राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी 3 बिल को मंजूरी,जिसमे भारतीय न्याय संहिता,भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य शामिल
नई दिल्ली – संसद के शीतकालीन सत्र में हाल में पारित हुए तीन संशोधित आपराधिक कानून विधेयकों को सोमवार (25 दिसंबर) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी. इससे भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य बिल के अब कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है.
संसद में तीनों विधेयकों पर हुई चर्चा
संसद में तीनों विधेयकों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इन विधेयकों का उद्देश्य पूर्ववर्ती कानूनों की तरह दंड देने का नहीं बल्कि न्याय मुहैया कराने का है. उन्होंने कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य विभिन्न अपराधों और उनकी सजा को परिभाषा देकर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव लाना है. इनमें आतंकवाद की स्पष्ट परिभाषा दी गयी है, राजद्रोह को अपराध के रूप में खत्म कर दिया गया है और ‘राज्य के खिलाफ अपराध’ शीर्षक से एक नया खंड जोड़ा गया है.
143 सांसद हुए थे निलंबित
बता दें कि ये वही दौर था जब दोनों ही सदनों से 143 सांसदों को निलंबित किया गया था। दरअसल 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में चूक देखने को मिली थी। इसके बाद से विपक्ष लगातार इस बाबत चर्चा की मांग कर रहा था और विपक्ष की मांग थी कि अमित शाह इस मामले पर अपना बयान दें। बता दें कि इस पर लगातार विवाद देखने को मिल रहा था, जिसके बाद लगातार एक के बाद एक कई दिनों तक सांसदों को लगातार निलंबित किया गया। शीतकालीन सत्र में कुल मिलाकर 143 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था।
भारतीय न्याय संहिता 2023 सदन की मान्यता
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि Indian Penal Code जो 1860 में बना था, उसका उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना ही था. उसकी जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएगी. CrPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 इस सदन के अनुमोदन के बाद अमल में आएगी. और Indian Evidence Act 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 अमल में आएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी. पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद को व्याख्यायित करने जा रही है. जिससे इसकी कमी का कोई फायदा न उठा पाए.
गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किया था
गृह मंत्री अमित शाह ने तीनों विधेयकों को संसद के मानसून सत्र के दौरान पेश किया था लेकिन बाद में उन्हें गृह मामलों की स्थायी समिति को भेज दिया गया था. पिछले महीने पैनल ने प्रस्तावित बिलों पर अपनी रिपोर्ट दी थी, जिसमें विभिन्न बदलावों का सुझाव दिया गया था. पैनल की कुछ सिफारिशों को शामिल कर लिया गया. 12 दिसंबर को केंद्र ने अगस्त में पेश किए गए पिछले संस्करणों को वापस लेते हुए निचले सदन में भारतीय न्याय संहिता समेत तीन संशोधित आपराधिक विधेयकों को फिर से पेश किया था.