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अमेरिका की अंतिम चेतावनी के बाद भी लाल सागर में नहीं थम रहे हमले,हूती विद्रोहियों ने जहाज पर भेजा ड्रोन


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नई दिल्लीः हूती विद्रोहियों पर अमेरिका की चेतावनी का कोई असर नहीं पड़ा है. अमेरिकी नौसेना ने बताया कि विस्फोटकों से भरी मानवरहित हूती नाव (Unmanned Surface Drone) में गुरुवार को लाल सागर में विस्फोट हो गया, लेकिन इससे कोई नुकसान या हताहत नहीं हुआ. यमन स्थित खूंखार हूती समूह को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्‍तर पर काफी प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन कोई असर होता नजर नहीं आ रहा है.यमन के हूती विद्रोही लाल सागर में लगातार जहाजों को निशाना बना रहे हैं। अमेरिका समेत 13 देशों की अंतिम चेतावनी के बावजूद हूतियों ने गुरुवार को लाल सागर में एक जहाज पर मानवरहित सतह ड्रोन (USV) से हमला किया। ये ड्रोन लाल सागर में लगभग 80 किलोमीटर भीतर जाकर व्यस्त अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्ग में जाकर फट गया। हालांकि, इस हमले में किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है।

हूतियों ने पहली बार किया USV का इस्तेमाल

मध्य-पूर्व में अमेरिकी नौसेना के संचालन प्रमुख वाइस एडमिरल ब्रैड कूपर ने कहा कि हालिया कुछ समय में यह पहली बार था, जब हूतियों ने हमले के लिए USV का इस्तेमाल किया है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के मिसाइल विशेषज्ञ फैबियन हिंज ने कहा, “USV का इस्तेमाल सऊदी गठबंधन बलों के खिलाफ पिछली लड़ाई के दौरान किया गया था। इन्हें आत्मघाती ड्रोन नौकाओं के रूप में उपयोग किया जाता है, जो टक्कर के बाद फट जाती है।”

अमेरिका ने ईरान पर लगाया हूतियों का सहयोग करने का आरोप

संयुक्त राष्ट्र (UN) में अमेरिकी उपराजदूत क्रिस्टोफर लू ने कहा कि ईरान ने हूतियों को ड्रोन, भूमि पर हमला करने वाली क्रूज मिसाइलें और बैलिस्टिक मिसाइलें सहित धन और उन्नत हथियार प्रणालियों की आपूर्ति की है। उन्होंने कहा, “लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों पर हमलों की योजना बनाने में ईरान भी गहराई से शामिल रहा है। ईरान के समर्थन के बिना हूती जहाजों पर हमला करने के लिए संघर्ष करेंगे।”

गुरुवार को अमेरिका और उसके सहयोगियों ने हूतियों को दी थी ‘आखिरी चेतावनी’

गुरुवार को अमेरिका और उसके 12 सहयोगियों ने हूती विद्रोहियों को ‘अंतिम चेतावनी’ जारी की थी। एक संयुक्त बयान में इन देशों ने कहा था, “हम इन अवैध हमलों को तत्काल समाप्त करने और गैरकानूनी रूप से हिरासत में लिए गए जहाजों और चालक दल को रिहा करने का आह्वान करते हैं। अगर हूती जीवन, वैश्विक अर्थव्यवस्था और महत्वपूर्ण जलमार्गों में वाणिज्य के मुक्त प्रवाह को खतरे में डालना जारी रखते हैं तो उन्हें इसके परिणामों खुद भुगतने होंगे।”

भारत ने लाल सागर के हालात पर- करीबी नजर रख रहे हैं..

भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह लाल सागर के हालात पर करीबी नजर रख रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने हूती विद्रोहियों द्वारा क्षेत्र में कई वाणिज्यिक जहाजों पर हमले करने को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच यह बात कही. इससे पहले भारतीय नौसेना ने बुधवार को कहा था कि उसके जहाज और विमान निगरानी बढ़ाने और समुद्री सुरक्षा अभियान चलाने के लिए ‘मिशन अवस्था में तैनात’ रहेंगे. जायसवाल ने कहा, “हम नौवहन की स्वतंत्रता, वाणिज्यिक पोतों की मुक्त आवाजाही को बहुत अधिक महत्व देते हैं. यह एक उभरती हुई स्थिति है और हम इसके सभी पहलुओं पर गौर कर रहे हैं.” नौसेना ने पिछले महीने पोरबंदर तट से करीब 220 समुद्री मील दक्षिण पश्चिम में एमवी केम प्लूटो नामक जहाज को ड्रोन से निशाना बनाए जाने सहित कई वाणिज्यिक पोतों पर हमलों की हालिया घटनाओं को देखते हुए समुद्री निगरानी बढ़ा दी है.

अभी नुकसान का नहीं पता

अमेरिका के नौसेना के कमांडर वाइस एडमिरल ब्रैड कूपर ने कहा कि हूती द्वारा कर रहे हमलों में कमी आने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। मानवरहित सतह पोत (यूएसवी) से अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन में हमला किया गया, जिसका मकसद स्पष्ट रूप से नुकसान पहुंचाना था। हालांकि, एक रिपोर्ट में कहा गया कि अभी यह नहीं पता चला है कि किसी विशेष जहाज को निशाना बनाया गया था या किसी को बिना नुकसान पहुंचाए विस्फोट हुआ।गौरतलब है, हूती विद्रोही व्यापार की दृष्टि से अहम लाल सागर के शिपिंग लेन में जहाजों को बार-बार हमलों से निशाना बना रहे हैं। उनका कहना है कि वे गाजा में फलस्तीनियों के समर्थन में हैं, जहां इस्राइल आतंकवादी समूह हमास से लड़ रहा है

इन देशों ने भी दी थी चेतावनी

हमलों से एक दिन पहले ही अमेरिका और 12 सहयोगियों ने एक संयुक्त बयान जारी कर हमलों की निंदा की थी और कड़ी चेतावनी दी थी। बता दें, बयान पर हस्ताक्षर करने वाले अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, जर्मनी, इटली, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, सिंगापुर और ब्रिटेन थे।

खतरनाक परिणाम होंगे

बयान में देशों ने कहा था, ‘अब हमारा संदेश स्पष्ट है। हम तुरंत इन हमलों को रोकने और गलत तरीके से लिए हिरासत में लिए गए जहाजों तथा चालक दल को रिहा करने का आह्वान करते हैं। अगर ऐसा नहीं किया गया को हूती खतरनाक परिणामों के जिम्मेदार होंगे।’

इस्राइल हमास युद्ध के बाद से लाल सागर में बढ़े व्यापारिक जहाजों पर हमले

बता दें कि बीती 19 नवंबर से अब तक लाल सागर और अरब सागर के अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट पर व्यापारिक जहाजों पर 23 बार हमले हुए हैं। इस्राइल हमास युद्ध के चलते ये हमले हो रहे हैं। दरअसल ईरान समर्थित हूती विद्रोही फलस्तीन के लोगों के समर्थन में और गाजा में इस्राइली कार्रवाई के खिलाफ ये हमले कर रहे हैं।

पिछले साल एक कार्गो शिप ली थी कब्जे में

एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल नवंबर में हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में एक कार्गो शिप अपने कब्जे में ले लिया था। उनका कहना था कि ये इस्राइल का है। वे इसे यमन के तट पर एक जगह ले गए थे। हालांकि, इस्राइल का कहना था कि न तो ये जहाज इस्राइल का था और न ही इसके क्रू का कोई सदस्य इस्राइली था।

ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल

तीन दिसंबर के बाद से हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में कई सारे व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया है। इसके लिए उन्होंने यमन के तट पर अपने नियंत्रण वाले इलाके से ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया है। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांसीसी युद्धपोतों ने हवा से मार करने वाले ऐसे कई हथियारों को मार गिराया, फिर भी बहुत से जहाज इनकी चपेट में आ गए।

ड्रोन नाव

USV को आम बोलचाल की भाषा में ड्रोन नाव कहा जाता है। ये एक छोटी नाव जैसा होता है, जो बिना किसी चालक के रिमोट कंट्रोल के जरिए पानी की सतह पर चलता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इनका काफी इस्तेमाल हुआ था। यूक्रेन युद्ध में भी रूस की ओर से इनका इस्तेमाल हुआ है। सैन्य उपयोग के अलावा इनका इस्तेमाल निगरानी, अनुसंधान, कार्गो परिवहन और खेती जैसे कई क्षेत्रों में होता है।

जहाजों के लिए खतरा

व्यापारी जहाजों पर यमन के हूती विद्रोहियों के हमले के बाद दिसंबर की शुरुआत में अमेरिका ने लाल सागर में एक बहुराष्ट्रीय नौसैनिक टास्क फोर्स का गठन किया। कई शिपिंग कंपनियों ने खतरों को देखते हुए इस रास्ते को व्यापार के लिए निलंबित कर दिया है। हूतियों का कहना है कि उनका हमला फिलिस्तीन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए है। दरअसल 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास की ओर से आतंकी हमला किया गया था। इस हमले के बाद से इजरायल गाजा पर बमबारी कर रहा है।

कौन हैं हूती विद्रोही

  • साल 2014 में यमन में गृह युद्ध शुरू हुआ। इसकी जड़ शिया-सुन्नी विवाद है। कार्नेजी मिडल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरूआत से गृह युद्ध में बदल गया। 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
  • इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी। हादी देश में बदलाव के बीच स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे। उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए।
  • अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सउदी भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला। तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सउदी अरब का।
  • देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।

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