ट्रैवल एजेंट से बना था बिजनेसमैन और फोर्ब्स में भी छपता था नाम,आज कोर्ट के सामने गिड़गिड़ाने को हैं मजबूर
नई दिल्लीः कहते हैं इंसान कब फर्श से अर्श और अर्श से फर्श पर पहुंच जाए कोई नहीं जानता. समय बहुत जल्दी बदलता है और कब कोई राजा और कब कोई रंक बन जाए कोई नहीं जानता. सुख-दुख, हार-जीत, अमीरी-गरीबी, उत्थान-पतन सब यहीं देखना होता है. कुछ ऐसी ही कहानी है जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल की. एक वक्त था, जब एयरलाइन की दुनिया के वह बेताज बादशाह थे. भारतीय आसमान में उनके विमान एयर इंडिया को टक्कर देते थे. फोर्ब्स की अमीरों की लिस्ट में नाम छपते थे, मगर आज वक्त ऐसा है कि उन्हें मौत की भीख मांगनी पड़ रही है. पिछले एक साल से जेल में बंद नरेश गोयल अब हर दिन अपनी मौत की दुआ कर रहे हैं. खुद मुंबई की एक अदालत में उन्होंने जज से हाथ जोड़कर मरने की इजाजत मांगी है.
कौन हैं नरेश गोयल?
पंजाब के संगरूर में जन्मे नरेश गोयल जब बच्चे थे, तभी उनके सिर से पिता का साया हट गया था. उनका बचपन काफी गरीबी में बीता. उनके परिवार की हालत इतनी खराब थी कि उन्हें अपने घर की नीलामी करनी पड़ गई थी और किसी तरह अपने मामा के घर गुजारा करना पड़ा था. 18 साल की उम्र में ही उन्होंने कमाना शुरू कर दिया था. साल 1967 में नरेश गोयल ने अपने मामा सेठ चरण दास राम लाल की ट्रैवल एजेंसी ईस्ट वेस्ट एजेंसीज में एक कैशियर के रूप में अपना करियर शुरू किया. तब उन्हें महीने में 300 रुपए मिलते थे. हालांकि, यहीं पर उन्होंने टैवल बिजनेस की बारीकियों को सीखा और बाद में वह इस बिजनेस में शामिल हो गए. 1967 से 74 तक वह कई विदेशी एयरलाइन्स के साथ जुड़े रहे और बिजनेस की बारीकियों को सीखते रहे. इस दौरान वह विदेश यात्रा पर भी गए. साल 1969 में एक इराकी एयरवेज ने गोयल को अपना पब्लिक रिलेशन ऑफिसर नियुक्त किया और इसके बाद उन्होंने एक अन्य एयरलाइन कंपनी में मैनेजर के रूप में भी काम किया.
जेल में मरने की लगा रहे गुहार
जेट एयरवेज के संस्थापक रहे नरेश गोयल अभी किस पीड़ा में हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने शनिवार को विशेष अदालत में हाथ जोड़कर कहा कि वह जिंदगी की आस खो चुके हैं और इस स्थिति में जीने से बेहतर होगा कि वह जेल में ही मर जाएं. नरेश गोयल केनरा बैंक में 538 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी मामले में आरोपी हैं. ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने कथित बैंक धोखाधड़ी के सिलसिले में पिछले साल एक सितंबर को नरेश गोयल को गिरफ्तार किया था. वह अभी मुंबई के आर्थर रोड जेल में न्यायिक हिरासत में हैं. उन्होंने विशेष न्यायाधीश एम जी देशपांडे के समक्ष अपनी जमानत अर्जी दायर की थी. जमानत अर्जी के मुताबिक, नरेश गोयल हृदय, प्रोस्टेट, हड्डी और विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हैं.
कोर्ट में क्या-क्या हुआ
आरोपी एवं जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल ने शनिवार को मुंबई स्थित विशेष अदालत में हाथ जोड़कर कहा कि वह ‘जिंदगी की आस खो चुके हैं’ और इस स्थिति में जीने से ‘बेहतर होगा कि वह जेल में ही वह मर जाएं. अदालती रिकार्ड के अनुसार, नम आंखों से 70 वर्षीय गोयल ने कहा कि उन्हें अपनी पत्नी अनीता की कमी बहुत खलती है जो कैंसर के अंतिम चरण में हैं. उन्हें शनिवार को अदालत में पेश किया गया और कार्यवाही के दौरान उन्होंने व्यक्तिगत सुनवाई का अनुरोध किया, जिसे न्यायाधीश ने स्वीकार कर लिया. अदालत के ‘रोजनामा’ के अनुसार नरेश गोयल ने हाथ जोड़कर और कांपते हुए कहा कि ‘उनका स्वास्थ्य बहुत बिगड़ गया है.’ गोयल ने कहा कि उनकी पत्नी बिस्तर पर पड़ी है और उनकी एकमात्र बेटी भी अस्वस्थ हैं.
अर्श से फर्श तक का सफर
आज भले ही कोर्ट में नरेश गोयल हाथ जोड़कर मरने की गुहार लगा रहे हैं, मगर एक वक्त था जब इनके नाम की तूती बोलती थी. कभी इनकी कंपनी भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइन्स कंपनियों में से एक थी और इनके पास करोड़ों-अरबों का साम्राज्य था. इनकी कंपनी के विमान देश से लेकर विदेश तक उड़ान भरते थे और कुछ साल पहले तक इनके विमानों की संख्या 100 से ऊपर थी. मगर एक वक्त ऐसा भी आया, जब इनकी कंपनी जेट एयरवेज की हालत इतनी खराब हो गई कि कर्ज के बोझ तले दबकर साल 2019 में बंद हो गई. नरेश गोयल आज यह अर्श से फर्श का सफर देख चुके हैं.
करते थे 300 रुपये की नौकरी
नरेश गोयल 18 साल की उम्र में बिल्कुल खाली हाथ दिल्ली पहुंचे थे। यह बात साल 1967 की है। पटियाला में गोयल का परिवार गंभीर आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। दो वक्त की रोटी के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था। गोयल अपने परिवार की आर्थिक तंगी खत्म करना चाहते थे। उस समय उन्होंने कनॉट प्लेस की एक ट्रैवल एजेंसी में नौकरी की। यह एजेंसी उनके चचेरे नाना चला रहे थे। गोयल को यहां 300 रुपये महीने मिलते थे। धीरे-धीरे वे ट्रैवल इंडस्ट्री में अपने पांव पसारने लगे।
ऐसे शुरू किया खुद का बिजनेस
साल 1973 में नरेश गोयल ने खुद की ट्रैवल एजेंसी खोल ली। इसे उन्होंने जेट एयर नाम दिया। जब गोयल पेपर टिकट लेने एयरलाइन कंपनियों के ऑफिस जाया करते तो वहां लोग उनका यह कहकर मजाक उड़ाते कि अपनी ट्रैवल एजेंसी का नाम एयरलाइन कंपनी जैसा रखा है। उस समय गोयल कहा करते थे कि एक दिन वह खुद की एयरलाइन कंपनी भी जरूर खोलेंगे।
कैसे बने एयरलाइन की दुनिया के बादशाह
काम करने के दौरान उन्होंने जो सीखा था, अब उसे आजमाने का वक्त आ गया था. साल 1974 में उन्होंने अपनी मां से करीब 52 हजार रुपए लेकर अपना ट्रैवल बिजनेस शुरू किया और नाम रखा जेट एयर. हालांकि, काफी समय तक उनकी कंपनी दूसरी एयरलाइन कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती रही. साल 1990 में उन्होंने जेट एयरवेज की शुरुआत की और कई विमानों के साथ साल 1993 में आधिकारिक तौर पर एयरलाइन की दुनिया में कदम रख दिया. इस काम में उनकी पत्नी का भी बड़ा योगदान है. इसके बाद तो उनकी किस्मत ऐसी बदली कि वह जल्द ही एयरलाइन की दुनिया में बड़ा नाम हो गए. एक वक्त तो देश के अमीरों की लिस्ट में वह फोर्ब्स की सूची में 16वें नंबर पर भी आए थे. हालांकि, बाद के सालों में उनकी कंपनी पर कर्ज का बोझ इतना बढ़ गया कि जेट एयरवेज 2019 में बंद हो गई.
साल 1991 में पूरा हुआ सपना
नरेश गोयल का यह सपना साल 1991 में पूरा हो गया। इस साल उन्होंने एयर टेक्सी के रूप में जेट एयरवेज की शुरुआत कर दी। एक साल बाद अपनी जेट ने चार जहाजों का एक बेड़ा बना लिया और जेट एयरक्राफ्ट की पहली उड़ान शुरू हो गई। 2007 में एयर सहारा को टेकओवर करने के बाद 2010 तक जेट एयरवेज देश की सबसे बड़ी एयरलाइन थी। कई साल तक सबकुछ अच्छा चला, लेकिन उनकी कंपनी के लिए मुसीबतें बढ़ने लगीं और मार्च 2019 में उन्हें अपने पद से हटना पड़ा। इसके बाद 2019 में उन्होंने अपनी पत्नी अनीता गोयल के साथ जेट एयरवेज के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया, लेकिन उनकी मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं। जेट एयरवेज का संचालन भी बंद हो गया।
कोर्ट में टूटे नरेश गोयल
केनरा बैंक के साथ 538 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोपी नरेश गोयल ने मुंबई की स्पेशल कोर्ट में कहा, “मैं जिंदगी की आस खो चुका हूं, मेरी सेहत बहुत बिगड़ गई है इसलिए बेहतर होगा कि जेल में मर जाऊं.” यह कह कर नरेश गोयल ने जज के सामने हाथ जोड़ लिए.
कैसे बर्बाद हुई जेट एयरवेज
एक वक्त था जब जेट एयरवेज भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइंस में से एक थी. घरेलू उड़ानों के साथ-साथ जेट एयरवेज की फ्लाइट अन्य देशों के लिए भी संचालित होती थी. लेकिन, कर्ज में डूबने के कारण 17 अप्रैल 2019 में जेट एयरवेज का संचालन बंद हो गया. 30 साल पहले जेट एयरवेज के पास 120 प्लेन थे लेकिन जिस वक्त यह एयरलाइन कंपनी बंद हुई उस समय इसके पास महज 16 प्लेन रह गए थे.
टिकट एजेंट से बने बड़े बिजनेसमैन
नरेश गोयल ने 70 के दशक में ट्रैवल एजेंसी के साथ कैशियर के तौर पर अपना काम शुरू किया. इसके बाद उन्होंने विदेशी एयर लाइन कंपनी ज्वाइन कर ली. करीब 20 साल बाद उन्होंने 1990 में जेट एयरवेज की शुरुआत की. इस दौर में भारत के आसमान पर एयर इंडिया का कब्जा था. ऐसे में नरेश गोयल ने जेट एयरवेज इंडिया लिमिटेड के तौर पर लोगों को हवाई यात्रा का एक नया विकल्प दिया. 5 मई 1993 में विमानों के साथ जेट एयरवेज ने एविएशन मार्केट में दस्तक दी.