकता है कि ये मूर्ति काले पत्थर की क्यों. दरअसल राम लला की मूर्ति को शालिग्राम पत्थर से बनाया गया है, जिनसे हिंदू धर्म के देवी देवताओं की मूर्तियां बनाई जाती हैं. इसे पवित्र पत्थर मानते हैं. शालिग्राम काले रंग के चिकने, अंडाकार पत्थर होते हैं. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, शालिग्राम भगवान विष्णु के विग्रह स्वरूप हैं. ये एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है. शालिग्राम आमतौर पर पवित्र नदी की तली या किनारों से इकट्ठा किया जाता है.

74 साल पहले कितनी बड़ी मूर्ति रखी गई थी

74 साल पहले जब बाबरी ढांचे में राम लला की मूर्ति को रखा गया था, तो ये 09 इंच की थी और अष्टधातु की थी. ये 1949 का साल था जब पहली बार ध्वस्त हो चुकी बाबरी मस्जिद में राम लला की मूर्ति प्रकट हुई थी.

Back to top button