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बजरंग पूनिया ने फुटपाथ पर रख दिया पद्मश्री पुरस्कार,पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी


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नई दिल्लीः भारतीय पहलवान और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने गुरुवार (22 दिसंबर) शाम अपना ‘पद्मश्री’ पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया और इसके ठीक बाद वह पीएम मोदी को यह अवॉर्ड लौटाने के लिए निकल भी पड़े. लेकिन वह पीएम आवास पहुंच पाते उससे पहले ही उन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा रोक लिया गया. जब वह आगे नहीं बढ़ सके तो वह पद्मश्री को फुटपाथ पर ही रखकर लौट गए.

साक्षी मलिक ने लिया संन्यास

बजरंग पूनिया से पहले गुरुवार को महिला पहलवान साक्षी मलिक ने भी संन्यास का ऐलान कर दिया. कुश्ती संघ के नए अध्यक्ष के ऐलान के तुरंत बाद पहलवानों ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और साक्षी ने रोते हुए संन्यास का ऐलान कर दिया. साक्षी ने आरोप लगाया कि संजय सिंह भी बृजभूषण सिंह के करीबी हैं और ऐसे में वो अब आगे नहीं खेल पाएंगी.

बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

एक्स पर यह चिट्ठी पोस्ट करने से पहले पुनिया को दिल्ली के कर्तव्य पथ पर पुलिस ने रोक लिया था. वह पद्मश्री पुरस्कार हाथ में लिए यहां पहुंचे थे कह रहे थे कि इसे वह प्रधानमंत्री तक पहुंचाना चाहते हैं.साक्षी मलिक के बाद अब बजरंग पूनिया ने WFI के नए अध्यक्ष के ऐलान के बाद एक बड़ा फैसला लिया है. बजरंग पूनिया ने अपना पद्म पुरस्कार लौटाने का फैसला किया है. बजंरग ने सोशल मीडिया पर इसका ऐलान किया. बजरंग पूनिया ने यौन शोषण के आरोपी और भारतीय कुश्ती महासंघ में अपनी तानाशाही चला रहे बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों की शिकायत पर खेल मंत्रालय की अनदेखी के कारण ‘पद्मश्री’ लौटाने का फैसला किया. उन्होंने इस मामले में पीएम मोदी को एक लंबा चौड़ा पत्र भी लिखा. इस पत्र में उन्होंने अपनी मांगें न सुनी जाने के कारण पद्मश्री पुरस्कार लौटाने की बात कही.उन्होंने पीएम मोदी को इस मामले पर एक खत भी लिखा है. बजरंग ने सोशल मीडिया पर अपना खत ट्वीट किया और उन्होंने कैप्शन में लिखा, ‘मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूं. कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है.’

बजरंग पूनिया ने कही ये बड़ी बातें

पद्मश्री लौटने को लेकर पुनिया ने लिखा है, “साल 2019 में मुझे पद्मश्री से नवाज़ा गया. खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया. जब ये सम्मान मिले तो मैं बहुत ख़ुश हुआ था. लगा कि जीवन सफल हो गया, लेकिन आज उससे कहीं ज़्यादा दुखी हूं और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं.”कारण सिर्फ़ एक ही है. जिस कुश्ती के लिए ये सम्मान मिले, उसमें हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती तक छोड़नी पड़ रही है.पुनिया लिखते हैं, “जिन बेटियों को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की ब्रैंड एंबैसडर बनना था, उन्हें इस हाल में पहुंचा दिया गया कि अपने खेल से ही पीछे हटना पड़ा. हम सम्मानित पहलवान कुछ नहीं कर सके. महिला पहलवानोंं को अपमानित किए जाने के बाद मैं सम्मानित बनकर अपनी ज़िंदगी नहीं जी पाऊंगा. इसलिए ये सम्मान आपको लौटा रहा हूं.”आख़िर में उन्होंने लिखा है, “मुझे ईश्वर में पूरा विश्वास है कि उनके घर देर है, अंधेर नहीं. अन्याय पर एक दिन न्याय की ज़रूर जीत होगी.”

बृजभूषण शरण सिंह को लेकर विरोध

दरअसल, इस साल की शुरुआत से ही भारतीय पहलवानों का एक तबका भारतीय कुश्ती महासंघ में बृजभूषण शरण सिंह की चल रही मनमानी और तानाशाही को लेकर विराध कर रहा है. बृजभूषण पर महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का भी आरोप है. बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी सांसद हैं और लंबे अरसे से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष रहे हैं.पहलवानों के लंबे आंदोलन के बाद उन्हें हाल ही में अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था. हालांकि जो नए अध्यक्ष बनाए गए हैं, वह भी बृजभूषण खेमे के ही हैं. ऐसे में पहलवानों का पिछले 11 महीने से चल रहा आंदोलन पूरी तरह बेअसर रह गया है. यही कारण रहा कि बजरंग पूनिया अपना पदक लौटाने के लिए निकल पड़े थे.

जनवरी से चल रहा विरोध प्रदर्शन

गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा महिला पहलवानों की शिकायतों पर ध्यान नहीं देने के बाद बीते दिन भारत की ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने भी कुश्ती छोड़ने का ऐलान किया था. बता दें कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ इस आंदोलन का नेतृत्व बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट कर रहे थे. जनवरी से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन में अब तक बहुत कुछ घटा है.

क्या है मामला

इस साल की शुरुआत में महिला पहलवानों ने कुश्ती महासंघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे.उनकी गिरफ़्तारी की मांग करते हुए साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया समेत कई खिलाड़ियों ने कई हफ़्तों तक दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था.इन खिलाड़ियों की दिल्ली पुलिस के साथ हाथापाई भी हुई थी, जिसके बाद उन्होंने अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करने की चेतावनी तक दी थी. हालांकि, बाद में उन्होंने मेडल बहाने का फ़ैसला टाल दिया था.इस मामले में बृज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ दर्ज की गई एफ़आईआर में आईपीसी की 354 , 354-ए, 354-डी और 506(1) जैसी धाराएं लगाई गई हैं.दिल्ली के राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में बृज भूषण शरण सिंह और उनके सहयोगी विनोद तोमर को सशर्त ज़मानत भी दी है.कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा था कि अभियुक्त बिना किसी पूर्व सूचना के देश नहीं छोड़ेंगे और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शिकायतकर्ताओं या गवाहों को धमकी या लालच नहीं देंगे.

बजरंग पूनिया का करियर

बता दें बजरंग पूनिया को 2019 में पद्म श्री अवॉर्ड मिला था. भारत का ये पहलवान 2020 टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुका है. वहीं वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में उनके नाम 4 मेडल्स हैं. एशियन गेम्स में भी वो भारत को गोल्ड और सिल्वर जिता चुके हैं. कॉमनवेल्थ में बजरंग के नाम दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल है.

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