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टेक्नोलॉजी

IMF चीफ ने AI को लेकर दी ये बड़ी चेतावनी,2024 दुनिया के लिए होगा मुश्किल


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नई दिल्लीः अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चेतावनी दी कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उदय से दुनिया भर में लगभग 40% नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। आईएमएफ के अनुसार एआई के कारण उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएं उभरते बाजारों और कम आय वाले देशों की तुलना में अधिक जोखिम का सामना कर रही हैं।

आईएमएफ के अनुसार एआई के प्रयोग से असमानता बढ़ने का खतरा

वाशिंगटन डीसी स्थित संस्था आईएमएफ ने रविवार को वैश्विक श्रम बाजार पर एआई के संभावित असर का आकलन किया और बताया कि ज्यादातर मामलों में, एआई तकनीक के कारण वैश्विक स्तर पर सामाजिक और आर्थिक असमानता के बढ़ने का खतरा है। आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने नीति निर्माताओं से इस “परेशान करने वाली प्रवृत्ति” से निपटने और “सामाजिक तनाव को और भड़काने से रोकने के लिए” सक्रिय रूप से कदम उठाने का आग्रह किया।

एआई विकास को बढ़ावा दे सकता है पर इससे नौकरियां कम हो सकती हैं

जॉर्जीवा ने कहा, “हम एक तकनीकी क्रांति के कगार पर हैं जो उत्पादकता को बढ़ा सकता है, वैश्विक विकास को बढ़ावा दे सकता है और दुनिया भर में आय बढ़ा सकता है। हालांकि इस बात की भी आशंका है कि इससे नौकरियां कम हो सकती हैं और असमानता बढ़ सकती है।”

उच्च आय वाले देशों में एआई के प्रभाव से 60% नौकरियां जा सकती हैं

आईएमएफ के अनुसार उच्च आय वाले देशों में एआई के बढ़ते चलन से लगभग 60% नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं, और इनमें से लगभग आधे उत्पादकता को बढ़ावा देने में AI के इस्तेमाल से लाभान्वित भी हो सकते हैं। दूसरी ओर, उभरते बाजारों में एआई के कारण 40% नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं और कम आय वाले देशों में 26% नौकरियों पर इसका खतरा पड़ सकता है

विकासशील देश शुरू करें री-ट्रेनिंग प्रोग्राम

IMF चीफ के अनुसार, उच्च पदों पर बैठे ज्यादा वेतन लेने वाले लोगों की नौकरियों को ज्यादा खतरा है। ज्यादा वेतन देकर प्रोडक्टिविटी बढ़ने वाली कंपनियां अगर AI टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करेंगी तो इससे कैपिटल रिटर्न को बढ़ावा मिलेगा। पैसों और सैलरी का गैप बढ़ेगा। इसलिए विकासशील देशों को अपने कम सैलरी लेने वाले कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। उनके लिए री-ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू करना चाहिए, क्योंकि साल 2024 नौकरियों के लिहाज से काफी मुश्किल रहने वाला है। मौद्रिक नीति अच्छा काम कर रही है। मुद्रास्फीति कम हो रही है, लेकिन भी काम पूरा नहीं हुआ है।

तकनीक असमानता को बढ़ा सकती है

निष्कर्ष बताते हैं कि उभरते बाजारों और कम आय वाले देशों को अल्पावधि में एआई से कम नुकसान उठाना पड़ सकता है। आईएमएफ के अनुसार ऐसे कई देशों में एआई के तत्काल लाभों का उपयोग करने के लिए कुशल श्रमिकों का बुनियादी ढांचा नहीं है, जिससे इस बात का जोखिम बढ़ जाता है कि तकनीक असमानता को बढ़ा सकती है।

एआई के कारण आय और संपत्ति से जुड़ी असमानता बढ़ेगी

आईएमएफ ने यह भी कहा कि एआई दुनिया के विभिन्न देशों में आय और धन से जुड़ी असमानता को भी प्रभावित कर सकता है। यह विभिन्न आय वर्ग के लोगों के ध्रुवीकरण को भी बढ़ावा दे सकता है।आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जो कर्मचारी एआई के लाभों का उपयोग करने में सक्षम हैं, वे अपनी उत्पादकता और वेतन बढ़ा सकते हैं, जबकि जो लोग ऐसा नहीं कर सकते हैं उनके और पीछे जाने का खतरा है।

छोटे देशों की मदद करनी होगी

14 जनवरी को IMF की नई रिपोर्ट पब्लिश हुई। इसमें अनुमान जताया गया है कि उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में लेबर मार्केट पर AI का शुरुआती असर कम होगा।IMF चीफ ने कहा- हमें विशेष रूप से कम आय वाले देशों को तेजी से आगे बढ़ने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से बनने वाले अवसरों का लाभ उठा सकें।

गोल्डमैन सैक्स ने भी दी थी एआई से 30 करोड़ नौकरियों के प्रभावित होने की चेतावनी

आईएमएफ से पहले गोल्डमैन सैक्स ने चेतावनी दी थी कि जनरेटिव एआई दुनिया भर में 30 करोड़ नौकरियों को प्रभावित कर सकता है, हालांकि वॉल स्ट्रीट बैंक ने उम्मीद जताई है कि एआई प्रौद्योगिकी श्रम उत्पादकता और विकास को बढ़ावा दे सकती है और सकल घरेलू उत्पाद को 7% तक बढ़ा सकती है।

कोरोना ने कम तोड़ी, चुनावी खर्च का दबाव पड़ेगा

जॉर्जीवा ने कहा कि दुनियाभर के देशों ने कोरोना की मार झेली है। इस साल 80 देशों में चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में देशों पर चुनावी खर्चों का दबाव बढ़ेगा। सरकारों पर जन समर्थन हासिल करने के लिए खर्च बढ़ाने या करों में कटौती करने का अतिरिक्त दबाव पड़ेगा। इससे आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है तो कंपनियां AI इस्तेमाल करके लोगों को नौकरी से निकाल सकती हैं।

AI का असर अच्छा भी हो सकता है

IMF की रिपोर्ट में कहा गया कि दुनियाभर की आधी नौकरियों पर AI का गलत असर पड़ेगा। बाकी बची आधी नौकरियों पर इसके अच्छे प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का खतरा उन देशों में सबसे ज्यादा होगा, जहां हाई स्किल्ड जॉब की डिमांड होगी।

देश की अर्थव्यवस्था पर होगा असर

IMF चीफ जॉर्जीवा ने कहा- एक तरफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से आपकी नौकरी पूरी तरह से खत्म हो सकती है, दूसरी तरफ नौकरियां बढ़ सकती हैं। नौकरी के अवसर बढ़ेंगे तो आपकी प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी। इससे इनकम, लिविंग स्टैंडर्ड भी बढ़ेगा। इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर होगा।आईएमएफ की रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच में दुनिया भर के कारोबारी और राजनेता एकत्र हुए हैं। डब्ल्यूईएफ की वार्षिक बैठक इस बार शुक्रवार तक चलेगी, यह “रीबिल्डिंग ट्रस्ट” के विषय पर हो रही है।

आईएमएफ टीम ने पहली बार किया जाफना का दौरा

श्रीलंका के राहत पैकेज की निगरानी कर रहे आईएमएफ के वरिष्ठ अधिकारियों के एक दल ने मौजूदा 2.9 अरब डॉलर के समझौते के तहत पहली बार तमिल बहुल उत्तरी जिले जाफना का दौरा किया।श्रीलंका के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के वरिष्ठ मिशन प्रमुख पीटर ब्रूर के नेतृत्व में, टीम ने पिछले हफ्ते उत्तरी प्रांत के गवर्नर, पीएमएस चार्ल्स और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात की और प्रांत में आर्थिक विकास, डिमाइनिंग कार्यक्रमों, संघर्ष-विस्थापित व्यक्तियों के पुनर्वास और संघर्ष पीड़ितों के लिए मुआवजे से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।

AI से प्रोडक्टिविटी 100 गुना होगी पर क्रिएटिविटी नहीं बढ़ेगी

OpenAI के CEO और एआई चैटबोट ‘चैट जीपीटी’ के क्रिएटर सैम ऑल्टमैन का कहना है- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) साइंस की खोजी गई सबसे परिवर्तनकारी तकनीक है। यह नए अवसर दे रही है। इंसान की तुलना में 100 गुना ज्यादा काम कर सकती है, लेकिन मानव की बुद्धिमत्ता और रचनात्मकता को कभी लांघ नहीं पाएगी।

इतनी नौकरियों पर पड़ेगा असर

IMF की एक नई रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘विकासशील देशों में AI का प्रभाव कम हो सकता है, लेकिन वैश्विक स्तर पर करीब 40 प्रतिशत नौकरियों पर AI का असर पड़ सकता है। यह उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में 60 फीसदी नौकरियों को प्रभावित करेगा। आपके पास जितनी ज्यादा हाई स्किल्ड ज

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