India-UAE की सेना राजस्थान के मरुस्थल में आमने सामने
नई दिल्ली – संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की सेना इन दिनों राजस्थान के मरुस्थल में मौजूद है. वहीं यूएई की सेना को ‘जवाब’ देने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन ‘डेजर्ट साइक्लोन 2024’ की तैयारी पूरी कर ली है. यहां आप कुछ और समझ रहे हों, तो जरा रुक जाइए. दरअसल, ‘डेजर्ट साइक्लोन 2024’ कुछ और नहीं, बल्कि भारत और यूएई की सेना के बीच शुरू होने वाला एक संयुक्त युद्ध अभ्यास है.
दोनों देशों के सामरिक रिश्ते होंगे मजबूत
भारतीय सेना के अतिरिक्त जन सूचना महानिदेशालय (एडीजीपीआई) द्वारा साझा की गई सूचना के अनुसार, दोनों देशों के बीच होने वाला संयुक्त युद्धाभ्यास करीब दो सप्ताह तक चलेगा. डेजर्ट साइक्लोन का उद्देश्य अबर्न ऑपरेशन की बेस्ट प्रैक्टिस और इंटरऑपरेशनबिलिटी को बेहतर करना है. इससे दोनों देशों के सामरिक रिश्तो को और मजबूती मिलेगी.डीजीपीआई के अनुसार, भारत और संयुक्त अरब अमीरात के सैकड़ो साल पुराने दोस्ताना रिश्ते हैं. दोनों ही देश अच्छे धार्मिक और आर्थिक संबंध में रहे हैं. यह युद्धाभ्यास दोनों सेनाओं के बीच रणनीतिकि और सैद्धांतिक जानकारी साझाा करने का प्रयास है. इससे दोनों ही सेनाओ को दोनों से सीखने को मिलेगा.
भारतीय नौसेना भी कर चुकी हैं संयुक्त युद्धाभ्यास
एडीजीपीआई के अनुसार, भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच न केवल सहस्राब्दी पुरानी सांस्कृतिक दोस्ती है, बल्कि अच्छे धार्मिक और आर्थिक संबंध रहे हैं. यह युद्धाभ्यास दोनों सेनाओं के बीच रणनीतिकि और सैद्धांतिक जानकारी साझाा करने का प्रयास है. उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व अगस्त में दोनों सेना की नौसेना एक संयुक्त युद्धाभ्यास कर चुकी है. इस युद्धाभ्यास में भारतीय नौसेना के आईएनएस विशाखापट्नम और आईएनएस त्रिखंड ने हिस्सा लिया था.
2 से 15 जनवरी तक चलेगा संयुक्त सैन्य अभ्यास
इसमें बताया गया कि भारत और यूएई के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास 2 जनवरी से 15 जनवरी तक राजस्थान में आयोजित किया जाएगा,अभ्यास का मकसद शहरी परिचालन में सर्वोत्तम प्रथाओं को सीखना और साझा करना है.भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच रिश्ते काफी अच्छे हैं.भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक संबंध स्थापित हैं.विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस सैन्य अभ्यास का मकसद रक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के संभावित क्षेत्रों में रक्षा उपकरणों का उत्पादन और विकास, सशस्त्र बलों का संयुक्त अभ्यास, विशेष रूप से नौसेना अभ्यास, रणनीति और सिद्धांतों पर जानकारी साझा करना, मध्यवर्ती जेट ट्रेनर के संबंध में तकनीकी सहयोग आदि शामिल हैं.