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पाकिस्तानी एयरफोर्स ने ईरान में की जवाबी कार्रवाई,आतंकियों को किया ढेर


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नई दिल्लीः पाकिस्तान की एयरफोर्स ने मंगलवार देर रात जवाबी कार्रवाई में ईरान में बलूच लिबरेशन आर्मी के ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज बलोच ने कहा- ये कार्रवाई सभी खतरों के खिलाफ देश की रक्षा के लिए की गई है। ऑपरेशन की सफलता पाकिस्तानी सेना की काबिलियत का सबूत है।पाकिस्तान का दावा है कि उन्होंने ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान में कई आतंकियों को मार गिराया। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान की एयरस्ट्राक में 4 बच्चे और 3 महिलाओं की मौत हुई है।

ऑपरेशन ‘मार्ग बार सरमाचर’

पाकिस्तान ने ईरान में चलाए ऑपरेशन को ‘मार्ग बार सरमाचर’ नाम दिया गया। पाकिस्तान के सिक्योरिटी ऑफियशियल ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि पाक एयरफोर्स ने बलूच अलगाववादियों के 7 ठिकानों को निशाना बनाया। एयरस्ट्राइक ईरान की सीमा में 48 किलोमीटर अंदर घुसकर की गईं। इसके लिए फाइटर जेट्स और ड्रोन्स का इस्तेमाल किया।

पाकिस्तान ने दी थी ‘गंभीर परिणाम’ की चेतावनी

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, जैश अल-अदल समूह मुख्यालय पर हमले पर “परिणाम” भुगतने की चेतावनी देने के एक दिन बाद पाकिस्तान ने ईरान के कई इलाकों पर हमला किया है. पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा, “ईरान ने पाकिस्तान की संप्रभुता का बेवजह और खुला उल्लंघन कर अंतरराष्ट्रीय कानून और UN के चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों का उल्लंघन किया. यह अवैध हरकत पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इसका कोई औचित्य नहीं है.” बता दें कि ईरान के मिसाइल और ड्रोन अटैक में 2 बच्चों की मौत और तीन लोगों के घायल होने की पुष्टि के बाद पाकिस्तान ने गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी तेहरान को दी थी.

पाकिस्तान ने कहा था हमें जवाबी कार्रवाई का हक

इससे पहले मंगलवार रात पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद दोनों देशों में टकराव बढ़ गया था। ईरान के विदेश मंत्री अमीर अब्दोल्लाहियन ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी से फोन पर बात की थी।उन्होंने कहा था कि यह हमला ईरान के आंतकी संगठन पर किया गया था। पाकिस्तान का कोई भी नागरिक इसमें घायल नहीं हुआ है। इस पर जिलानी ने कहा था कि किसी भी देश को इस तरह जोखिम वाले रास्ते पर नहीं चलना चाहिए। ईरान के हमले पर पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई का पूरा हक है।

ईरान के कई इलाकों पर पाकिस्तान का हमला

पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने कहा था कि पाकिस्तान के पास इस “अवैध कृत्य” पर प्रतिक्रिया देने का अधिकार है. इसके जो भी परिणाम होंगे, उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से ईरान की होगी.अब पाकिस्तान की तरफ से ईरान के कई इलाकों में हमला किया गया है, इसे बलूचिस्तान में किए गए हमलों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है.बता दें कि पाकिस्तान की चेतावनी के बाद ईरान ने अचानक अपने बॉर्डर पर फौज की तैनाती बढ़ा दी थी. माना जा रहा था कि पाकिस्तान की सेना आतंकियों को ढाल बनाकर ईरान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर सकती है. हुआ भी कुछ ऐसा ही है. पाकिस्तान ने अब ईरान के कई इलाकों को निशाना बनाया है.

भारत-अमेरिका का रिएक्शन

ईरान के हमले के बाद पाकिस्तान ने बुधवार को तेहरान से अपने ऐंबैस्डर को वापस बुला लिया और ईरान के राजदूत को देश छोड़ने को कह दिया था। वहीं, ईरान के हमले के बाद पाकिस्तान आर्मी के हेडक्वॉर्टर रावलपिंडी में बुधवार तड़के से मीटिंग्स चल रही थीं। आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने सभी कमांडर्स को फौरन बुलाया था।पाकिस्तान में ईरान की एयरस्ट्राइक पर भारत ने भी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा- अगर कोई देश अपनी हिफाजत के लिए कार्रवाई करता है तो भारत उसकी स्थिति समझ सकता है।उन्होंने कहा- ये पाकिस्तान और ईरान के बीच का मामला है। जहां तक हमारी राय का सवाल है तो हम कई बार साफ कर चुके हैं कि आतंकवाद के मामले में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। वहीं, अमेरिका ने ईरान की स्ट्राइक को गलत बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि ईरान ने हाल ही के दिनों में अपने तीन पड़ोसी मुल्कों की संप्रभुता का उल्लंघन किया है

चीन की राय- तनाव न बढ़ाएं

इधर, चीन ने पाकिस्तान और ईरान दोनों से कहा कि वो तनाव न बढ़ाएं, क्योंकि इससे दोनों देशों को नुकसान है। पाकिस्तान और ईरान दोनों ही शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन यानी SCO के मेंबर हैं और चीन के करीबी ट्रेडिंग पार्टनर हैं।ईरान मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक- ईरान ने अपने बॉर्डर पर फौज की तैनाती अचानक बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान की फौज आतंकियों को ढाल बनाकर ईरान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर सकती है।इसका असर दिखना शुरू हो चुका है। ईरानी समाचार एजेंसी IRNA के मुताबिक, ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के एक सदस्य की पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा से लगे देश के अशांत दक्षिणपूर्वी प्रांत में गोली मारकर हत्या कर दी गई है।

ईरान और पाकिस्तान आमने-सामने क्यों

ग़ज़ा में इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच जारी जंग से पूरे मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच ईरान ने यह हमला किया है. पाकिस्तान में ईरान के इस हमले पर दुनिया भर से प्रतिक्रिया आ रही है. पाकिस्तान के सदाबहार दोस्त चीन ने इस मामले में मध्यस्थता करने की कोशिश की है लेकिन वहाँ के स्थानीय मीडिया का कहना है कि इसमें कोई कामयाबी नहीं मिली.

भारत ने ईरान का समर्थन क्यों किया?

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को कहा, ”यह ईरान और पाकिस्तान के बीच का मामला है. लेकिन आतंकवाद पर भारत का रुख़ किसी भी तरह से समझौता करने वाला नहीं है. हमें पता है कि आत्मरक्षा में देश इस तरह के क़दम उठाते हैं.”जब पश्चिम एशिया में इसराइल का ग़ज़ा में युद्ध, यमन में हूती विद्रोहियों पर हमला और हूती विद्रोहियों के लाल सागर हमले से ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ रहा है, ऐसे में भारत ने ईरान का समर्थन किया है.

भारत-ईरान साथ क्यों?

भारत ने भी एलओसी पार कर पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर में कथित आतंकवादी कैंपों को ध्वस्त करने का दावा किया था. भारत ने 2019 में बालाकोट में एयरस्ट्राइक किया था.पाकिस्तान ने भी लाइन ऑफ कंट्रोल पार करने की बात मानी थी लेकिन आतंकवादी कैंप नष्ट करने की बात को स्वीकार नहीं किया था.कहा जा रहा है कि भारत ने पाकिस्तान में ईरान के मिसाइल हमले का समर्थन कर बालाकोट एयरस्ट्राइक को सही ठहराने की कोशिश की है. 2019 में इस बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव बढ़ गया था. दोनों देशों के बीच कारोबारी रिश्ते ख़त्म हो गए थे.

भारत के लिए इसराइल और ईरान दोनों अहम

ईरान के साथ भारत के मित्र मुल्क इसराइल और पश्चिम को भले दिक़्क़त है लेकिन भारत और ईरान के बीच कोई मसला नहीं है.भारत के पारंपरिक दोस्त रूस के साथ भी ईरान के गहरे संबंध हैं. ईरान शिया मुस्लिम बहुल देश है और भारत में भी ईरान के बाद सबसे ज़्यादा शिया मुस्लिम रहते हैं.आर्मीनिया और अज़रबैजान के टकराव में भी ईरान और भारत आर्मीनिया के साथ हैं.नई दिल्ली जी-20 समिट में जब इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर (आईएमईसी) की घोषणा हुई तो ऐसा माना गया कि भारत ईरान से दूर जा रहा है.लेकिन ग़ज़ा में जंग इसराइल और हमास के बीच जंग छिड़ने के बाद आईएमईसी के भविष्य में इस परियोजना में इसराइल भी है और ग़ज़ा में जारी युद्ध से खाड़ी के इस्लामिक देश ख़फ़ा हैं. ऐसे में भारत के लिए ईरान में चाबहार पोर्ट फिर से अहम हो गया है.आईएमईसी की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि इसराइल की स्वीकार्यता खाड़ी के इस्लामिक देशों में कितनी बढ़ती है.

इसराइल हर मामले में भारत का साथ नहीं पा सकता

1991 में शीत युद्ध ख़त्म होने के बाद सोवियत संघ का पतन हुआ तो दुनिया ने नई करवट ली.भारत के अमेरिका से संबंध स्थापित हुए तो उसने भारत को ईरान के क़रीब आने से हमेशा रोका. इराक़ के साथ युद्ध के बाद से ईरान अपनी सेना को मज़बूत करने में लग गया था.उसी के बाद से ईरान की चाहत परमाणु बम बनाने की रही है और उसने परमाणु कार्यक्रम शुरू भी कर दिया था. अमेरिका किसी सूरत में नहीं चाहता था कि ईरान परमाणु शक्ति संपन्न बने और मध्य-पूर्व में उसका दबदबा बढ़े.ऐसे में अमरीका ने इस बात के लिए ज़ोर लगाया कि ईरान के बाक़ी दुनिया से संबंध सामान्य न होने पाएं.कहा जा रहा है कि इसराइल के साथ भारत की भले क़रीबी है लेकिन इसराइल हर मामले में भारत का साथ नहीं पा सकता है. ख़ास कर ईरान के मामले में. क्षेत्रीय मामलों में भारत अपने हितों के हिसाब से इसराइल और ईरान का साथ देता है. भारत की नीति है कि इसराइल ईरान के साथ संबंधों में बाधा न बने और न ही ईरान इसराइल के साथ रिश्ते में बाधा बने.

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